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Tuesday, 19 November, 2024
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साउथ में खुद को आजमा रही TMC? कर्नाटक और तेलंगाना में की BJP व कांग्रेस नेताओं से संपर्क की कोशिश

कर्नाटक और तेलंगाना के सियासी हलक़ों में ख़बरें फैल रही हैं, कि TMC नेता और चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर, ऐसे नेताओं से संपर्क साध रहे हैं जिनकी पार्टी से इतर भी ताक़त है.

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बेंगलुरू/हैदराबाद: तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) भले ही गोवा और पूर्वोत्तर में पैर पसारने की कोशिश कर रही हो, लेकिन इसके नेता भारत के दक्षिणी राज्यों में भी अपनी स्थिति को आज़माने की कोशिश कर रहे हैं.

कर्नाटक और तेलंगाना के सियासी हलक़ों में ख़बरें फैल रही हैं कि टीएमसी नेता और चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर- जिनकी राजनीतिक कंसल्टेंसी फर्म आई-पैक (इंडियन पोलिटिकल एक्शन कमेटी) टीएमसी को परामर्श दे रही है- कांग्रेस और बीजेपी नेताओं से संपर्क कर रहे हैं. 25 नवंबर को बेंगलुरू में किशोर की मौजूदगी से अटकलें लगनी शुरू हो गईं कि टीएमसी दोनों पार्टियों के ‘असंतुष्ट’ नेताओं को लुभाने की कोशिश कर रही है.

बीजेपी में येदियुरप्पा ख़ेमे के एक उच्च पदस्थ सूत्र ने दिप्रिंट से कहा, ‘उन्होंने ऐसे नेताओं से संपर्क किया जिनका अपनी जाति-समुदाय में अच्छा जनाधार है. वो पूर्व सीएम बीएस येदियुरप्पा और उनके बेटे तथा प्रदेश बीजेपी उपाध्यक्ष, बीवाई विजयेंद्र से मुलाक़ात करना चाहते थे, लेकिन उनका अनुरोध ठुकरा दिया गया.’

येदियुरप्पा के दफ्तर तथा विजयेंद्र, दोनों की ओर से किसी भी मीटिंग से इनकार किया गया. विजयेंद्र ने दिप्रिंट से कहा, ‘मैं प्रशांत किशोर से नहीं मिला हूं, और न ही मेरे पिता उनसे मिले हैं. हम एमएलसी चुनाव प्रचार में व्यस्त हैं. हमारा लक्ष्य पार्टी को मज़बूत करना और अगले असेम्बली चुनावों की तैयारी करना है.’

इस बीच टीएमसी सांसद सुष्मिता देव ने कहा, कि उनकी पार्टी ‘लोगों के पीछे नहीं जा रही है, बल्कि बहुत से लोग उससे संपर्क कर रहे हैं’.

टीएमसी के एक अन्य नेता ने नाम न छापने की शर्त पर दिप्रिंट से कहा, कि कर्नाटक, तेलंगाना, और तमिलनाडु के नेताओं पर विचार किया जा रहा है. इस नेता का कहना था कि वरिष्ठ नेताओं से सलाह ली जा रही है, कि किन नेताओं से संपर्क किया जाना चाहिए.

दिप्रिंट ने एसएमएस और व्हाट्सएप संदेशों के ज़रिए प्रशांत किशोर से संपर्क किया, लेकिन इस ख़बर के प्रकाशित होने तक, उनका कोई जवाब नहीं मिला था. आई-पैक को भेजे गए संदेशों का भी कोई उत्तर नहीं मिला.


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कर्नाटक कांग्रेस और BJP में सुगबुगाहट

किशोर का बेंगलुरू दौरा ऐसे समय में हुआ जब उनकी राजनीतिक कंसल्टेंसी फर्म, कर्नाटक में राजनीतिक वास्तविकता का आंकलन करने के लिए सर्वेक्षण कर रही है. मई में बंगाल में टीएमसी की जीत के बाद उन्होंने ख़ुद कहा था, कि वो ‘इस काम को छोड़ रहे हैं’. उन्होंने एनडीटीवी से कहा था, ‘मैंने काफी कुछ कर लिया है. अब समय आ गया कि मैं एक ब्रेक लूं, और जीवन में कुछ और करूं. मैं इस काम को छोड़ना चाहता हूं’.

लेकिन, सूत्रों ने बताया कि आई-पैक ऐसे विषयों पर डेटा एकत्र कर रही है, कि क्या कर्नाटक का सियासी माहौल किसी नई पार्टी के प्रवेश के लिए अनुकूल है, क्या प्रमुख नेता इतने असंतुष्ट हैं कि वो अपनी पार्टियां छोड़ देंगे, क्या सेलिब्रिटीज़ चुनावी राजनीति में स्वीकार्य हैं.

किशोर के बेंगलुरू दौरे से कांग्रेस ख़ेमे में सुगबुगाहट शुरू हो गई और अटकलें लगने लगीं कि उन्होंने पूर्व सीएम सिद्धारमैया तथा लिंगायत समुदाय के कुछ प्रमुख नेताओं से मुलाक़ात की है.

एक कांग्रेस विधायक और सिद्धारमैया के क़रीबी सहयोगी ने दिप्रिंट को बताया, ‘सिद्धारमैया चार महीने पहले पश्चिम बंगाल चुनावों के दौरान प्रशांत किशोर से मिले थे. किशोर ने अपनी कंसल्टेंसी फर्म के काम के सिलसिले में सिद्धारमैया से संपर्क किया था, लेकिन जबसे किशोर राहुल गांधी से अलग हुए, तब से सिद्धारमैया ने उनसे बात नहीं की है’.

कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष डीके शिवकुमार के एक क़रीबी सहयोगी ने आगे कहा: ‘शिवकुमार और एमबी पाटिल के नाम अनावश्यक रूप से फैलाए जा रहे हैं. दोयम दर्जे के कुछ नेता किशोर से मिले थे, जब वो बेंगलुरू में थे, शिवकुमार नहीं मिले थे’.

सहयोगी ने कहा कि लिंगायत लीडर पाटिल ने भी चुनावी रणनीतिकार से मुलाक़ात नहीं की.

एक अन्य वरिष्ठ कांग्रेस नेता का कहना था कि टीएमसी ‘शायद स्थिति का आकलन’ कर रही है. इस नेता ने कहा, ‘वो सांसदों को टीएमसी में लुभाने की कोशिश कर रहे हैं. ऐसा लगता है कि टीएमसी उम्मीद कर रही है, कि और अधिक सूबों में अपनी मौजूदगी बढ़ाने के लिए, अगले दो महीनों में वो दक्षिणी सूबों से, कम से कम तीन सांसदों को अपने पाले में ले आएगी’.

इस बीच बीजेपी सूत्रों ने कहा कि किशोर का 25 नवंबर का दौरा, उनके सिलसिलेवार दौरों में पहला था, जिसके अगले साल के लिए, हर दो महीने पर होने की अपेक्षा है.

राज्य मंत्रिमंडल के एक सूत्र ने, जिनके एक परिचित ने किशोर से मुलाक़ात की थी, दिप्रिंट को बताया, ‘ज़मीनी वास्तविकता को समझने के लिए, उन्होंने ऐसे चार-पांच लोगों से बातचीत की थी, जो कर्नाटक की सियासत को समझते हैं. हो सकता है कि इस बार उनके संपर्क किए जाने पर, नेताओं ने प्रतिक्रिया न दी हो, लेकिन वो सिर्फ अपना आधार बना रहे हैं, और अपेक्षा है कि वो कई बार ऐसे संपर्क करेंगे’.

तेलंगाना आउटरीच

क़यास लगाए जा रहे हैं कि तेलंगाना में किशोर की टीम ने, तीन पूर्व सांसदों से संपर्क साधा है जो कांग्रेस के साथ थे या हैं. कर्नाटक की तरह ही यहां भी ये आई-पैक के प्रयासों का हिस्सा है, जो राज्य में टीएमसी के लिए एक टीम बनाना चाहती है. सूत्रों के अनुसार ज़्यादातर पार्टी का फोकस संसद के लिए उम्मीदवारों पर है.

एक कांग्रेसी नेता ने, जिनका दावा था कि किशोर की टीम ने उनसे संपर्क साधा था, नाम न बताने की शर्त पर दिप्रिंट से कहा, ‘वो पार्टी के अंदर ज़्यादा मुखर नेताओं को लक्ष्य बना रहे हैं, पूर्व सांसद और ऐसे नेता जिनकी मीडिया में अच्छी मौजूदगी है. उनका विचार ये है कि उम्मीदवार मज़बूत होना चाहिए, और पार्टी से इतर भी उसकी अपनी ताक़त होनी चाहिए’.

नेता ने कहा, ‘तेलंगाना में कांग्रेस उनके लिए एक आसान लक्ष्य है…वो सत्तारूढ़ टीआरएस (तेलंगाना राष्ट्र समिति) को नहीं छू सकते, जो बहुत ताक़तवर है और बीजेपी भी मज़बूत है’.

क़यास से भी है कि आई-पैक टीम ने पूर्व सांसद कोंडा विश्वेश्वर रेड्डी से भी संपर्क किया, जो कांग्रेस के साथ थे. लेकिन जब दिप्रिंट ने टिप्पणी लेने के लिए उनसे फोन पर संपर्क किया, तो रेड्डी ने ऐसी किसी मीटिंग से इनकार कर दिया.

रेड्डी पहले के चंद्रशेखर राव की टीआरएस के साथ थे, लेकिन 2018 में उसे छोड़कर वो कांग्रेस में शामिल हो गए. इसी साल उन्होंने कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया.

प्रदेश कांग्रेस नेताओं ने कहा कि टीएमसी तेलंगाना में एक ‘तत्काल नेतृत्व’ की तलाश में है, इसलिए उसे ऐसे उम्मीदवारों की तलाश है, जिनका अपना जनाधार हो. उन्होंने कहा कि ऐसे प्रयास अक्टूबर से चल रहे हैं.

विपक्षी पार्टी तेलंगाना जन समिति के संस्थापक, और एक समय मुख्यमंत्री केसीआर के क़रीबी सहयोगी रहे, प्रोफेसर कोडंदरम से भी कथित रूप से संपर्क किया गया. कोडंदरम ने ऐसी किसी बैठक से इनकार किया, लेकिन उनके क़रीबी एक सूत्र ने दिप्रिंट को बताया, कि कई महीने पहले एक ‘आकस्मिक सभा’ में वो टीएमसी के सदस्यों से मिले थे.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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