नई दिल्ली: मोदी सरकार की अग्निपथ योजना ‘भविष्य के लिए एक युवा सेना के निर्माण की जरूरत है’, और इसके खिलाफ चल रहे विरोध ‘पूर्व नियोजित और वित्त पोषित’ हैं – बीजेपी के वैचारिक जनक आरएसएस के दो वरिष्ठ पदाधिकारियों के अनुसार केंद्र सरकार की इस विवादास्पद सैन्य भर्ती पहल पर संगठन के विचार कुछ इसी तरह के हैं.
आरएसएस की केंद्रीय समिति के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने दिप्रिंट को बताया, ‘अग्निपथ योजना को कभी भी वापस नहीं लिया जाना चाहिए क्योंकि यह एक लंबे समय से प्रतीक्षित कदम है.’
उन्होंने कहा, ‘इसके खिलाफ हो रहे विरोध का आयोजन, इसकी योजना और इसके लिए पैसों का प्रबंध सब बाहरी (विदेशी) ताकतों द्वारा किया जा रहा है जो चाहते हैं कि भारत कमजोर हो.’
संघ के ही एक दूसरे वरिष्ठ अधिकारी ने भविष्य की चुनौतियों और सीमा पर मौजूद संकटों से निपटने के लिए एक युवा सेना की आवश्यकता के बारे में बात करते हुए कहा, ‘यह विचार भारतीय सेना की बेहतरी के लिए है.’
उन्होंने कहा, ‘हम इतने युवा देश हैं और हमें अपने डेमोग्रॅफिक डिविडेंड का फायदा उठाने और हमारे पास मौजूद युवा शक्ति का ज्यादा से ज्यादा उपयोग करने की जरूरत है.’
हालांकि, आधिकारिक तौर पर आरएसएस ने अग्निपथ वाले मुद्दे पर अभी तक कोई बयान नहीं दिया है. दिप्रिंट से बात करते हुए, आरएसएस के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने कहा, ‘राष्ट्रीय सुरक्षा देश के लिए सर्वोच्च है और इस योजना को हमारी सुरक्षा संबंधी चिंताओं के नजरिए से देखा जाना चाहिए.’
अग्निपथ योजना में सैनिकों को चार साल के लिए संविदात्मक आधार पर शामिल किए जाने की परिकल्पना की गई है. इन सैनिकों, जिन्हें अग्निवीर कहा जाता है, को 17.5 से 21 वर्ष की आयु में नियुक्त किया जाना है. सरकार ने 2022 में भर्ती के लिए ऊपरी आयु सीमा को एक बार की विशेष छूट के रूप में बढ़ाकर 23 वर्ष कर दिया है.
हालांकि सभी अग्निवीरों को चार साल के बाद सेना के नियमित संवर्ग में शामिल किए जाने का विकल्प दिया जाएगा मगर प्रत्येक बैच से केवल 25 प्रतिशत अग्निवीरों को ही सशस्त्र बलों के नियमित संवर्ग में लिया जाएगा.
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‘सरकार सभी को रोजगार तो नहीं दे सकती’
ऊपर उद्धृत आरएसएस के पहले पदाधिकारी ने कहा कि अग्निपथ जैसी योजना ‘युवाओं के लिए दायरे को व्यापक करेगी और उन्हें एक अखिल भारतीय परिप्रेक्ष्य प्रदान करेगी.’
उन्होने आगे कहा ‘यह योजना हमारी सेना को और बेहतर तथा युवा बनाएगी. सेना अपने रंगरूटों में अनुशासन और देशभक्ति का संचार करती है.’
इस पदाधिकारी ने आगे कहा, ‘हमारे देश में 55 प्रतिशत युवा हैं, और उन सभी के पास सरकारी नौकरी तो नहीं हो सकती है.’
उन्होनें कहा,’अब समय आ गया है कि युवा पीढ़ी इस बात को समझे कि सरकार अपनी तरफ से सभी को रोजगार नहीं दे सकती. उन्हें (युवाओं को) चीजों की शुरुआत खुद से करने की जरूरत है. हमें उस उद्यमिता को प्रोत्साहित करना चाहिए, जो अंग्रेजों के हम पर शासन करने से पहले फलती-फूलती थी.’
इस योजना के विरोध पर इस पदाधिकारी का कहना था, ‘हर बार जब सरकार किसी नीति या योजना की घोषणा करती है, तो समन्वित तरीके से राज्यों में विरोध प्रदर्शन होते हैं. यह एक अच्छी तरह से पाला पोसा गया पारिस्थितिकी तंत्र है. बिना पूर्वाग्रह के खुले दिमाग वाला कोई भी व्यक्ति इसकी वजहों को देख सकता है. सरकार की नीति पर चर्चा हो सकती है, इसकी आलोचना या विश्लेषण भी हो सकता है लेकिन थोड़ी सी फुटेज बनाने और भारत को खराब रोशनी में दर्शाने के लिए सार्वजनिक संपत्ति को पूरी बेशर्मी के साथ नुकसान पहुंचाना निश्चित रूप से सही दिमाग वाले लोगों का काम नहीं है.’
दूसरे पदाधिकारी के अनुसार, ‘हम यह समझ नहीं पा रहे हैं कि ये विरोध प्रदर्शन क्यों हो रहे हैं.’
उन्होंने कहा ‘सरकार ने ऐसा तो कभी नहीं कहा या कहीं भी यह संकेत तो नहीं दिया कि वह अग्निवीरों को अकेला छोड़ देगी. इस कदम से सशस्त्र बलों में शामिल होने के लिए स्वस्थ प्रतिस्पर्धा होगी और जो इसमें जगह नहीं बना पाएंगे, उन्हें अर्धसैनिक बलों या पुलिस सेवा में समाहित कर लिया जाएगा. कई मंत्रालयों ने भी ऐसे रंगरूटों के लिए योजनाओं की घोषणा की है.’
आरएसएस से जुड़े छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने भी इन विरोध प्रदर्शनों की निंदा की. है. इसने 19 जून को एक बयान जारी कर इस विरोध को एक ‘राजनीतिक साजिश’ बताया.
हिंदी में जारी इस बयान में कहा गया है, ‘इस योजना के बारे में आलोचना या चर्चा हो सकती है. लेकिन यह उचित माध्यम से और शांतिपूर्ण तरीके से किया जाना चाहिए. हिंसा किसी भी चीज का समाधान नहीं हो सकती. युवाओं की चिंता को समझा जाना चाहिए और उन्हें हल किया जाना चाहिए. कुछ ताकतों ने अपने निहित स्वार्थ के लिए इस तरह के विरोध प्रदर्शनों को हवा देकर देश को अत्यधिक नुकसान पहुंचाया है.’
कैप्टन (सेवानिवृत्त) मीरा सिद्धार्थ दवे, जो भारतीय सेना की पूर्व सैनिक और राष्ट्र सेविका समिति (एक संगठन जो आरएसएस के साथ अपनी विचारधारा साझा करता है) की सक्रिय सदस्या हैं, ने भी दूसरों की बात से सहमति जताते हुए कहा कि अग्निपथ योजना के खिलाफ हो रहे विरोध प्रदर्शन ‘युवाओं का ध्यान भटकाने और उन्हें गुमराह करने’ के लिए किए जा रहे हैं.
वे कहती हैं, ‘अग्निपथ योजना एक अनुशासित देशभक्त तैयार करने के लिए है. जिसने भी कभी भी एक बार वर्दी पहनी है, वह यह जानता है कि सेना में शामिल होना सिर्फ नौकरी करना नहीं है, यह जीवन जीने का एक तरीका है. आप हमेशा (सेना के) मूल्यों को अपने साथ रखते हैं. मैं शॉर्ट सर्विस (अल्पकालिक सेवा) में थी, फिर भी सैन्य प्रशिक्षण के दौरान मैंने जिस जीवन शैली का अभ्यास किया उससे मैं कभी विचलित नहीं हुई.’
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