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Friday, 21 June, 2024
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बीजेपी और कांग्रेस के वोट शेयर में हुआ मामूली बदलाव, फिर भी सीटों का है भारी अंतर, कैसे

भाजपा के कुल वोट शेयर में 1 प्रतिशत से भी कम की गिरावट आई है, जबकि कांग्रेस के वोट शेयर में 1.53 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. लोकसभा के नतीजों में दिख रहे इस विरोधाभास को राज्यवार वोट शेयर का अध्ययन करके समझाया जा सकता है.

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नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव में एक विरोधाभासी नतीजा सामने आया है, जिसमें बीजेपी और कांग्रेस समेत पार्टियों के वोट शेयर में मामूली अंतर रहा है, लेकिन उनके द्वारा जीती गई सीटों की संख्या में काफी अंतर रहा है.

भाजपा द्वारा जीती गई सीटों की संख्या 2019 में 303 से घटकर 2024 में 240 रह गई है. हालांकि, 2019 से पार्टी के वोट शेयर में 1 प्रतिशत से भी कम की गिरावट आई है. 2019 में पार्टी का वोट शेयर 37.36 प्रतिशत था, जबकि 2024 में यह 36.56 प्रतिशत है.

इसी तरह, कांग्रेस ने 2019 में जीती गई कुल 52 सीटों की तुलना में 2024 में 47 ज्यादा सीटें जीती हैं जिससे इसके सीटों की कुल संख्या बढ़कर 99 हो गई है. हालांकि, इसका वोट शेयर 2019 में 19.66 प्रतिशत था जो कि 2 प्रतिशत से भी कम बढ़कर 2024 में 21.19 प्रतिशत हुआ है.

राज्यों में भी इसी तरह का रुझान है.

उदाहरण के लिए, आंध्र प्रदेश में, तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) ने राज्य की 25 लोकसभा सीटों में से 16 सीटें जीतीं – जो 2019 में सिर्फ़ 3 थीं. हालांकि, इसका वोट शेयर 40.19 प्रतिशत से घटकर 37.79 प्रतिशत हो गया.

तो, इस विरोधाभास की व्याख्या किस तरह से की जा सकती है?

राजनीतिक विश्लेषक बद्री नारायण ने तर्क दिया कि पार्टियों के राज्यवार वोट शेयर को देखना होगा. उन्होंने कहा, “राष्ट्रीय स्तर पर उनके वोट शेयर में भले ही सिर्फ़ 1 प्रतिशत की गिरावट आई होगी, लेकिन उत्तर प्रदेश में यह 8 प्रतिशत घट गया है, जो कि एक महत्वपूर्ण गिरावट है. लेकिन यह कमी दक्षिण जैसे अन्य राज्यों में उनके प्रदर्शन से पूरी हो जाती है, जिससे उनका कुल वोट शेयर बढ़ जाता है.”

यूपी में, जहां भाजपा की सीटों की संख्या में सबसे अधिक गिरावट आई है, जो कि 2019 में 62 सीटों की तुलना में गिर कर 2024 में 33 पर आ गई है, वहां उसका वोट शेयर 2019 में 49.98 प्रतिशत से घटकर 2024 में 41.37 प्रतिशत हो गई है. समाजवादी पार्टी (सपा) की सीटें 2019 में सिर्फ़ पांच से बढ़कर 2024 में 37 हो गईं और उसका वोट शेयर भी 2019 में 18.11 प्रतिशत से लगभग 20 प्रतिशत बढ़कर 2024 में 37 प्रतिशत हो गया.

फिर भी, यूपी में भाजपा के वोट शेयर में 8 प्रतिशत से अधिक की गिरावट अन्य राज्यों में उसके वोट शेयर में वृद्धि से आंशिक रूप से कवर हो गई होगी. उदाहरण के लिए, तमिलनाडु में, जहां भाजपा ने कोई सीट नहीं जीती है, उसका वोट शेयर 2019 में 3.66 प्रतिशत से बढ़कर 2024 में 11.24 प्रतिशत हो गया है.

इसी तरह, ओडिशा में, भाजपा का वोट शेयर 2019 में 38.4 प्रतिशत से बढ़कर 2024 में 45.34 प्रतिशत हो गया. सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज (CSDS) के शोधकर्ता अभिनव पी. बोरबोरा ने तर्क दिया कि इसका एक कैंसिल करने वाला प्रभाव है. “यदि किसी पार्टी का किसी एक निर्वाचन क्षेत्र में असमान रूप से उच्च मतदान प्रतिशत है, भले ही वह किसी अन्य निर्वाचन क्षेत्र में न जीत पाए, तो उसका कुल वोट शेयर बढ़ जाता है, जो कि ज़रूरी नहीं कि वास्तव में जीती गई सीटों की संख्या को दर्शाता हो.”

इसी तरह, यह भी संभव है कि कुछ सीटों पर कोई पार्टी बहुत कम अंतर से हार जाए, और कुछ सीटों पर बहुत बड़े अंतर से जीत जाए, इससे भी उसका वोट शेयर काफी ज्यादा दिखेगा. ॉ

यह भी ध्यान देने वाली बात है कि भाजपा ने 441 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जबकि कांग्रेस ने 329 सीटों पर चुनाव लड़ा था. इसलिए, इसके कुल वोट शेयर में वृद्धि होना तय है, क्योंकि इसने कांग्रेस की तुलना में ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ा है.

उन्होंने कहा, “इसलिए, किसी पार्टी के प्रदर्शन के संकेतक के रूप में वोट शेयर का उपयोग सावधानी से किया जाना चाहिए, बल्कि बेहतर है कि इसका प्रयोग अन्य संकेतकों के साथ किया जाना चाहिए.”

क्षेत्रीय दल

पश्चिम बंगाल में, टीएमसी, जिसने 2019 में अपनी संख्या 22 से बढ़ाकर 2024 में 29 कर ली, उसका वोट शेयर 43.3 प्रतिशत से बढ़कर 45.76 प्रतिशत हो गया है.

पश्चिम बंगाल की बात करें तो यहां बीजेपी का वोट शेयर 2024 में 40.7 प्रतिशत की तुलना में घटकर 38.73 हो गया जबकि इसकी सीटें 2019 में 18 से घटकर 2024 में 12 रह गई हैं.

तमिलनाडु में, DMK का वोट शेयर 2019 में 33.52 प्रतिशत से घटकर 2024 में 26.93 प्रतिशत हो गया, और इसकी जीती गई सीटों की संख्या 24 से घटकर 22 हो गई. जैसा कि पहले उल्लेख किया गया है, भाजपा ने राज्य में अपने वोट शेयर में लगभग 8 प्रतिशत की वृद्धि की, भले ही वह सीटों के मामले में अपना खाता खोलने में विफल रही.

ओडिशा में, बीजू जनता दल (BJD), जिसने 2019 में 8 लोकसभा सीटें जीती थीं उसका वोट प्रतिशत 42.8 फीसदी से घटकर 37.53 हो गया है और इस बार लोकसभा में उसे एक भी सीट नहीं मिली है. वहीं बीजेपी की सीटें 8 से बढ़कर 20 हो गई हैं जबकि इसका वोट शेयर 38.4 प्रतिशत से बढ़कर 45.34 प्रतिशत हुआ है.

महाराष्ट्र में, अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी ने सिर्फ़ एक सीट जीती और उसे 3.6 प्रतिशत वोट मिले. वहीं शरद पवार के नेतृत्व वाले गुट ने 8 सीटें जीतीं और उसने 10.27 प्रतिशत वोट हासिल किए. इस बीच, राज्य में कांग्रेस और भाजपा ने जीती गई सीटों और वोट शेयर के बीच विसंगति की एक ही विरोधाभासी स्थिति पैदा कर दी. कांग्रेस ने भाजपा द्वारा जीती गई 9 सीटों के मुकाबले 13 सीटें जीतीं, लेकिन वोट शेयर के मामले में वह पिछड़ गई, भाजपा ने 26.18 प्रतिशत वोट शेयर हासिल किया, जबकि कांग्रेस का वोट शेयर 16.92 प्रतिशत रहा.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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