मुंबई : महाराष्ट्र चुनाव के बाद सरकार बनाने के लिए एनसीपी, कांग्रेस के साथ गठबंधन के लिए शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी से मिल सकते हैं. शिवसेना नेता ने दि प्रिंट से कहा.
तीनों पार्टियां पिछले 36 घंटे से सत्ता में साझेदारी के तौर-तरीकों पर चर्चा कर रही हैं, कांग्रेस और एनसीपी के साथ न्यूनतम साझा कार्यक्रम (सीएमपी) को शामिल करने पर जोर दिया जा रहा है, जो खासकर ‘प्रवासियों’ और अल्पसंख्यकों को लेकर उनके वैचारिक मतभेदों को कम करेगा.
शिवसेना के एक वरिष्ठ नेता के अनुसार, सरकार बनाने पर तीन दलों में आम सहमति से नहीं बन पाने की भी कई कहानियां चल रही हैं, लेकिन ऐसा नहीं है. सब ठीक है.
गुरुवार को न्यूनतम साझा कार्यक्रम पर चर्चा करने के लिए ठाकरे अपने संभावित गठबंधन सहयोगियों से मिल सकते हैं. उन्होंने एक होटल में राज्य कांग्रेस अध्यक्ष बालासाहेब थोरात, पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण और पार्टी के वरिष्ठ नेता माणिकराव ठाकरे के साथ चर्चा की थी. उसके ठीक एक दिन बाद यह देखने को मिला है.
‘विचारधारा को लेकर कोई मुद्दा नहीं’
सूत्र के अनुसार कांग्रेस, राकांपा और शिवसेना की पहली संयुक्त बैठक गुरुवार को होगी जिसमें राकांपा के राज्य प्रमुख, कांग्रेस के राज्य प्रमुख और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे से मुलाकात की संभावना है.
शिवसेना के वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘हमने एनसीपी और कांग्रेस के साथ सरकार बनाने का निर्णय लिया है. विचारधारा का कोई मुद्दा नहीं है, जैसा कि फैलाया जा रहा है. हम हिंदुओं या मुसलमानों के बीच अंतर नहीं करते हैं. हमारे लिए, हर कोई भारत का नागरिक है. जल्द ही, शिवसेना के नेता बातचीत को अंतिम रूप देने के लिए सोनिया गांधी से भी मिलेंगे, उन्होंने सवाल किया कि जब भाजपा ने कश्मीर में सरकार बनाई तो विचारधारा को क्या हुआ था? मुख्य मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए यह सब कहा जा रहा है.
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अपनी बात को दोहराते हुए शिवसेना नेता ने कहा कि 50:50 का वादा भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और उद्धव ठाकरे के बीच में हुआ था, जिसे भाजपा अब नकार रही है.
उन्होंने कहा, ‘हम ‘धंधा’ नहीं करते हैं, हम रिश्तों को बनाते हैं. लेकिन, 25 अक्टूबर को ही हमें पता था कि हमें एक विकल्प तलाशना होगा, क्योंकि भाजपा 50:50 के अपने वादे से मुकर रही है. हमने फिर पवार साहब तक पहुंचने का फैसला किया.
‘एनसीपी ने हमें अंधेरे में नहीं रखा’
यह पूछे जाने पर कि क्या शिवसेना को पवार के भरोसे से परेशानी है, अफवाहें हैं कि उन्होंने राष्ट्रपति शासन के लिए स्थिति पैदा की. इस बात के जवाब में शिवसेना नेता ने कहा, ‘पवार साहब एक बड़े नेता हैं और बाला साहब के साथ भी उनके अच्छे संबंध थे. राष्ट्रपति शासन ने हमें पर्याप्त समय दिया है. एनसीपी ने हमें अंधेरे में नहीं रखा है. वे एक स्वतंत्र पार्टी है और वे अपना निर्णय (राज्यपाल से अधिक समय की मांग करते हुए) लेगी.
शिवसेना के एक अन्य नेता के अनुसार, भाजपा के 45 से अधिक विधायक उनके संपर्क में हैं. लेकिन, हम उन्हें तोड़ना नहीं चाहते हैं. भाजपा को पता होना चाहिए कि शिवसेना के उलट उनकी पार्टी एनसीपी और कांग्रेस के लोगों से बनी है. जहां तक हमारे विधायकों का सवाल है, एक भी व्यक्ति नहीं जायेगा.
उन्होंने आगे कहा कि सरकार के गठन की पूरी प्रक्रिया में कम से कम एक महीने का समय लगेगा. हमने पहले ही कॉमन मिनिमम प्रोग्राम (सीएमपी) पर काम करना शुरू कर दिया है और इस बारे में हमारी एनसीपी और कांग्रेस के साथ बैठक होगी. 10 प्रमुख बिंदु हैं, जिन पर सीएमपी को किसानों सहित, बेरोजगारी, बुनियादी ढांचे, स्वास्थ्य, अन्य लोगों के बीच सामाजिक न्याय सहित तमाम मुद्दों पर बनाया जायेगा.
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एक अन्य नेता ने कहा, वे इस बात को लेकर स्पष्ट हैं कि वे नहीं चाहते हैं कि कांग्रेस बाहर से समर्थन की पेशकश करे. बल्कि सरकार का हिस्सा हो. हमें यकीन था कि उन्हें सरकार का हिस्सा होना चाहिए और पवार साहब ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.’
यह पूछे जाने पर कि पार्टी का नेतृत्व कौन करेगा, शिवसेना नेता ने कहा, ‘उद्धव ठाकरे पार्टी का चेहरा हैं और कैडर चाहता है कि वह सरकार का नेतृत्व करें. एनसीपी या कांग्रेस ने हमसे रोटेशनल सीएम पद के लिए अभी तक नहीं पूछा है. केवल मीडिया ही इस तरह के सवाल उठा रहा है. अगर वे बात करते हैं तो हम इस पर चर्चा करेंगे.’
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