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Tuesday, 5 November, 2024
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‘मैं BJP के साथ रहना चाहता हूं, शाह से मिलूंगा’, TMC नेता मुकुल रॉय ने फिर BJP में जाने की घोषणा की

तृणमूल कांग्रेस के संस्थापक सदस्य रहे रॉय 2017 में भाजपा में शामिल हुए थे. 2011 में उन्होंने पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में भाजपा उम्मीदवार के तौर पर जीत हासिल की थी.

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नई दिल्ली: तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के वरिष्ठ नेता मुकुल रॉय के अगले कदम के बारे में राजनीतिक विश्लेषक अटकलें ही लगा रहे थे कि मंगलवार रात उन्होंने (रॉय ने) कहा कि वह अब भी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक हैं और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मिलना चाहते हैं क्योंकि भाजपा में लौटने के इच्छुक हैं.

रॉय सोमवार रात ‘‘कुछ निजी काम’’ से दिल्ली गए थे, हालांकि शुरू में उनके परिवार ने दावा किया था कि वह ‘‘लापता’’ हो गए हैं. परिवार ने दावा किया कि उनकी ‘‘मानसिक स्थिति ठीक’’ नहीं है और कहा कि भाजपा को टीएमसी नेता का इस्तेमाल कर गंदी राजनीति नहीं करनी चाहिए, जो कि अस्वस्थ हैं.

मंगलवार शाम को एक बंगाली समाचार चैनल से रॉय ने कहा, ‘‘मैं एक भाजपा विधायक हूं. मैं भाजपा के साथ रहना चाहता हूं. पार्टी ने मेरे यहां ठहरने के लिए इंतजाम किए हैं. मैं अमित शाह से मिलना चाहता हूं और जे पी नड्डा से बात करना चाहता हूं.’’

तृणमूल कांग्रेस के संस्थापक सदस्य रहे रॉय 2017 में भाजपा में शामिल हुए थे. 2011 में उन्होंने पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में भाजपा उम्मीदवार के तौर पर जीत हासिल की थी. हालांकि, इसके तुरंत बाद वह विधानसभा से इस्तीफा दिए बिना तृणमूल कांग्रेस में वापस आ गए.

रॉय ने कहा, ‘‘मैं कुछ समय से अस्वस्थ था, इसलिए मैं राजनीति से दूर था. लेकिन अब मैं ठीक हूं और मैं फिर से राजनीति में सक्रिय होऊंगा.’’

उन्होंने कहा कि वह ‘‘100 प्रतिशत आश्वस्त हैं कि वह तृणमूल कांग्रेस के साथ कभी संबंध नहीं रखेंगे.’’

रॉय ने अपने बेटे शुभ्रांशु को भी एक सलाह दी. उन्होंने कहा, ‘‘उन्हें (शुभ्रांशु को) भी भाजपा में शामिल हो जाना चाहिए क्योंकि यह उनके लिए सबसे उपयुक्त होगा.’’

रॉय का कोई अता-पता नहीं था और इसे लेकर नाटकीय घटनाक्रम सोमवार देर शाम शुरू हुआ, जब तृणमूल कांग्रेस नेता के परिवार के सदस्यों ने दावा किया कि वह ‘‘लापता’’ हो गए हैं.

रॉय के दिल्ली जाने से उनके अगले राजनीतिक कदम को लेकर अटकलबाजी शुरू हो गयी है.

बीती रात को दिल्ली पहुंचने के बाद रॉय ने पत्रकारों से कहा कि वह राष्ट्रीय राजधानी पहुंच गए हैं लेकिन उनका ‘‘कोई खास एजेंडा’’ नहीं है.

उन्होंने कहा, ‘‘मैं दिल्ली आ गया हूं. कोई खास एजेंडा नहीं है. मैं कई वर्षों तक संसद सदस्य रहा हूं. क्या मैं दिल्ली नहीं आ सकता? पहले भी, मैं नियमित तौर पर दिल्ली आता रहता था.’’

पूर्व रेल मंत्री के बेटे शुभ्रांशु रॉय ने कहा था कि उनके पिता का सोमवार देर शाम से ‘‘अता-पता नहीं’’ है और वह ‘‘लापता’’ हैं.

मीडिया के एक वर्ग में कयास लगाए जा रहे हैं कि रॉय भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हो सकते हैं. इस पर शुभ्रांशु ने कहा ने कहा कि उनके पिता ‘‘बहुत ज्यादा बीमार’’ हैं और वह ‘‘डिमेंशिया तथा पार्किंसन बीमारी’’ से जूझ रहे हैं.

उन्होंने पत्रकारों से कहा, ‘‘मेरे पिता की मानसिक स्थिति ठीक नहीं है. मैं सभी से किसी अस्वस्थ व्यक्ति को लेकर राजनीति न करने का अनुरोध करता हूं. उनके लापता होने के बाद मैंने गत रात पुलिस में शिकायत भी दर्ज करायी थी.’’

रॉय के बेटे ने दावा किया कि जब उन्हें सोमवार रात को पता चला कि टीएमसी नेता दिल्ली जा रहे हैं तो उन्होंने प्राधिकारियों से उन्हें विमान से उतारने का अनुरोध किया था लेकिन तब तक ‘‘विमान ने उड़ान भर ली थी.’’

रॉय के भाजपा में शामिल होने की अटकलें तब तेज हो गयी जब भाजपा के राष्ट्रीय सचिव अनुपम हाजरा ने फेसबुक पर एक अस्पष्ट पोस्ट करते हुए लिखा, ‘‘कमबैक’’.

एक समाचार चैनल से बातचीत में हाजरा ने कहा, ‘‘यह वक्त इंतजार करने और देखने का है. कृपया एक या दो दिन इंतजार करिए, बहुत जल्द ही सब कुछ साफ हो जाएगा.’’

हाजरा की टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया देते हुए शुभ्रांशु ने कहा कि यह टीएमसी तथा उसके राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी की छवि खराब करने की कोशिश है.

उन्होंने कहा, ‘‘यह शर्मनाक है कि कुछ लोग इतना नीचे गिर गए हैं और मेरे पिता के दिल्ली जाने पर राजनीति कर रहे हैं. यह टीएमसी और हमारी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी की छवि बिगाड़ने की कोशिश है.’’

रॉय टीएमसी नेतृत्व से मतभेदों के बाद 2017 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हो गए थे. उन्हें भाजपा का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया था. रॉय ने भाजपा के टिकट पर 2021 का विधानसभा चुनाव जीता था लेकिन वह नतीजों की घोषणा के करीब एक माह बाद टीएमसी में लौट आए थे.

टीएमसी में लौटने के बाद से ही वह जनता की नजरों से दूर रहे हैं. उन्होंने अपनी खराब सेहत का हवाला देते हुए पिछले साल पश्चिम बंगाल विधानसभा में लोक लेखा समिति के अध्यक्ष का पद छोड़ दिया था.


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