बेंगलुरु: कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डी.के. शिवकुमार ने मंगलवार को कहा, “गांधी परिवार भगवान है और मैं उनका भक्त हूं.” दरअसल, उन्होंने विधानसभा के अंदर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का गीत गाने के लिए माफी मांगी.
शिवकुमार ने सफाई दी कि वे सिर्फ विपक्ष का मजाक उड़ाना चाहते थे और किसी की भावनाएं आहत करने का उनका इरादा नहीं था. उन्होंने खुद को कांग्रेस का “भक्त” तक बताते हुए उन पार्टी साथियों को जवाब दिया जिन्होंने उनकी निष्ठा पर सवाल उठाया था.
शिवकुमार ने मंगलवार को बेंगलुरु में पत्रकारों से कहा, “मैं गांधी परिवार और कांग्रेस पार्टी के प्रति अपनी निष्ठा दोहराना चाहता हूं. गांधी परिवार पर कोई सवाल नहीं उठा सकता. मैं जन्म से कांग्रेसी हूं और मरूंगा भी कांग्रेसी ही.”
उनकी माफी ऐसे समय आई है जब उन्होंने पिछले हफ्ते गुरुवार को मानसून सत्र के आखिरी दिन विधानसभा में ‘नमस्ते सदा वत्सले’ गा दिया था. इसके बाद से कर्नाटक कांग्रेस में विवाद छिड़ गया—कुछ नेता उनका बचाव कर रहे हैं तो कुछ ने माफी की मांग की है.
कुनीगल विधायक एच.डी. रंगनाथ जो शिवकुमार के करीबी और समर्थक माने जाते हैं, उन्होंने उनका बचाव करते हुए कहा कि आरएसएस का गीत “सुरम्य और देशभक्ति से भरा” है.
वहीं, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता बी.के. हरिप्रसाद, सतीश जरकीहोली और के.एन. राजन्ना (जो सिद्धारमैया कैबिनेट से हटाए गए मंत्री रह चुके हैं) ने शिवकुमार पर हमला बोला और कहा कि उन्होंने उस संगठन का गीत गाया है, जिसका कांग्रेस लंबे समय से विरोध करती रही है और जिसे आज़ादी के बाद कम से कम तीन बार बैन भी किया गया.
शिवकुमार ने पहले अपने गाने को सही ठहराने की कोशिश की थी. उन्होंने कहा कि यह उनके शोध का हिस्सा था. उन्होंने कहा, “मैंने राजनीति में 1980 में कदम रखा, लेकिन 2007 में 47 साल की उम्र में ग्रेजुएशन पूरी की. राजनीति में आने से पहले मैंने एनएसयूआई (कांग्रेस का छात्र संगठन) के बारे में पढ़ा, फिर आरएसएस-बीजेपी-जनता दल, गांधी परिवार के योगदान और कम्युनिस्ट पार्टियों का भी अध्ययन किया.”
उन्होंने आगे कहा, “जब मैंने आरएसएस और अन्य राजनीतिक दलों पर रिसर्च की, तो पाया कि गांधी जी के नेतृत्व में भारत ने 100 साल पूरे किए. इसलिए हमें 100 कांग्रेस भवन बनाने चाहिए और उन्हें मंदिर की तरह मानना चाहिए. किसने यह साहसी फैसला लिया? क्यों मैंने यह फैसला लिया? ताकि यह पता चल सके कि मेरे कार्यकर्ता कांग्रेस द्वारा बनाए गए मंदिर की अहमियत को समझते हैं या नहीं. यही इतिहास बनेगा.”
डिप्टी सीएम ने साफ किया कि उनसे कांग्रेस हाईकमान ने माफी मांगने को नहीं कहा. उन्होंने कहा, “अगर कोई मेरे इतिहास, मेरी निष्ठा या विचारधारा पर सवाल उठाना चाहता है, तो यह उनका फैसला है. मैं उस पर टिप्पणी नहीं करना चाहता, लेकिन अगर मेरी बातों से किसी को ठेस पहुंची हो, तो मैं माफी मांगता हूं.”
शिवकुमार ने कहा, “भगवान ने इंसानों को कई मौके दिए हैं और बोलने के लिए जुबान दी है.”
वहीं, भाजपा ने शिवकुमार की माफी की आलोचना की. कर्नाटक विधानसभा में विपक्ष के नेता आर. अशोक ने एक्स पर लिखा, “अगर ‘नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे’—मां भारत को विनम्र प्रणाम—कहने के लिए माफी मांगनी पड़े, तो आखिर कांग्रेस पार्टी चाहती है कि भारतीय किसे नमन करें? मां इटली को? या फिर उस मैडम को जो इटली से आई थीं…”
अशोक ने कहा कि शिवकुमार को माफी मांगने के बजाय इस्तीफा दे देना चाहिए था. उन्होंने लिखा, “अगर डी.के. शिवकुमार में आत्मसम्मान और हिम्मत का ज़रा भी अंश होता तो वे कभी माफी नहीं मांगते. अगर दबाव इतना असहनीय था तो उन्हें बिना हिचक कांग्रेस से इस्तीफा दे देना चाहिए था.”
उन्होंने आगे लिखा, “एक तरफ कांग्रेस उन लोगों का बचाव करती है जो विधानसभा में ‘पाकिस्तान ज़िंदाबाद’ के नारे लगाते हैं और दूसरी तरफ वे उन लोगों को गालियां देते हैं जो भारत माता को प्रणाम करते हैं. इसे और क्या कहें सिवाय देशद्रोही मानसिकता के? और आखिर किसके कहने पर डिप्टी सीएम @DKShivakumar ने माफी मांगी?”
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