नई दिल्ली: “आपको कैसे पता कि चीन ने 2,000 वर्ग किलोमीटर भारतीय क्षेत्र पर क़ब्ज़ा कर लिया है? अगर आप सच्चे भारतीय होते तो ऐसी बातें नहीं कहते,” सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा. कोर्ट ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी के 2020 के गलवान घाटी विवाद के संदर्भ में भारतीय सेना को लेकर दिए गए बयानों पर कड़ी नाराज़गी जताई. गांधी ने यह बयान भारत जोड़ो यात्रा के दौरान दिया था.
“अगर आप सच्चे भारतीय होते तो ऐसी बातें नहीं कहते,” जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस ऑगस्टीन मसीह की पीठ ने कहा. वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी गांधी की ओर से इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस आदेश के ख़िलाफ़ दलील दे रहे थे, जिसमें उन्हें विशेष एमपी/एमएलए कोर्ट, लखनऊ में लंबित आपराधिक मानहानि मामले में राहत देने से इनकार किया गया था. गांधी ने ट्रायल कोर्ट के सम्मन आदेश को चुनौती दी थी.
“जो कहना है, संसद में कहिए. सोशल मीडिया पोस्ट में क्यों कहते हैं?” जस्टिस दत्ता ने पूछा, जब सिंघवी ने शुरुआत में बयान का बचाव किया.
सिंघवी ने दलील दी, “अगर वे ऐसी बातें नहीं कह सकते, जो प्रेस में छप चुकी हैं, तो वे विपक्ष के नेता नहीं रह सकते.” हालांकि, बाद में पीठ की नाराज़गी देखकर उन्होंने माना कि गांधी को बयान बेहतर तरीके से कहना चाहिए था.
नाराज़गी जताने के बावजूद पीठ ने गांधी को राहत दी. सिंघवी ने सम्मन आदेश में तकनीकी कमी बताई. पीठ ने ट्रायल कोर्ट में आपराधिक मानहानि मामले की कार्यवाही तीन हफ़्ते के लिए रोक दी.
सिंघवी ने कहा कि भारतीय न्याय सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा 223 के तहत सम्मन जारी करने से पहले गांधी को सुनना ज़रूरी था. यह प्रावधान कहता है कि शिकायत के आधार पर संज्ञान लेने से पहले मजिस्ट्रेट को आरोपी को सुनना अनिवार्य है.
सिंघवी ने स्वीकार किया कि गांधी ने यह कानूनी मुद्दा हाई कोर्ट में नहीं उठाया था. वहां उन्होंने केवल इस आधार पर चुनौती दी थी कि शिकायतकर्ता न तो “पीड़ित” है, न “मानहानि झेलने वाला व्यक्ति”. उन्होंने कहा कि यह शिकायत गांधी को परेशान करने की कोशिश है, जबकि वे विपक्ष के नेता के तौर पर सवाल उठा रहे थे.
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 29 मई को गांधी की याचिका ख़ारिज कर दी थी. अदालत ने कहा था कि अभिव्यक्ति की आज़ादी में भारतीय सेना के खिलाफ मानहानिकारक बयान देने की स्वतंत्रता शामिल नहीं है.
शिकायत पूर्व सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) निदेशक उदय शंकर श्रीवास्तव ने दर्ज कराई थी. इसमें आरोप है कि गांधी ने 9 दिसंबर 2022 को भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच हुई झड़प पर आपत्तिजनक टिप्पणी की.
श्रीवास्तव ने कहा कि गांधी ने बार-बार कहा कि चीनी सेना “हमारे सैनिकों को पीट रही है” और “भारतीय प्रेस इस बारे में सवाल नहीं करेगा”, जिससे सेना की मानहानि हुई.
ट्रायल कोर्ट ने माना कि गांधी का बयान “भारतीय सेना और उनके परिवारों का मनोबल गिराने वाला” लगता है और सम्मन जारी किया.
सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सीमा पर संघर्ष होने पर दोनों पक्षों में हताहत होना असामान्य नहीं है.
पीठ ने सिंघवी से पूछा, “डॉ. सिंघवी, बताइए कि आपको कैसे पता चला कि 2,000 वर्ग किलोमीटर भारतीय क्षेत्र पर चीन ने क़ब्ज़ा कर लिया? क्या आप वहां थे? क्या आपके पास कोई ठोस सबूत है? बिना… क्यों ऐसे बयान देते हैं? अगर आप सच्चे भारतीय होते तो यह सब नहीं कहते.”
सिंघवी ने बताया कि गांधी का मक़सद जानकारी छुपाने पर चिंता जताना था. इस पर पीठ ने कहा कि गांधी को यह मुद्दा सही मंच पर उठाना चाहिए.