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Monday, 23 December, 2024
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गैर-जाट वोटों को साथ लाने की कोशिश? परंपरा तोड़ते हुए BJP ने OBC सांसद सैनी को बनाया हरियाणा प्रदेश अध्यक्ष

कुरूक्षेत्र से सांसद नायब सिंह सैनी ने जाट नेता ओपी धनखड़ की जगह ली है, जिन्हें राष्ट्रीय सचिव के पद पर पदोन्नत किया गया है. अगले साल आम चुनाव होने वाले हैं और तभी हरियाणा में भी चुनाव होने वाले हैं.

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गुरुग्राम: 2014 में हरियाणा में सत्ता संभालने के बाद से, भाजपा ने एक जाट प्रदेश अध्यक्ष और एक गैर-जाट मुख्यमंत्री के साथ जाट-गैर-जाट संतुलन बनाए रखा है. लेकिन वह समीकरण शुक्रवार को तब बदल गया जब पार्टी ने ओबीसी नेता व कुरुक्षेत्र से सांसद नायब सिंह सैनी को हरियाणा का नया प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया.

निवर्तमान राज्य भाजपा प्रमुख, जाट नेता ओम प्रकाश धनखड़ को अब राष्ट्रीय सचिव की भूमिका सौंपी गई है.

राजनीतिक पर्यवेक्षकों के अनुसार, यह कदम 2024 के लोकसभा और विधानसभा चुनावों से पहले हरियाणा में गैर-जाट समर्थन जुटाने का एक प्रयास प्रतीत होता है.

हरियाणा के राजनीतिक विश्लेषक योगिंदर गुप्ता ने कहा कि भाजपा राज्य में प्रभावशाली जाट समुदाय से अपना ध्यान हटा रही है, क्योंकि ऐसा लगता है कि उन्हें उनके वोट मिलने की संभावना नहीं है. इसके बजाय, उन्होंने कहा, पार्टी गैर-जाट मतदाताओं के बीच समर्थन मजबूत करने के लिए काम कर रही है.

गुप्ता ने कहा, “वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में, विपक्षी दल, विशेष रूप से कांग्रेस, जनसंख्या अनुपात के अनुसार नौकरियों और प्रतिनिधित्व जैसे नारों के साथ ओबीसी को खुश करने के लिए जाति सर्वेक्षण का वादा कर रहे हैं. इसलिए, यह भाजपा द्वारा विपक्ष के मुद्दों को उससे दूर ले जाने का एक प्रयास हो सकता है.”.

हालांकि, धनखड़ की राष्ट्रीय सचिव के पद पर पदोन्नति से पता चलता है कि भाजपा जाट समुदाय को गलत तरीके से परेशान नहीं करने के प्रति सचेत है.

दिप्रिंट से बात करते हुए धनखड़ ने कहा कि वह पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के आभारी हैं जिन्होंने उन्हें तीन साल तक पार्टी की राज्य इकाई का नेतृत्व करने का मौका दिया, और नई जिम्मेदारी के लिए सैनी को शुभकामनाएं भी दीं.

बदलाव से कुछ घंटे पहले, धनखड़ ने चंडीगढ़ में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया, जहां उन्होंने खट्टर सरकार की नौ साल की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला.

उन्होंने यह भी कहा कि अगले साल होने वाले चुनाव में बीजेपी की गठबंधन सहयोगी जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) के साथ मिलकर लड़ने को लेकर अभी तक कोई फैसला नहीं लिया गया है. जेजेपी के पास विशेष रूप से मजबूत जाट समर्थन आधार है.

मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के करीबी माने जाने वाले और जो अब तक भाजपा के ओबीसी मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष थे, सैनी ने दिप्रिंट के फोन कॉल का जवाब नहीं दिया.

शुक्रवार की सुबह, सैनी ने एक्स पर दो मैसेज पोस्ट किए – एक में राजस्थान की थानागाजी विधानसभा सीट पर उनके अभियान की तस्वीरें थीं, और दूसरे में मनोहर लाल खट्टर सरकार के नौ साल पर प्रकाश डाला गया था.

बाद में शाम को, सैनी ने एक्स पर दो और पोस्ट लिखीं. एक में उन्होंने राज्य प्रमुख के रूप में नियुक्ति के लिए भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा को धन्यवाद दिया, और दूसरे में धनखड़ को भाजपा के राष्ट्रीय सचिव के रूप में उनकी नई जिम्मेदारी के लिए शुभकामनाएं दीं.

इस बीच, करनाल से बीजेपी सांसद संजय भाटिया ने एक्स पर पोस्ट किया कि यह केवल बीजेपी में ही संभव है कि “एक बूथ स्तर का कार्यकर्ता पीएम, राष्ट्रीय अध्यक्ष या पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बन सकता है”. उन्होंने सैनी को हरियाणा प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त होने पर शुभकामनाएं भी दीं.

‘जाटों को नजरअंदाज करना अच्छा विचार नहीं’

हरियाणा की आबादी में जाटों की संख्या लगभग 23 प्रतिशत है और राज्य की 90 विधानसभा सीटों में से कम से कम 40 या इससे अधिक सीटों पर पर उनका महत्वपूर्ण प्रभाव है.

2014 के विधानसभा चुनाव में, उन्होंने अन्य समुदायों की तरह बड़ी संख्या में भाजपा को वोट दिया, लेकिन 2019 में, वे बड़े पैमाने पर सत्तारूढ़ पार्टी के खिलाफ हो गए और कांग्रेस, जेजेपी और आईएनएलडी में बंट गए, जिन्होंने क्रमश 30, 10 और एक सीट जीती.

2019 के विधानसभा चुनावों में भाजपा के खिलाफ जाट वोटों के स्विंग के कारण पार्टी के जाट दिग्गजों की हार हुई, जिनमें कैबिनेट मंत्री कैप्टन अभिमन्यु और ओम प्रकाश धनखड़, पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह की पत्नी प्रेम लता और तत्कालीन राज्य भाजपा अध्यक्ष सुभाष बराला शामिल थे.

हालांकि, भाजपा के एक वरिष्ठ जाट नेता ने नाम न छापने की शर्त पर दिप्रिंट को बताया कि हरियाणा में जाट समुदाय को नज़रअंदाज करना कोई बुद्धिमानी भरा विचार नहीं हो सकता है.

“हरियाणा की राजनीति में जाटों का हमेशा से दबदबा रहा है. 2014 से, भाजपा जाट और गैर-जाट कॉम्बिनेशन बनाए हुए है, जिसमें एक जाट राज्य अध्यक्ष और एक गैर-जाट सीएम है. लेकिन अब दोनों पद गैर-जाट समुदाय के पास होंगे.”

उन्होंने कहा कि यह स्पष्ट नहीं है कि पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के मन में क्या है, लेकिन पांच राज्यों में आगामी चुनावों के बाद हरियाणा में और बदलाव हो सकते हैं.

अक्टूबर 2014 में पंजाबी समुदाय के एक गैर-जाट मनोहर लाल खट्टर के हरियाणा के मुख्यमंत्री बनने के तुरंत बाद, तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने ब्राह्मण समुदाय के राम बिलास शर्मा की जगह एक जाट समुदाय के सुभाष बराला को राज्य अध्यक्ष नियुक्त किया.

जुलाई 2020 में एक अन्य जाट नेता धनखड़ के पदभार संभालने तक तीन-तीन साल के लगभग दो कार्यकाल के लिए राज्य अध्यक्ष बने रहे. उनका तीन साल का एक मात्र कार्यकाल इस साल जुलाई में समाप्त हो गया.

अनुसूचित जाति और पिछड़ा वर्ग कल्याण निदेशालय की वेबसाइट के अनुसार, सैनी समुदाय को पांच अन्य समुदाय – यादव, गुज्जर, लोध, मेव और गोसाईं – के साथ “पिछड़ा वर्ग” के ब्लॉक बी में रखा गया है. राज्य में ब्लॉक ए के अंतर्गत रखी गई 72 जातियों को उनके ब्लॉक बी समकक्षों की तुलना में अधिक पिछड़ा माना जाता है. सामान्य बोलचाल की भाषा में, ब्लॉक ए में रखी गई 72 जातियों को पिछड़ा वर्ग कहा जाता है, जबकि ब्लॉक बी में रखी गई जातियों को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) कहा जाता है.

(संपादनः शिव पाण्डेय)

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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