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Wednesday, 18 December, 2024
होमराजनीतिTMC चाहती है कि ऑफिस बनाने के लिए दिल्ली की जमीन से 'अवैध' मंदिरों को हटाया जाए, सरकार ने कहा ये पार्टी का काम  

TMC चाहती है कि ऑफिस बनाने के लिए दिल्ली की जमीन से ‘अवैध’ मंदिरों को हटाया जाए, सरकार ने कहा ये पार्टी का काम  

तृणमूल कांग्रेस को अपने कार्यालय के लिए दिल्ली में आवंटित भूमि पर अतिक्रमण हटाने को लेकर मोदी सरकार के साथ टकराव करना पड़ रहा है.

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नई दिल्ली: दो अनधिकृत मंदिरों और भाजपा और तृणमूल कांग्रेवस (टीएमसी) के बीच राजनीतिक टकराव ने पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ पार्टी के दिल्ली में अपना ऑफिस बनाने की संभावनाओं पर ग्रहण लगा दिया है.

केंद्रीय आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय ने दिसंबर 2013 में तृणमूल कांग्रेस को अपने कार्यालय के निर्माण के लिए मध्य दिल्ली के दीनदयाल उपाध्याय मार्ग में 1,008 वर्ग मीटर भूमि आवंटित की थी.

लेकिन प्लॉट नंबर 4 और 5 पार्टी को आवंटित होने के लगभग सात साल बाद भी तृणमूल कांग्रेस को अब तक कब्जा नहीं मिल पाया है. कारण है, यहां काफी हिस्से में अतिक्रमण होना, जिनमें दो मंदिर भी शामिल हैं. यद्यपि अतिक्रमण तो भूमि टीएमसी को आवंटित किए जाने से पहले ही हो चुका था लेकिन अब यह और भी ज्यादा बढ़ गया है.

टीएमसी के सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि पार्टी चाहती है कि इस जमीन पर स्वामित्व का अधिकार रखने वाला आवास मंत्रालय अतिक्रमण हटवाए और फिर भूमि उसे सौंप दे ताकि वहां पर काम शुरू कराया जा सके. पार्टी ने यह भी कहा कि केंद्र सरकार जानबूझकर बंगाल को इससे ‘वंचित’ कर रही है.

इस बीच, मंत्रालय का कहना है कि यह आवंटन ‘जिस स्थिति में है उसी स्थिति’ के आधार पर किया गया था और अब यहां से अतिक्रमण हटाना अलॉटी यानी कि तृणमूल कांग्रेस की जिम्मेदारी है.


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‘हमें खैरात की जरूरत नहीं, जो अधिकार है वही चाहते हैं’

अपना नाम न छापने की शर्त पर तृणमूल के एक वरिष्ठ सांसद ने दिप्रिंट से कहा, ‘हम संसद में तीसरी सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी हैं और चुनाव आयोग की तरफ से मान्यता प्राप्त कुछ राष्ट्रीय दलों में शामिल हैं. फिर भी हमें अब भी दिल्ली में अपना कार्यालय बनाने के लिए जमीन नहीं सौंपी गई है.’

उन्होंने कहा, ‘हमने कई साल पहले ही जमीन के लिए भुगतान किया था और अब हमें अनावश्यक रूप से टरकाया जा रहा है. हम कोई खैरात नहीं मांग रहे हैं, बल्कि वही चाहते हैं जो हमारा अधिकार है. केंद्र बंगाल को कैसे दबा रहा है, इसके दर्जनों उदाहरण हैं. यह भी उन्हीं में से एक है.’

पार्टी सूत्रों ने कहा कि राज्यसभा में पार्टी के संसदीय दल के नेता डेरेक ओ ब्रायन और राज्यसभा सांसद सुब्रत बख्शी सहित कई टीएमसी के कई वरिष्ठ नेताओं की तरफ से मंत्रालय को पत्र लिखे गए हैं, जिसमें भूमि अतिक्रमण मुक्त करके पार्टी को दिलाने का अनुरोध किया गया है.

दिप्रिंट के पास ऐसा ही एक पत्र मौजूद है जिसे 2017 में डेरेक ओ ब्रायन ने आवास और शहरी मामलों के मंत्री हरदीप पुरी को लिखा था. इसमें उन्होंने कहा था, ‘लगभग 50 सांसदों वाले एक मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय पार्टी के सदस्य के नाते आपको यह बताते हुए मुझे काफी दुख हो रहा है कि सालों कई जगह चक्कर काटने के बावजूद हम अब भी दिल्ली में अपना ऑफिस नहीं बना पाए हैं. यही वजह है कि हम हस्ताक्षरकर्ता के निवास से ही दफ्तर चलाने के लिए मजबूर हैं.’

टीएमसी सूत्रों ने कहा कि इस तरह का आखिरी पत्र बख्शी ने फरवरी 2019 में मंत्रालय में भूमि एवं विकास अधिकारी को लिखा था, जिसमें अनुरोध किया गया था कि वह इसे ‘जिस स्थिति में उसी स्थिति के आधार पर’ के बजाये प्लॉट को खाली कराकर कब्जा सौंपने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए.

‘हमारी भूमि आवंटन नीति एकदम स्पष्ट है’

आवास मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी, जो नाम नहीं देना चाहते थे, ने दिप्रिंट से कहा, ‘इस बारे में हमारी भूमि आवंटन नीति एकदम स्पष्ट है.’

उन्होंने बताया, ‘इसमें स्पष्ट कहा गया है कि आवंटित भूमि पर किसी अतिक्रमण और अवैध निर्माण को हटाना आवंटी की जिम्मेदारी होगी.’

केंद्र सरकार की व्यवस्था के तहत, चुनाव आयोग की तरफ से मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय राजनीतिक दल और संसद के दोनों सदनों में कम से कम सात सांसदों वाले क्षेत्रीय दल दिल्ली में अपना दफ्तर बनाने के लिए भूमि आवंटन के लिए अधिकृत माने जाते हैं.

आवंटित प्लॉट का आकार पार्टी के सांसदों की संख्या पर निर्भर करता है. 15 तक सांसदों वाली पार्टी दिल्ली में 500 वर्ग मीटर भूमि पाने के लिए अधिकृत हैं, जबकि 16 से 25 सांसद क्षमता वाली पार्टी 1,000 वर्ग मीटर भूमि के लिए दावेदारी कर सकती है.

राजधानी में अब तक 13 राजनीतिक दलों को जमीन आवंटित की गई है. तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव की अगुवाई वाली तेलंगाना राष्ट्र समिति इस सूची में जुड़ने वाली सबसे नई पार्टी है. इस पार्टी को 2017 में महरौली बदरपुर रोड पर 1,000 वर्ग मीटर भूमि आवंटित की गई थी.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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