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Sunday, 22 December, 2024
होमराजनीति'आज दिल्ली में, कल अन्य राज्यों में लाया जाएगा'- केजरीवाल ने अध्यादेश को लेकर केंद्र पर हमला किया

‘आज दिल्ली में, कल अन्य राज्यों में लाया जाएगा’- केजरीवाल ने अध्यादेश को लेकर केंद्र पर हमला किया

दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल ने कहा कि अगर गैर-बीजेपी पार्टियां साथ आती हैं तो केंद्र के अध्यादेश को राज्यसभा में मात दी जा सकती है.

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नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी (आप) के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने रविवार को दावा किया कि केंद्र सरकार दिल्ली में जो अध्यादेश लाई थी, वह अन्य राज्यों में भी लाया जाएगा.

रामलीला मैदान में केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ आप की रैली को संबोधित करते हुए केजरीवाल ने कहा, ”हमें पता चला है कि यह मोदी जी का पहला हमला है. अध्यादेश के जरिए आज दिल्ली में तानाशाही लागू की जा रही है. कल इसे हर जगह लाया जाएगा, पंजाब, एमपी, राजस्थान.”

उन्होंने आगे कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ उनकी पार्टी का आंदोलन सफल रहा उसी तरह संविधान बचाने का आंदोलन भी सफल होगा.

उन्होंने कहा, “12 साल पहले हम इसी रामलीला मैदान में भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने के लिए एकत्र हुए थे, मैं इस मंच को नमन करता हूं, यह एक पवित्र मंच है. आज इस मंच से हम एक अहंकारी तानाशाह को देश से हटाने के लिए एकत्रित हुए हैं. जिस तरह भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन सफल हुआ, उसी तरह संविधान बचाने का यह आंदोलन भी सफल होगा.”

दिल्ली के मुख्यमंत्री ने सुप्रीम कोर्ट में ‘दिल्लीवासियों की लड़ाई लड़ने’ के लिए अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी को धन्यवाद दिया.

केजरीवाल ने कहा, “सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली की जनता के पक्ष में फैसला दिया. दिल्लीवासियों की लड़ाई लड़ने के लिए मैं इस मंच से अभिषेक मनु सिंघवी को धन्यवाद देता हूं. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के एक हफ्ते के भीतर ही प्रधानमंत्री ने इसे पलट दिया. पहली बार 75 साल में, ऐसा प्रधानमंत्री आया है.”

उन्होंने आगे कहा, ”आज देश में लोकतंत्र खत्म हो रहा है, इसे तानाशाही कहते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि भारत लोकतंत्र है, जनता सरकार चुनती है और सरकार को काम करने का अधिकार है. लेकिन मोदी जी कहते हैं उन्हें सुप्रीम कोर्ट का आदेश नहीं है और उन्होंने अध्यादेश के जरिए उस फैसले को बदल दिया है. मोदी जी का अध्यादेश कहता है कि अब दिल्ली में लोकतंत्र नहीं रहेगा, तानाशाही चलती रहेगी, प्रधानमंत्री कहते हैं कि एलजी के जरिए सरकार चलाएंगे.”

सीएम केजरीवाल ने आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता उन्हें हर दिन गाली देते रहे लेकिन वह अपने काम में व्यस्त हैं और अध्यादेश को खारिज करते रहेंगे.

उन्होंने कहा, “26 जनवरी 1950 को संविधान लागू करते समय बाबा साहेब ने कहा था कि जनता सर्वोपरि होगी, लेकिन मोदी जी ने संविधान की धज्जियां उड़ा दी हैं. लेकिन मोदी जी ने अध्यादेश के साथ दिल्ली के लोगों को थप्पड़ मारा है. मैं इस अध्यादेश को खारिज करता रहूंगा.”

राष्ट्रीय राजधानी में प्रशासनिक सेवाओं पर नियंत्रण संबंधी केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ आप ने रविवार को दिल्ली के रामलीला मैदान में एक मेगा रैली का आयोजन किया.

दिल्ली के मुख्यमंत्री और आप के संयोजक अरविंद केजरीवाल, उनके पंजाब समकक्ष भगवंत मान, दिल्ली के मंत्री गोपाल राय और पार्टी सांसद संजय सिंह ने रैली को संबोधित किया.

विशेष रूप से, प्रसिद्ध वकील और पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने भी रैली को संबोधित किया और अध्यादेश के कानूनी और संवैधानिक पहलुओं के बारे में बात की. सिब्बल ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के निमंत्रण पर रैली में भाग लिया.

रैली को देखते हुए दिल्ली पुलिस ने रामलीला मैदान के आसपास भारी सुरक्षा बंदोबस्त किया है.

23 मई से, केजरीवाल ने अध्यादेश के खिलाफ विपक्षी दलों से समर्थन लेने के लिए देशव्यापी दौरे की शुरुआत की.

आप के राष्ट्रीय संयोजक अब तक पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख अखिलेश यादव, महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) सुप्रीमो शरद पवार, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनके डिप्टी तेजस्वी यादव से मुलाकात कर चुके हैं.

बुधवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल ने कहा कि अगर गैर-बीजेपी पार्टियां साथ आती हैं तो केंद्र के अध्यादेश को राज्यसभा में मात दी जा सकती है. उन्होंने कहा कि इससे एक कड़ा संदेश जाएगा कि मोदी सरकार 2024 में सत्ता में नहीं आएगी.

केंद्र सरकार ने 19 मई को ‘स्थानांतरण पोस्टिंग, सतर्कता और अन्य प्रासंगिक मामलों’ के संबंध में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार के लिए नियमों को अधिसूचित करने के लिए एक अध्यादेश लाई.

अध्यादेश को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार अधिनियम, 1991 में संशोधन करने के लिए लाया गया था और यह केंद्र बनाम दिल्ली मामले में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को दरकिनार करता है.


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