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Friday, 22 November, 2024
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तीन तलाक बिल पहले भी हो चुका है 2 बार लोकसभा में पास, 20 देशों में है प्रतिबंध

 मोदी सरकार के पिछले कार्यकाल के दौरान दिसंबर 2018 में भी यह बिल लोक सभा पास हो गया था, पिछले साल अगस्त में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद केंद्र सरकार ने इस पर सख्त कानून बनाने का फैसला किया था.

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नई दिल्ली: तीन तलाक बिल मंगलवार को राज्यसभा में पेश किया गया. लोकसभा में तीन तलाक बिल 25 जुलाई को पहले ही पास हो चुका है. मोदी सरकार के पिछले कार्यकाल के दौरान दिसंबर 2018 में भी यह बिल लोक सभा पास हो गया था, लेकिन राज्यसभा में यह अटक गया था. पिछले साल अगस्त में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद केंद्र सरकार ने इस पर सख्त कानून बनाने का फैसला किया था.

बता दें कि सायरा बानो केस पर फैसला सुनाते हुए साल 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने तत्काल प्रभाव से तीन तलाक को असंवैधानिक घोषित कर दिया था. अलग-अलग धर्मों वाले 5 जजों की बेंच ने 3-2 से फैसला सुनाते हुए सरकार से तीन तलाक पर छह महीने के अंदर कानून लाने को कहा था.

20 देशों में है तीन तलाक पर प्रतिबंध

लोकसभा में तीन तलाक बिल पास होने से पहले केंद्रीय कानून मंत्री ने रविशंकर प्रसाद ने बताया कि तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद से 24 जुलाई तक तीन तलाक के 345 मामले आ चुके हैं. प्रसाद ने सदन से पूछा कि क्या इन महिलाओं को सरकार ऐसे ही सड़क पर छोड़ दें. केंद्रीय मंत्री प्रसाद ने कहा कि 20 से अधिक देशों में तीन तलाक पर प्रतिबंध है इसलिए इस कानून को राजनीति के चश्मे से नहीं देखना चाहिए.

बिल पारित होने से पहले बिल पर चर्चा के दौरान लैंगिक न्याय को नरेंद्र मोदी सरकार का मूल तत्व बताते हुए कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि तीन तलाक पर रोक लगाने संबंधी विधेयक सियासत, धर्म, सम्प्रदाय का प्रश्न नहीं है बल्कि यह ‘नारी के सम्मान और नारी-न्याय’ का सवाल है और हिन्दुस्तान की बेटियों के अधिकारों की सुरक्षा संबंधी इस पहल का सभी को समर्थन करना चाहिए.

तीन तलाक पर भले ही भारत में बड़ी बहस चल रही हो और देश में दो फाड़ हो लेकिन मुस्लिम बहुल देशों में भी तीन तलाक प्रतिबंधित है. वैसे दुनिया का पहला देश मिस्र है जहां 1929 में ही इसमें बड़ा बदलाव किया गया. मिश्र के बाद सूडान, श्रीलंका, इराक, साइप्रस, जॉर्डन, अल्जीरिया, इरान, ब्रुनेई, मोरक्को, कतर और संयुक्त अरब अमीरात में भी तीन तलाक पर प्रतिबंध है. पाकिस्तान और भारत भले ही एक साथ आज़ाद हुए हों लेकिन महिलाओं की स्थिति को देखते हुए 1955 में ही तीन तलाक पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. जबकि बांग्लादेश में 1971 में इस पर प्रतिबंध लगाया गया था.

पहले दो बार जारी हो चुका है अध्यादेश 

इसे पहले सरकार ने सितंबर 2018 और फरवरी 2019 में दो बार तीन तलाक अध्यादेश जारी किया था. क्योंकि लोकसभा में इस विवादास्पद विधेयक के पारित होने के बाद वो राज्यसभा में अटक गया था. मुस्लिम महिला (विवाह पर अधिकारों का संरक्षण) अध्यादेश- 2019 के तहत तीन तलाक अवैध, अमान्य है.

इस बिल के अनुसार तत्काल तीन तलाक अपराध संज्ञेय यानी इसे पुलिस सीधे गिरफ्तार कर सकती है. लेकिन यह तभी संभव होगा जब महिला खुद शिकायत करेगी.

इसके साथ ही खून या शादी के रिश्ते वाले सदस्यों के पास भी केस दर्ज करने का अधिकार रहेगा. पड़ोसी या कोई अनजान शख्स इस मामले में केस दर्ज नहीं कर सकता है.

इस अध्यादेश के मुताबिक तीन तलाक देने पर पति को तीन साल की सजा का प्रावधान रखा गया. हालांकि, किसी संभावित दुरुपयोग को देखते हुए विधेयक में अगस्त 2018 में संशोधन कर दिए गए थे.

इस बिल में मौखिक, लिखित, इलेक्ट्रॉनिक (एसएमएस, ईमेल, वॉट्सऐप) को अमान्य करार दिया गया और ऐसा करने वाले पति को तीन साल की सजा का प्रावधान जोड़ा गया.

बिल में यह भी है प्रावधान

मजिस्ट्रेट आरोपी को जमानत दे सकता है. जमानत तभी दी जाएगी, जब पीड़ित महिला का पक्ष सुना जाएगा,

पीड़ित महिला के अनुरोध पर मजिस्ट्रेट समझौते की अनुमति दे सकता है,

पीड़ित महिला पति से गुज़ारा भत्ते का दावा कर सकती है, महिला को कितनी रकम दी जाए यह जज तय करेंगे.

पीड़ित महिला के नाबालिग बच्चे किसके पास रहेंगे इसका फैसला भी मजिस्ट्रेट ही करेगा.

इसके मुताबिक अगर कोई भी पति अपनी पत्नी को तीन तलाक देने की कोशिश करता है तो उसे इसके लिए तीन साल तक की कैद की सजा हो सकती है.

तीन तलाक पर विरोध कर रहे राजनीतिक दलों का विरोध कर रहे दलों का कहना है कि यदि पति को तीन साल की सजा हो जाती है तो पति पत्नी को गुजारा भत्ता कहां से देगा.

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