पटना : राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता तेजस्वी यादव इस समय जबकि अगले कुछ महीनों में बिहार चुनाव संभावित है, अपनी छवि बदलने की मुहिम में जुटे नजर आ रहे हैं.
तेजस्वी, जिनकी विरोधी दल अक्सर यह कहकर आलोचना करते रहे हैं कि जब भी राज्य पर कोई संकट आता है वह दिल्ली भाग जाते हैं और यहां तक कि अपनी पार्टी कार्यकर्ताओं के लिए भी अनुपलब्ध रहते हैं, अब बिहार लौट चुके हैं और पिछले दो हफ्ते से वह सब कुछ कर रहे हैं जो अभी तक करने में नाकाम रहे थे.
बाढ़ पीड़ितों का हाल जानने के लिए पहुंचना और अपनी जीवनशैली बदलने से लेकर हर रोज राजद कार्यकर्ताओं से मुलाकात करने तक, यादव अपना 2.0 वर्जन सामने लाते नजर आ रहे हैं.
हालांकि, भाजपा ने इस सब पर संदेह जताया है और कहा है कि देखना होगा कि तेजस्वी यादव का यह नया अवतार स्थायी है या सिर्फ एक भावनात्मक उबाल है. इस बीच, राजद को महसूस हो रहा है कि यह बदलाव पहले होना चाहिए था.
यह भी पढ़ें: कैसे 13 वर्षों में भ्रष्टाचार के खिलाफ नीतीश कुमार की लड़ाई की बखिया उखड़ गई
आसान शुरुआत
तेजस्वी यादव, जो बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता हैं और पिता लालू यादव की गैरमौजूदगी में राजद की कमान संभाल रहे हैं, अब तक राज्य की राजनीति में बनी-बनाई राह पर ही चलते रहे हैं.
2015 तक उनकी राजनीतिक गतिविधियां सिर्फ अपनी मां राबड़ी देवी के साथ राजनीतिक रैलियों में मौजूद रहने तक सीमित थीं. जब क्रिकेट में उनका कैरियर नाकाम हो गया तब उन्होंने राजनीति में कदम रखा.
चुनावी राजनीति से पहली बार उनका सामना 2015 में हुआ जब नीतीश-लालू महागठबंधन के तहत उन्हें वैशाली जिले में लालू-राबड़ी की परंपरागत सीट राघोपुर से प्रत्याशी बनाया गया.
चुनाव बाद तेजस्वी यादव को बिहार के उपमुख्यमंत्री के तौर पर शपथ दिलाई गई और रोड कंस्ट्रक्शन और बिल्डिंग जैसे महत्वपूर्ण विभाग दिए गए.
उनके बड़े भाई तेज प्रताप को स्वास्थ्य मंत्री बनाया गया, लेकिन कुछ हद तक इस सवाल का जवाब सामने आ गया कि लालू का उत्तराधिकारी कौन होगा.
उपमुख्यमंत्री के तौर पर तेजस्वी यादव के 18 माह के कार्यकाल में हालांकि ज्यादातर कामकाज परोक्ष रूप से लालू यादव ही चला रहे थे. तेजस्वी यादव को मिले विभागों में ज्यादातर सलाहकार लालू यादव के नजदीकी अफसर ही थे.
तेज प्रताप के बजाये तेजस्वी को वरीयता क्यों?
पारिवारिक झगड़ा सतह पर आ जाने के बावजूद लालू ने लंबे समय तक अपने राजनीतिक उत्तराधिकारी की घोषणा नहीं की थीं.
लेकिन 2017 में चारा घोटाले के सिलसिले में जेल जाने के दौरान उन्होंने यह स्पष्ट किया कि तेजस्वी पार्टी की कमान संभालेंगे और सांत्वना के तौर पर तेज प्रताप को राजद की युवा इकाई की जिम्मेदारी संभालने को कहा.
उन्होंने तेज प्रताप की तुलना में तेजस्वी को चुना क्योंकि उनके बड़े बेटे के अजीबो-गरीब व्यवहार के बारे में सभी को पता था और उनकी छवि परिवार की बिगड़ी औलाद के रूप में बन चुकी थी. और, तेजस्वी एकदम तेज प्रताप के उलट थे. उन्हें ऐसा व्यक्ति माना जाता था जिसका लोगों के बीच रहन-सहन व्यावहारिक है.
छवि को झटका
राजनीतिक नेता के तौर पर तेजस्वी की छवि को नुकसान पहुंचना तब शुरू हुआ जब 2017 में महागठबंधन टूटने और लालू यादव के जेल जाने के बाद वह सदन में नेता विपक्ष बने.
न केवल राजनीतिक विरोधियों ने नेतृत्व करने की तेजस्वी की क्षमता पर सवाल उठाए, बल्कि उनकी अपनी पार्टी और गठबंधन सहयोगियों ने भी आलोचना में कसर नहीं छोड़ी.
भाजपा प्रवक्ता रजनी रंजन पटेल ने तो तेजस्वी को एक ‘पूरक नेता’ की संज्ञा तक दे डाली क्योंकि वह लालू यादव की कमी को पूरा कर रहे थे.
तेजस्वी के नियमित तौर पर छुट्टी पर चले जाने या बिहार से गायब हो जाने को लेकर लालू भी खासे नाखुश हो गए थे. जब भी राज्य या उनकी पार्टी पर कोई मुसीबत आती, तेजस्वी भागकर दिल्ली पहुंच जाते थे.
पिछले साल जून में उन्होंने उस समय भी मुजफ्फरपुर का दौरा नहीं किया जब इन्सेफेलाइटिस से जूझ रहे जिले में 160 से ज्यादा बच्चों की मौत हो गई थी. 2019 के चुनाव में पार्टी का लगभग सफाया हो जाने के छह माह बाद तक उन्होंने विधानसभा की कार्यवाही में हिस्सा नहीं लिया, जबकि इसके लिए लालू यादव ने कई बार रांची से फोन करके उन्हें समझाया था.
राजद नेताओं, खासकर कुछ वरिष्ठ नेताओं ने शिकायत की कि वह मिलते ही नहीं है और यह कि वह चार-पांच नजदीकी लोगों से ही घिरे रहते हैं. यही नहीं लालू के उलट वह अपने आवास पर कभी अपने समर्थकों से भी नहीं मिलते.
तेजस्वी के एक निजी जेट पर अपने बर्थडे का केक काटने वाली फोटो वायरल होने से उनकी छवि को और नुकसान हुआ. राजद नेताओं के मुताबिक इसने यह धारणा बनाई कि तेजस्वी एक अगंभीर राजनेता हैं.
राजद के सूत्रों के मुताबिक, नीतीश और एनडीए के खिलाफ तेजस्वी की राजनीतिक जंग ज्यादातर ट्विटर तक ही सीमित रही है, यही वजह है कि सत्तारूढ़ गठबंधन ने उन्हें ट्विटर बबुआ (ट्विटर किड) तक कहना शुरू कर दिया.
य़ह भी पढ़ें: कोविड के बीच बिहार चुनाव लोगों को खतरे में डाल देगा, मतदान घटने के आसार: चिराग पासवान
नया अवतार
तेजस्वी देर से जागने वालों में रहे हैं, वह अमूमन 11 बजे के बाद सोकर उठते थे. लेकिन उनके निकट सहयोगियों ने दिप्रिंट को बताया कि उन्होंने अब अपनी यह आदत बदल ली है.
एक राजद नेता ने बताया, ‘वह छह बजे सोकर उठ जाते हैं और आठ बजे तक अमूमन मीडिया से मिलते हैं या उनसे मिलने के इच्छुक राजद नेताओं से मुलाकात करते हैं.’
यहां तक कि बुधवार को तेजस्वी दरभंगा और मधुबनी के कुछ बाढ़ प्रभावित दूरवर्ती क्षेत्रों का दौरा करने भी पहुंचे. इस बार उन्होंने वरिष्ठ राजद नेता और दरभंगा की एक सीट से विधायक अब्दुल बारी सिद्दीकी को अपने साथ ले जाना भी सुनिश्चित किया.
उन्हें देखकर बाढ़ प्रभावित लोग काफी खुश दिखे और उन्होंने उनके बीच खाद्य सामग्री भी बांटी.
10 जुलाई को तेजस्वी कोविड-19 नियमों का उल्लंघन करके एक स्थानीय व्यवसायी रामाश्रय सिंह कुशवाहा की विधवा से मिलने के लिए गोपालगंज तक चले गए थे. कुशवाहा की एक साल पहले कथित तौर पर जदयू विधायक का संरक्षण पाए कुछ गुंडों ने हत्या कर दी थी.
तेजस्वी अपने पति के लिए न्याय की मांग कर रही विधवा के साथ धरने पर भी बैठ गए थे और उससे राखी बंधवाते हुए फोटो भी खिंचवाई थी. यह तब की तुलना में काफी नाटकीय बदलाव था जब उन्होंने चार्टर्ड प्लेन में अपनी फोटो खिंचवाई थी.
सोमवार को पहली बार भाजपा का प्रभाव घटाने के लिए उदार हिन्दुत्व का संकेत देने की कोशिश के बीच उनकी भगवान शिव की आराधना करते हुए फोटो सामने आई.
उन्होंने राज्य की राजधानी में जलजमाव वाले क्षेत्रों का भी दौरा किया. पिछले साल उन्होंने पटना के राजेंद्र नगर और कदमकुआं जैसे इलाकों का भी दौरा नहीं किया था, जहां हफ्तों जलजमाव की स्थिति थी. राजद नेता का कहना था कि इस इलाके के लोग मुख्यत: भाजपा के समर्थक हैं.
सिद्दीकी ने दिप्रिंट को बताया, ‘वह खुद को बदलने की कोशिश कर रहे हैं और यही वजह है कि लोगों तक पहुंच रहे हैं. वह सामाजिक जिम्मेदारियों को समझ रहे हैं. कल (बुधवार), जब मैं उनके साथ दौरे पर था, एक जगह पर स्थानीय नेताओं ने जनसभा का आयोजन किया था और वहां पर अच्छी-खासी भीड़ थी. तेजस्वी यह कहते हुए वहां पर नहीं रुके कि कोविड-19 के कारण लोगों को खतरा हो सकता है.’
‘जमीनी स्तर पर उनकी मौजूदगी अप्रत्याशित’
हालांकि, तेजस्वी के राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी लगातार उनके ‘नए अवतार’ का मजाक उड़ा रहे हैं और उनका आरोप है कि वह कोविड-19 फैलाने के लिए बाहर निकल रहे हैं.
उपमुख्मंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा, ‘लालू-राबड़ी के शासनकाल में बाढ़ राहत घोटाला हुआ था जिसमें 90 करोड़ रुपये की लूट हुई थी. अब तेजस्वी उन्हें एक समय का भोजन देकर सहानुभूति बटोरने की कोशिश कर रहे हैं और फोटो खिंचवा रहे हैं.’
हालांकि, भाजपा के सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि तेजस्वी की जमीन स्तर पर उपस्थिति ‘अप्रत्याशित’ रही है.
भाजपा के एक नेता ने कहा, ‘वैसे तो राहुल गांधी भी कई बार अपनी छवि फिर बनाने की कोशिश कर चुके हैं. लेकिन कुछ काम नहीं आया. हमें यह देखना होगा कि तेजस्वी कोविड-19 की अग्निपरीक्षा के बीच इसे कब तक बरकरार रख पाते हैं– यह उनकी राजनीतिक शैली का स्थायी बदलाव है या फिर सिर्फ एक भावनात्मक उफान.’
यह भी पढ़ें: बाढ़ और कोविड महामारी को देखते हुए चुनाव आयोग ने 8 निर्वाचन क्षत्रों में उप-चुनाव टाले
क्या अब बहुत देर हो चुकी?
तेजस्वी का 2.0 वर्जन ऐसे समय पर आया है जबकि चुनाव अगले तीन महीनों में ही होने की संभावना है.
तेजस्वी महामारी के बीच चुनाव कराने का विरोध कर रहे हैं, जिसने भाजपा को यह कहने का मौका दे दिया है कि राजद एक कमजोर छात्र की तरह बर्ताव कर रहा है, जो चाहता है कि परीक्षाएं टल जाएं ताकि वह फेल न हो जाए.
राजद के सूत्रों ने दिप्रिंट से कहा कि बेहतर होता कि तेजस्वी का 2.0 वर्जन थोड़ा पहले आता.
राजद की मुख्य समस्या—मुस्लिम और यादव से बाहर के वर्गों को साथ लाने में नाकामी—अब भी बरकरार है.
यद्यपि पार्टी ने सोशल मीडिया पर अपना आधार काफी बढ़ाया है लेकिन वर्चुअल रैली करने में वह एनडीए के आगे कहीं नहीं ठहरती है.
विशेषज्ञों के मुताबिक, तेजस्वी का नया अवतार स्वागतयोग्य है लेकिन इसे लेकर अभी भी शंकाएं हैं कि यह चुनाव में कितना प्रभावी साबित होगा.
पटना यूनिवर्सिटी के रिटायर्ड प्रोफेसर एन.के. चौधरी कहते हैं, ‘लोगों की धारणा में बदलाव आएगा और वह लोगों की परवाह करने वाले नेता के तौर पर उभरेंगे. यह लंबे समय में उनके लिए फायदेमंद साबित होगा. लेकिन चुनावों पर इसका बहुत ज्यादा असर नहीं पड़ेगा. उदाहरण के तौर पर पप्पू यादव को ले लो, जो किसी भी संकट के समय लोगों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े होते हैं. उन्हें सम्मान मिलता है लेकिन वोट नहीं. बिहार में अब भी चुनाव जाति और धर्म के नाम पर ही होते हैं.’
(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
There is no nred to comment. They can get lession methods as action taken by assam c m
Chunab aa raha hai is lea Sona attendance Bana raha hai