scorecardresearch
Thursday, 21 November, 2024
होमराजनीतिTMC सांसद जवाहर सरकार ने छोड़ी राजनीति, आरजी कर मामले में ममता के रवैये को बताई वजह

TMC सांसद जवाहर सरकार ने छोड़ी राजनीति, आरजी कर मामले में ममता के रवैये को बताई वजह

2021 में राजनीति में कदम रखने वाले पूर्व आईएएस अधिकारी जवाहर सरकार ने टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी को लिखे पत्र में कहा कि वह ‘भ्रष्ट अधिकारियों को शीर्ष पद मिलना स्वीकार नहीं कर सकते’.

Text Size:

कोलकाता: तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सांसद जवाहर सरकार ने राजनीति छोड़ने और संसद के ऊपरी सदन से इस्तीफा देने का फैसला ऐसे समय में किया है, जब पश्चिम बंगाल में कोलकाता के एक सरकारी अस्पताल में ट्रेनी डॉक्टर के साथ हुए जघन्य बलात्कार-हत्याकांड को लेकर व्यापक विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं.

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को लिखे दो पन्नों के पत्र में अपने इस्तीफे की घोषणा करते हुए जवाहर सरकार ने आरजी कर अस्पताल में बलात्कार-हत्याकांड में बहुत देर से हस्तक्षेप करने के लिए उनकी सरकार की आलोचना की और विरोध की तीव्रता को तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) में “कुछ खास लोगों और भ्रष्ट लोगों के अनियंत्रित दबंग रवैये” से जोड़ा.

उनका बयान सीएम के लगभग एक महीने से चले आ रहे रुख के बिल्कुल उलट है, जिसमें उन्होंने कहा है कि विरोध प्रदर्शन राजनीति से प्रेरित हैं, और कई पार्टी नेता भी सार्वजनिक रूप से उन्हीं की बातों से मेल खाती हुई टिप्पणियां कर रहे हैं.

दिप्रिंट के पास इस पत्र की एक प्रति है.

8 सितंबर को लिखे गए पत्र में कहा गया है, “आरजी कर अस्पताल में हुई भयानक घटना के बाद से मैं एक महीने तक धैर्यपूर्वक पीड़ा महसूस करता रहा और ममता बनर्जी की पुरानी शैली में आंदोलनकारी जूनियर डॉक्टरों के साथ सीधे हस्तक्षेप की उम्मीद कर रहा था. ऐसा नहीं हुआ है और सरकार अब जो भी दंडात्मक कदम उठा रही है, वह बहुत कम और काफी देर से उठाया गया कदम है.”

सरकार ने लिखा, “मुझे लगता है कि अगर भ्रष्ट डॉक्टरों के गुट को ध्वस्त कर दिया जाता और इस निंदनीय घटना के तुरंत बाद अनुचित प्रशासनिक कार्रवाई करने वालों को दंडित किया जाता तो इस राज्य में सामान्य स्थिति बहुत पहले ही बहाल हो जाती.”

पश्चिम बंगाल में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए उन्होंने लिखा, “मैं लगातार निराश होता जा रहा था क्योंकि राज्य सरकार भ्रष्टाचार और नेताओं के एक वर्ग की बढ़ती दबंगई की रणनीति के बारे में बिल्कुल भी चिंतित नहीं दिख रही थी.”

उन्होंने आगे लिखा, “यह भी सच है कि अन्य दलों और अन्य राज्यों के नेताओं ने बहुत अधिक संपत्ति अर्जित की है. लेकिन पश्चिम बंगाल इस अत्यधिक भ्रष्टाचार और वर्चस्व को स्वीकार करने में असमर्थ है. मैं जानता हूं कि वर्तमान केंद्रीय शासन अपने द्वारा बनाए गए अरबपतियों के भरोसे फलता-फूलता है और ऐसा कोई दिन नहीं जाता जब मैं इसे गंदे क्रोनी पूंजीवाद का आरोप न लगाऊं. मैं कुछ चीजों को स्वीकार नहीं कर सकता, जैसे भ्रष्ट अधिकारियों (या डॉक्टरों) को प्रमुख और शीर्ष पद मिलना. नहीं,”

उन्होंने आरजी कर घटना पर विरोध प्रदर्शनों का जिक्र करते हुए कहा, “मेरा विश्वास करें, जनता का गुस्सा कुछ खास लोगों और भ्रष्ट लोगों के इस अनियंत्रित दबंग रवैये के खिलाफ है.”

पूर्व सिविल सेवक जवाहर सरकार प्रसार भारती के सीईओ रह चुके हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुखर आलोचक रहे हैं. 2021 में, उन्हें आधिकारिक तौर पर तृणमूल कांग्रेस द्वारा संसद के उच्च सदन के लिए नामित किया गया था. सरकार ने देश में एनआरसी-सीएए को लागू करने के पीएम मोदी के कदम की निंदा करते हुए 100 से अधिक हस्ताक्षरकर्ताओं को संगठित किया था, जिनमें से ज्यादातर पूर्व सिविल सेवक थे.

सांसद बनने के अपने प्राथमिक उद्देश्य को स्पष्ट करते हुए उन्होंने लिखा, “इसने भाजपा और उसके प्रधानमंत्री की निरंकुश और सांप्रदायिक राजनीति के खिलाफ संघर्ष को आगे बढ़ाने के लिए एक बेहतरीन मंच प्रदान किया.”

हालांकि, 2022 में पश्चिम बंगाल के पूर्व शिक्षा मंत्री द्वारा खुलेआम भ्रष्टाचार की खबर ने सरकार को “स्तब्ध” कर दिया, पत्र में कहा गया है. “मैंने सार्वजनिक रूप से बयान दिया कि पार्टी और सरकार को भ्रष्टाचार से निपटना चाहिए, लेकिन पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने मुझे घेर लिया.”

सरकार ने कहा, “जैसा कि आप जानते हैं. मैं कोलकाता में एक मध्यम वर्गीय परिवार में पला-बढ़ा हूँ और अपनी युवावस्था में, मैंने बसों के पायदानों पर लटककर घुटन भरे सार्वजनिक वाहनों में यात्रा की है. इसलिए, आईएएस में 41 साल बिताने के बाद, मैं एक बड़ी झुग्गी वाले एरिया के बगल में एक छोटे से मध्यम वर्गीय फ्लैट में बिना किसी शर्मिंदगी के रह सकता हूँ और एक बहुत ही साधारण 9 साल पुरानी कार चला सकता हूँ. लेकिन मुझे यह देखकर आश्चर्य होता है कि कई निर्वाचित पंचायत और नगरपालिका नेताओं ने बड़ी संपत्ति अर्जित कर ली है और महंगी गाड़ियों में घूमते हैं. इससे न केवल मुझे बल्कि पश्चिम बंगाल के लोगों को भी दुख होता है.”

बाद में, एक्स पर एक पोस्ट में, उन्होंने राजनीति छोड़ने के अपने फैसले के लिए पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा आरजी कर घटना पर विरोध प्रदर्शनों को गलत तरीके से संभालने को जिम्मेदार ठहराया.

दिप्रिंट की ओर से सरकार को भेजे गए संदेशों और कॉल का कोई जवाब नहीं मिला.

टीएमसी नेता कुणाल घोष ने रविवार को एएनआई से कहा कि वे जवाहर सरकार के निजी फैसले पर टिप्पणी नहीं कर सकते, लेकिन पार्टी उनके पत्र की भावना और उठाए गए सवालों से सहमत है.

उन्होंने कहा, “हम इस (अस्पताल बलात्कार-हत्या) घटना की निंदा करते हैं, लोग इस घटना से नाराज हैं और वे प्रशासन को गलत समझ रहे हैं. ऐसे में पार्टी के सिपाही के तौर पर हमें लोगों को समझाने की कोशिश करनी होगी… अगर जवाहर सरकार कोई फैसला लेते हैं, तो वे बहुत वरिष्ठ और समझदार व्यक्ति हैं, उनके सिद्धांत अलग हैं, हमारा शीर्ष नेतृत्व इस पर विचार करेगा.”

यह रिपोर्ट का अपडेटेड वर्जन है.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


यह भी पढ़ेंः लापता CBI वकील: आरजी कर बलात्कार-हत्या के आरोपी को कैसे लगभग ज़मानत मिल जाती


 

share & View comments