चंडीगढ़: नरेंद्र मोदी सरकार के तीन नए कृषि क़ानूनों के खिलाफ किसानों के विरोध प्रदर्शन के मद्देनज़र विशेष रूप से बुलाए गए पंजाब विधानसभा के दो दिन के सत्र में सोमवार को पहले दिन कई नाटकीय दृश्य देखने को मिले.
सत्ताधारी कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल के विधायक किसानों से एक जुटता दिखाने के लिए ट्रैक्टरों पर सवार होकर विधानसभा आए, जबकि आम आदमी पार्टी विधायक काली पोशाकों में आए और सदन की कार्यवाही शुरू होने से पहले, उन्होंने तीनों क़ानूनों की प्रतियां आग के हवाले कीं.
किसान दो महीने से अधिक से तीन केंद्रीय कृषि विधेयकों (अब क़ानूनों) के ख़िलाफ आंदोलन कर रहे हैं और केंद्र से उन्हें रद्द करने की मांग कर रहे हैं. मंगलवार को पंजाब विधानसभा में इन क़ानूनों के ख़िलाफ एक विधेयक पेश किए जाने की संभावना है.
लेकिन, दिन भर के लिए सदन को स्थगित किए जाने के बाद आप विधायकों ने सदन के अंदर अनिश्चितकालीन धरना शुरू कर दिया और स्पीकर से मांग की कि मंगलवार को सदन में रखने से पहले उन्हें प्रस्तावित विधेयक की एक प्रति दी जाए. आप विधायकों ने तय किया है कि अगर उनकी मांग नहीं मानी गई, तो वो पूरी रात सदन के हाल में बैठे रहेंगे.
अकाली भी पंजाब भवन के बाहर अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ गए हैं, जिसे दो-दिवसीय सत्र की ख़ातिर विधानसभा का विस्तार घोषित किया गया था. अकाली नेता भी प्रस्तावित विधेयक की एक प्रति मांग रहे हैं.
सदन में क्या हुआ
पहले दिन वास्तविक सत्र मुश्किल से आधे घंटे चला. जबकि ज़्यादातर गतिविधियां बाहर देखी गईं.
दिवंगतों के प्रति श्रद्धांजलि के दौरान मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने उन किसानों को श्रद्धांजलियां पेश करने में सदन की अगुवाई की, जिन्होंने इस आंदोलन के दौरान अपनी जानें गंवा दीं. ये श्रद्धांजलियां मूल सूची में नहीं थीं लेकिन वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह के आग्रह पर बाद में शामिल की गईं.
बादल ने भी श्रद्धांजलियों की सूची में, शौर्य चक्र विजेता बलविंदर सिंह संधू का नाम जुड़वाया. संधू, जिन्होंने पंजाब में उग्रवाद से लोहा लिया था पिछले हफ्ते भिखविंद में अपने घर के बाहर अज्ञात हमलावरों द्वारा क़त्ल कर दिए गए थे.
इसके बाद सदन को एक घंटे के लिए स्थगित कर दिया गया और जब कार्यवाही दोबारा शुरू हुई तो स्पीकर ने दिन के अधिकारिक कामकाज का ऐलान किया. लेकिन, फिर अकाली विधायक ये कहते हुए अध्यक्ष के आसन के सामने आ गए, कि किसानों के मुद्दों पर चर्चा के अलावा, सदन में कोई और आधिकारिक कामकाज नहीं किया जाएगा. आप विधायक भी अपनी सीटों से उठ गए, और प्रस्तावित विधेयक की प्रति मांगने लगे.
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24 मिनट के हंगामे के बाद, स्पीकर ने सदन को दिन भर के लिए स्थगित कर दिया.
अकाली विधायक बिक्रम सिंह मजीठिया ने मीडिया से कहा, ‘सदन का विशेष सत्र केवल किसानों के आंदोलन, और तीन केंद्रीय क़ानूनों पर चर्चा के लिए बुलाया गया है. इस सत्र को सदन के किसी सामान्य सत्र की तरह नहीं देखा जा सकता.
उन्होंने कहा, ‘पंजाब के लिए किसानों का मुद्दा सबसे अहम है, और इसे सत्र के सामान्य कामकाज के, एक पहलू के रूप में शामिल करना, उन हज़ारों किसानों का अपमान है, जो पूरे प्रांत में सड़कों पर उतर कर विरोध कर रहे हैं’.
आप विधायक अमन अरोड़ा ने आगे कहा: ‘ हम सत्र से पहले एक सर्वदलीय सेमिनार चाहते थे, जिसमें किसान हिस्सा लें और विचार विमर्श करें. लेकिन कांग्रेस एक बिल्कुल अपारदर्शी ढंग से काम कर रही है. हम यहां से तब तक नहीं उठेंगे, जब तक हमें प्रस्तावित विधेयक की कॉपी नहीं मिल जाती’.
इससे पहले दिन, सीएम अमरिंदर सिंह ने केंद्रीय कृषि क़ानूनों के खिलाफ सीधा मुक़ाबला करने की बात की थी, और उनकी मंत्री परिषद ने उन्हें अधिकृत किया था, कि किसानों के हितों की रक्षा के लिए, वो कोई भी उचित विधायी या क़ानूनी क़दम उठा सकते हैं.
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