scorecardresearch
Sunday, 29 September, 2024
होमराजनीतिकर्नाटक संकट : सुप्रीम कोर्ट ने अध्यक्ष रमेश कुमार के पाले में डाली गेंद, वही करेंगे फैसला

कर्नाटक संकट : सुप्रीम कोर्ट ने अध्यक्ष रमेश कुमार के पाले में डाली गेंद, वही करेंगे फैसला

कोर्ट ने ये भी कहा कि कर्नाटक विधानसभा अध्यक्ष विधायकों को एक टाइम फ्रेम में निर्णय लेने और कल होने विश्वास मत परीक्षण में भी हिस्सा लेने के लिए बाध्य नहीं कर सकते.

Text Size:

नई दिल्लीः कर्नाटक विधानसभा अध्यक्ष द्वारा कांग्रेस-जद (एस) के 15 बागी विधायकों के इस्तीफे स्वीकार करने के निर्देश देने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला दे दिया है. कोर्ट ने बुधवार को कहा है कि स्पीकर ही बागी विधायकों के इस्तीफे पर फैसला करेंगे. कोर्ट ने ये भी कहा कि कर्नाटक विधानसभा अध्यक्ष विधायकों को एक टाइम फ्रेम में निर्णय लेने और उन्हें कल होने विश्वास मत परीक्षण में भी हिस्सा लेने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता.

 

कर्नाटक के बागी विधायकों का प्रतिनिधित्व करने वाले मुकुल रोहतगी ने एससी के फैसले पर कहा कि SC ने दो महत्वपूर्ण बातें कही है – 15 विधायकों को कल सदन में उपस्थित होने के लिए मजबूर नहीं किया जाएगा. सभी 15 विधायक कल सदन में जाने या न जाने के लिए स्वतंत्र हैं.

कर्नाटक के पूर्व सीएम और भाजपा नेता, बी.एस. येदियुरप्पा ने कर्नाटक में बागी विधायकों के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कहा कि निश्चित रूप से सरकार नहीं चलेगी क्योंकि उनके पास संख्या नहीं है.

कर्नाटक विधानसभा के अध्यक्ष केआर रमेश कुमार ने कहा, ‘मैं ऐसा निर्णय लूंगा कि किसी भी तरह से संविधान, न्यायालय और लोकपाल के विपरीत नहीं जाएगा.

कर्नाटक भाजपा नेता, बीएस येदियुरप्पा ने कहा कि राज्य के मुख्यमंत्री जनादेश खो चुके हैं, उनके पास बहुमत नहीं है उन्हें कल इस्तीफा देना चाहिए. मैं सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करता हूं, यह संविधान और लोकतंत्र की जीत है, बागी विधायकों के लिए एक नैतिक जीत. यह केवल अंतरिम आदेश है, एससी भविष्य में स्पीकर की शक्ति तय करेगा.

वहीं इससे पहले येदियुरप्पा ने कहा था का हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार कर रहे हैं.

हुई थी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

बागी विधायकों के इस्तीफा मामले में मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई थी जिस पर आज फैसला आना था. बागी विधायकों का पक्ष रखते हुए मुकुल रोहतगी ने कहा था कि सभी 10 याचिकाकर्ताओं ने 10 जुलाई को इस्तीफा दे दिया था. अध्यक्ष यदि चाहे तो फैसला ले सकते हैं. चूंकि, इस्तीफा स्वीकार करना और उनकी अयोग्यता दोनों अलग-अलग निर्णय हैं. उन्होंने अदालत में कहा कि विधायकों को बांधे रखने की कोशिश क्यों हो रही है. रोहतगी ने कहा कि उमेश जाधव ने इस्तीफा दिया और उनके इस्तीफे को स्वीकार कर लिया गया है.

अदालत ने पूछा था कि विधायकों ने कब इस्तीफा दिया. जिसके जवाब में रोहतगी ने कहा कि सभी ने 6 जुलाई को इस्तीफा दिया था. बागी विधायकों के हवाले से मुकुल रोहतगी ने अदालत में कहा, हम विधायक नहीं बने रहना चाहते हैं. कोई भी हमें मजबूर नहीं कर सकता. मेरा इस्तीफा स्वीकार किया जाना चाहिए. सुनवाई के दौरान मुकुल रोहतगी ने कहा था कि अध्यक्ष अधिक दिनों तक इस्तीफे को रोककर नहीं रख सकते हैं, किसी भी राज्य का नियम होता है इसलिए इस पर जल्द से जल्द निर्णय लिया जाना चाहिए.

share & View comments