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Saturday, 16 November, 2024
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गिर सकती है उद्धव ठाकरे की सरकार, शिंदे का दावा – 50 से अधिक विधायकों का समर्थन हासिल

संजय राउत ने कहा कि संख्या बल कागज में ज्यादा हो सकती है लेकिन अब यह लड़ाई कानूनी लड़ाई होगी. हमारे जिन 12 लोगों ने बगावत शुरू की है उनके खिलाफ कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू की है.

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नई दिल्ली: शुक्रवार को शिवसेना के बागी नेता एकनाथ शिंदे ने एक निजी टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में दावा किया कि उनके पास अब 50 से अधिक विधायकों का समर्थन है हासिल है. जिनमें से 40 विधायक शिवसेना के हैं.

37 विधायकों ने शिंदे को अपना नेता बनाते हुए एक प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए थे. शिंदे ने इंटरव्यू में यह भी कहा कि वह उद्धव ठाकरे के संपर्क में नहीं हैं.

शिंदे के बहुमत के दावे के बाद से अटकलें लगाई जा रही हैं कि महाराष्ट्र में महाविकास अघाडी की सरकार गिर सकती है.

वहीं, गुरुवार को शिवसेना के तीन और विधायकों ने गुवाहाटी पहुंच कर एकनाथ शिंदे कैंप को ज्वाइन कर लिया है.

शिंदे कैंप में शामिल होने वाले राज्य के कृषि मंत्री दादा भूसे, विधायक संजय राठौर और एमएलसी रवींद्र फाटक हैं.

खासतौर से, फाटक को मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे का करीबी सहयोगी माना जाता रहा है. उन्हें बागी विधायकों से बात करने के लिए सूरत में भी भेजा था. शिंदे के गुट में शामिल होने के बाद ठाकरे के लिए एक और झटका लगने जैसा है.

उधर, असम के गुवाहाटी में मौजूद शिवसेना के सभी 37 बागी विधायकों ने महाराष्ट्र विधानसभा के उपाध्यक्ष नरहरि जिरवाल को एक पत्र भेजा है, जिसमें कहा गया है कि एकनाथ शिंदे विधायिका में उनके समूह के नेता बने रहेंगे.

हालांकि, इससे पहले दिन में नरहरि जिरवाल ने कहा था कि उन्होंने बागी विधायक एकनाथ शिंदे की जगह अजय चौधरी को सदन में शिवसेना का विधायक दल का नेता नियुक्त किये जाने को मंजूरी दे दी है.

शिंदे ने गुरुवार शाम को विधानसभा उपाध्यक्ष को शिवसेना के 37 विधायकों के हस्ताक्षर वाला पत्र भेजा.

पत्र में यह भी सूचित किया गया कि सुनील प्रभु के स्थान पर शिवसेना विधायक भरत गोगावले को विधायक दल का मुख्य सचेतक नियुक्त किया गया है.

इस बीच, शिंदे ने प्रभु द्वारा बुलाई गई बैठक में शामिल नहीं होने के लिए अपने गुट के विधायकों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करने वालों पर भी पलटवार करते हुए दावा किया कि व्हिप केवल विधायी कार्यों के लिए लागू होता है.

शिंदे ने ट्वीट किया, ‘आप किसे धमकी देने की कोशिश कर रहे हैं? हम आपकी चालबाजियों को जानते हैं और कानून को भी समझते हैं. संविधान की 10वीं अनुसूची के अनुसार, व्हिप विधायी कार्यों के लिए लागू होता है न कि किसी बैठक के लिए.’

उन्होंने कहा, ‘हम इसके बजाए आपके खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हैं क्योंकि आपके पास (विधायकों की) पर्याप्त संख्या नहीं है, लेकिन फिर भी आपने 12 विधायकों का एक समूह बनाया है. हमें इस तरह की धमकियों से फर्क नहीं पड़ता.’

‘शरद पवार के लिए ऐसी भाषा स्वीकार्य नहीं’

शिवसेना ने शुक्रवार को दोपहर 12 बजे शिवसेना भवन, मुंबई में सीएम उद्धव ठाकरे की अध्यक्षता में पार्टी के जिलाध्यक्षों की बैठक बुलाई है.

उधर, शुक्रवार को शिवसेना सांसद संजय राउत ने कहा कि संख्या बल कागज में ज्यादा हो सकती है लेकिन अब यह लड़ाई कानूनी लड़ाई होगी. हमारे जिन 12 लोगों ने बगावत शुरू की है उनके खिलाफ कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू की है जिसके लिए हमारे लोगों ने सभापति से मुलाकात की है.

साथ ही उन्होंने बीजेपी पर आरोप लगाया कि वे एनसीपी प्रमुख शरद पवार धमकी दे रही है कि अगर उन्होंने महाविकास अघाड़ी सरकार को बचाने की कोशिश की तो उन्हें घर नहीं जाने दिया जाएगा.

राउत ने कहा कि पवार साहब को धमकियां देने का काम चल रहा है. अमित शाह और मोदी जी आप के मंत्री पवार साहब को धमकी दे रहे हैं. क्या ऐसी धमकियों को आपका समर्थन है?

शुक्रवार को शिवसेना नेता संजय राउत ने ट्वीट भी किया जिसमें लिखा, ‘भाजपा के एक केंद्रीय मंत्री ने कहा है कि अगर महाविकास अघाड़ी सरकार को बचाने के प्रयास किया गया तो शरद पवार को घर नहीं जाने दिया जाएगा. महाविकास अघाड़ी सरकार रहे या न रहे लेकिन शरद पवार के लिए ऐसी भाषा का उपयोग स्वीकार्य नहीं है.’

उधर,गुरुवार को उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने कहा कि उन्होंने शिवसेना के भीतर विद्रोह में बीजेपी की कोई भूमिका नहीं देखी है.

उधर, एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने कहा कि वह अपने भतीजे की इस बात से सहमत नहीं हैं. पवार ने कहा, ‘अजीत पवार ने ऐसा इसलिए कहा होगा क्योंकि वह महाराष्ट्र के बाहर के बीजेपी नेताओं को नहीं जानते हैं. मैं उन्हें जानता हूं. यहां तक ​​कि एकनाथ शिंदे ने भी कहा है कि एक बीजेपी ने उन्हें हरसंभव मदद देने का आश्वासन दिया है. ‘

पवार ने यह भी कहा कि भाग्य का फैसला विधानसभा में होगा और शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस गठबंधन विश्वास मत में बहुमत साबित करेगा.

शिवसेना सरकार के मंत्री एकनाथ शिंदे और विधायकों के विद्रोह के कारण हुई राजनीतिक उथल-पुथल के बीच कहा कि बीजेपी ने उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली सरकार के समक्ष उत्पन्न संकट में भूमिका निभाई है.


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‘कभी नहीं मिले उद्धव’

इस बीच, शुक्रवार को गुवाहाटी में शिवसेना के बागी विधायक संजय शिरसाट ने उद्धव ठाकरे पर आरोप लगाया कि कई बार विधायकों ने उन्हें आगाह किया था कि कांग्रेस और एनसीपी शिवसेना को खत्म करने की कोशिश कर रही हैं. उन्होंने आगे कहा कि विधायकों ने उद्धव से मिलने का समय मांगा था लेकिन कभी उनसे मुलाकात नहीं की गई.

शिरसाट ने कहा, ‘पहले कई बार विधायकों ने उद्धव जी से कहा था कि कांग्रेस हो या एनसीपी, दोनों ही शिवसेना को खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं. कई बार विधायकों ने उद्धव जी से मिलने के लिए समय मांगा लेकिन वे उनसे कभी नहीं मिले.’

उन्होंने आगे कहा कि शिवसेना के किसी विधायक के निर्वाचन क्षेत्र में तहसीलदार से लेकर राजस्व अधिकारी तक कोई भी अधिकारी विधायक के परामर्श से नियुक्त नहीं किया जाता है. यह बात हमने उद्धव जी को कई बार बताई लेकिन उन्होंने कभी इसका जवाब नहीं दिया.

 


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शिवसेना की याचिका

गुरुवार को शिवसेना के एक गुट ने राज्य विधानसभा के उपाध्यक्ष के सामने एक याचिका दायर की है जिसमें एकनाथ शिंदे सहित 12 बागी विधायकों की सदस्यता रद्द करने की मांग की गई है. शिवसेना ने यह कदम बुधवार को हुई विधायक दल की बैठक में शिंदे के शामिल नहीं होने के बाद लिया है.

शिवसेना सांसद अरविंद सावंत ने कहा कि बैठक से पहले एक नोटिस जारी किया गया था जिसमें कहा गया था कि अगर कोई विधायक बैठक में शामिल नहीं होता है तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी. सावंत ने कहा, ‘हमने डिप्टी स्पीकर के सामने एक याचिका दायर की है और मांग की है कि 12 (विधायकों) की सदस्यता रद्द कर दी जानी चाहिए क्योंकि वे कल की बैठक में शामिल नहीं हुए थे.

उन्होंने कहा, ‘बैठक से पहले नोटिस जारी किया गया था जिसमें कहा गया था कि अगर आप बैठक में शामिल नहीं हुए तो संविधान के अनुसार कानूनी कार्रवाई की जाएगी. कुछ नहीं आए और कुछ ने अनावश्यक कारण बताए.’

शिंदे के अलावा शिवसेना ने प्रकाश सुर्वे, तानाजी सावंत, महेश शिंदे, अब्दुल सत्तार, संदीप भुमारे, भरत गोगावाले, संजय शिरसत, यामिनी यादव, अनिल बाबर, बालाजी देवदास और लता चौधरी को अयोग्य ठहराने की मांग की है.

याचिका अजय चौधरी द्वारा दायर की गई है, जिन्हें शिवसेना द्वारा शिंदे को पद से ‘हटाए जाने’ के बाद ‘विधायक दल का नेता’ नियुक्त किया गया था.


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