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मंगलवार, 1 जुलाई, 2025
होमराजनीतिपार्टी में विवाद कम करने में जुटे सुरजेवाला—कर्नाटक में नेतृत्व बदलाव पर कोई चर्चा नहीं

पार्टी में विवाद कम करने में जुटे सुरजेवाला—कर्नाटक में नेतृत्व बदलाव पर कोई चर्चा नहीं

सुरजेवाला ने विरोधी गुटों को शांत करने की कोशिश करते हुए कहा कि पार्टी में ‘परिवार के मुखिया’ पीसीसी प्रमुख शिवकुमार हैं और सरकार में ‘परिवार के मुखिया’ सीएम सिद्धारमैया हैं.

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बेंगलुरु: कांग्रेस ने मंगलवार को स्पष्ट किया कि कर्नाटक में नेतृत्व परिवर्तन को लेकर कोई चर्चा नहीं हो रही है और पार्टी विधायकों को मीडिया में इस मुद्दे पर बयान देने से मना किया है. हालांकि पार्टी एकजुट चेहरा पेश कर रही थी, इसी दौरान एक वीडियो सामने आया जिसमें एक विधायक यह कहते हुए सुनाई दे रहे हैं कि सिद्धारमैया को “लकी लॉटरी” लगी और वे मुख्यमंत्री बन गए, जबकि उनके साथ कांग्रेस में शामिल हुए अन्य नेताओं को कुछ नहीं मिला.

सिद्धारमैया और उनके डिप्टी डी.के. शिवकुमार के बीच तनाव के बीच, अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) महासचिव (कर्नाटक प्रभारी) रणदीप सिंह सुरजेवाला ने मीडिया से कहा कि वे अगले तीन दिनों में विधायकों से मुलाकात कर संगठनात्मक मुद्दों और शिकायतों को सुनेंगे, न कि नेतृत्व परिवर्तन पर राय लेने के लिए.

इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में शिवकुमार मौजूद थे, लेकिन सिद्धारमैया शामिल नहीं हुए.

सुरजेवाला ने कहा, “अपना हिसाब-किताब मीडिया के जरिए न निपटाएं. पार्टी परिवार का मुखिया पीसीसी अध्यक्ष (शिवकुमार) है और सरकार का मुखिया मुख्यमंत्री सिद्धारमैया हैं.”

यह बयान ऐसे समय आया है जब पार्टी के विधायक खुलेआम विकास कार्यों के लिए धन की कमी, मंत्रियों से मुलाकात में कठिनाई, अधिकारियों के व्यवहार को लेकर असंतोष जता रहे हैं.

विधायक नेतृत्व परिवर्तन पर भी बात कर रहे हैं और कुछ ने मुख्यमंत्री पद पर शिवकुमार को लाने की मांग की है.

शिवकुमार ने सुरजेवाला की बातों को दोहराते हुए कहा कि नेतृत्व परिवर्तन पर कोई चर्चा नहीं हो रही है और पार्टी अनुशासन बनाए रखना चाहिए.

उन्होंने कहा, “किसी को जल्दी नहीं है और 2028 का चुनाव हमारे लिए अहम है.”

डिप्टी सीएम ने कहा कि वे रामनगर के विधायक इकबाल हुसैन को कारण बताओ नोटिस जारी करेंगे जिन्होंने कहा था कि शिवकुमार को बाकी कार्यकाल के लिए मुख्यमंत्री बनाया जाना चाहिए.

शिवकुमार ने कहा, “मुझे कोई बताने की ज़रूरत नहीं कि मैं मुख्यमंत्री बनूंगा.” उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेताओं को मीडिया में आकर शिकायतें या अपनी राय नहीं देनी चाहिए.

इस मुद्दे को लेकर चल रही चर्चाओं से अटकलें तेज़ हैं कि क्या कांग्रेस हाईकमान अपनी अनौपचारिक प्रतिबद्धता निभाकर सिद्धारमैया के स्थान पर शिवकुमार को मुख्यमंत्री बनाएगा.

सोमवार को एआईसीसी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा था कि नेतृत्व परिवर्तन पर निर्णय पार्टी हाईकमान करेगा और यह अनुमान लगाना संभव नहीं कि शीर्ष नेतृत्व के मन में क्या चल रहा है.

‘सिद्धारमैया की लॉटरी लग गई, लेकिन हमें से किसी को कुछ नहीं मिला’

बावजूद इसके कि डी.के. शिवकुमार और रणदीप सुरजेवाला हालात को संभालने की कोशिश कर रहे थे, पार्टी के कुछ नेताओं के बयानों ने समस्या को और हवा दी.

सिद्धारमैया के करीबी और इस बार सरकार में भ्रष्टाचार का मुद्दा सबसे पहले उठाने वाले बी.आर. पाटिल को एक अज्ञात व्यक्ति से फोन पर अपनी नाराज़गी ज़ाहिर करते हुए सुना गया. ऐसा लगता है कि उसी कमरे में किसी ने पाटिल का वीडियो बना लिया जब वह फोन पर बात कर रहे थे.

फोन पर बातचीत के दौरान पाटिल को यह कहते हुए सुना गया कि सिद्धारमैया ने “लकी लॉटरी” मारी क्योंकि वे मुख्यमंत्री बन गए, लेकिन जो बाकी लोग कांग्रेस में उनके साथ आए, उन्हें कुछ नहीं मिला. उन्होंने कहा, “मैंने ही उन्हें सबसे पहले सोनिया गांधी से मिलवाया. उनकी किस्मत अच्छी थी, वे मुख्यमंत्री बन गए.”

बाद में पाटिल ने यह स्वीकार किया कि उन्होंने सिद्धारमैया को लेकर बात की थी. उन्होंने कहा, “मैं उन आठ विधायकों में से एक था जो जेडी(एस) छोड़कर सिद्धारमैया के नेतृत्व में कांग्रेस में शामिल हुए थे.”

पत्रकारों से बात करते हुए सिद्धारमैया ने कहा कि उन्हें पाटिल के बयान की जानकारी नहीं है, लेकिन उन्होंने यह ज़रूर कहा कि वे खुद को सौभाग्यशाली मानते हैं कि वे मुख्यमंत्री बने. उन्होंने कहा कि वे इस मामले पर पाटिल से बात करेंगे.

हालांकि पाटिल के बयान ही कांग्रेस के लिए मुसीबत नहीं बन रहे थे.

विधायक इकबाल हुसैन ने भी मांग की कि शिवकुमार को मुख्यमंत्री बनाया जाए. उन्होंने मंगलवार को पत्रकारों से कहा, “विधायक इसका समर्थन करेंगे और हाईकमान फैसला लेगा. बहुत से लोग बदलाव चाहते हैं, ज़्यादा विकास देखना चाहते हैं और दोबारा सत्ता में आना चाहते हैं.”

उन्होंने कहा कि नेतृत्व में बदलाव कोई क्रांतिकारी बात नहीं है, बल्कि यह सिर्फ उस व्यक्ति को अवसर देने की बात है, जिसने पार्टी को संगठित किया, उसके लिए संघर्ष किया और पार्टी को 70 सीटों से 137 तक पहुंचाया. उन्होंने दावा किया कि 100 से ज़्यादा विधायक बदलाव के पक्ष में हैं.

शिवकुमार ने कहा कि हुसैन को एक-दो दिन में नोटिस जारी किया जाएगा.

कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद, मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा को टाल दिया गया क्योंकि शिवकुमार और सिद्धारमैया में टॉप पोस्ट को लेकर टकराव चल रहा था.

कई दिनों की गहन बातचीत के बाद—जिस दौरान दोनों नेता अपने-अपने दावे पर अड़े रहे—कांग्रेस के राज्य अध्यक्ष शिवकुमार ने अंततः पीछे हटने का फैसला लिया और सिद्धारमैया को मुख्यमंत्री बनाने पर सहमति जताई.

शिवकुमार के एक करीबी सहयोगी ने उस समय दिप्रिंट को बताया था कि यह पार्टी के लिए उनका “एक और बलिदान” था.

उस समय पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने शिवकुमार को यह आश्वासन भी दिया था कि कार्यकाल के दूसरे हिस्से में वे सिद्धारमैया की जगह लेंगे. लेकिन जब भी शिवकुमार ने इस वादे को पूरा करवाने की कोशिश की, उन्हें कड़ी टक्कर मिली.

सिद्धारमैया के कई समर्थकों ने खुलकर कहा है कि मुख्यमंत्री अपना पूरा कार्यकाल पूरा करेंगे. कुछ ने तो शिवकुमार की ताकत को कमज़ोर करने के लिए हाईकमान पर दबाव भी डाला है कि एक-दो और डिप्टी सीएम बनाए जाएं और प्रदेश अध्यक्ष को भी बदला जाए.

कांग्रेस के कोप्पल से विधायक राघवेंद्र हिटनाल ने मंगलवार को पत्रकारों से कहा, “अगले पांच साल में सिद्धारमैया ही मुख्यमंत्री बने रहेंगे.”

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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