नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने आम आदमी पार्टी (आप) के नेता एवं निलंबित सांसद राघव चड्ढा से प्रवर समिति विवाद पर राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ से बिना शर्त माफी मांगने को कहा और उम्मीद जताई कि सभापति इस मामले में ‘सहानुभूतिपूर्ण’ रुख अपनाएंगे.
प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने पंजाब से राज्यसभा सदस्य चड्ढा के वकील शादान फरासत की इन दलीलों का संज्ञान लिया कि पहली बार संसद पहुंचे और उच्च सदन के के सबसे कम उम्र के सदस्य, सभापति से माफी मांगने को तैयार हैं.
पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘‘वकील शादान फरासत का कहना है कि उनके मुवक्किल (चड्ढा) राज्यसभा में सबसे कम उम्र सदस्य हैं. इस बात को ध्यान में रखते हुए कि जिस सदन के वह सदस्य हैं, उसकी गरिमा को प्रभावित करने का उनका कोई इरादा नहीं है, श्री फरासत ने अनुरोध किया है कि याचिकाकर्ता राज्यसभा के सभापति से मिलने का समय मांगेंगे, ताकि वह बिना शर्त माफी मांग सकें, जिस पर सहानुभूतिपूर्वक विचार किया जा सके.’’
पीठ ने चड्ढा की याचिका पर सुनवाई दिवाली की छुट्टियों के बाद के लिए स्थगित कर दी गयी और अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी से उस समय इस विवाद से जुड़े घटनाक्रम से उसे अवगत कराने को कहा. चड्ढा ने राज्यसभा से अपने अनिश्चितकालीन निलंबन को चुनौती दी है.
न्यायालय ने संक्षिप्त सुनवाई के दौरान कहा कि सुनवाई की पिछली तारीख पर पीठ ने कहा था कि यदि चड्ढा माफी मांगने को तैयार हैं, तो बहुत ही सम्मानित व्यक्ति और संवैधानिक पद पर बैठे सभापति (धनखड़) एक ‘निष्पक्ष दृष्टिकोण’ अपना सकते हैं.
अटॉर्नी जनरल वेंकटरमणी और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता इस सुझाव पर सहमत थे. इसके बाद पीठ ने चड्ढा के वकील की राय मांगी.
पीठ ने पूछा, ‘‘आप पहले ही छह बार माफ़ी मांग चुके हैं. लेकिन क्या आप (राज्यसभा के) सभापति से मिलने का समय मांगेंगे और उनसे मिलकर माफी मांगेंगे?’’
चड्ढा के वकील ने कहा, ‘‘वह उच्च सदन में सबसे कम उम्र के सदस्य हैं. निस्संदेह, उन्हें माफी मांगने में कोई आपत्ति नहीं है.’’
चड्ढा 11 अगस्त से राज्यसभा से निलंबित हैं. कुछ सांसदों ने चड्ढा पर उनकी सहमति के बिना एक प्रस्ताव में उनका नाम जोड़ने का आरोप लगाया था, जिनमें से अधिकतर सदस्य सत्तारूढ़ भाजपा के हैं. उस प्रस्ताव में विवादास्पद दिल्ली सेवा विधेयक की जांच के लिए प्रवर समिति के गठन की मांग की गई थी.
यह आरोप लगाया गया था कि राज्यसभा सदस्य ने दिल्ली सेवा विधेयक को प्रवर समिति को सौंपने के लिए एक प्रस्ताव पेश किया था. उन्होंने कथित तौर पर कुछ सदस्यों को प्रस्तावित समिति के सदस्यों के रूप में नामित किया था. इसके बाद यह दावा किया गया था कि कुछ सांसदों ने इसके लिए अपनी सहमति नहीं दी थी.
सभापति ने इस शिकायत पर ध्यान देते हुए विशेषाधिकार समिति की जांच लंबित रहने तक चड्ढा को सदन से निलंबित कर दिया था.
आप नेता ने अपनी याचिका में कहा है कि अनिश्चित काल के लिए निलंबित करने की शक्ति खतरनाक तौर पर ज्यादतियों और दुरुपयोग का जरिया बन सकती है.
राज्यसभा ने 11 अगस्त को सदन के नेता पीयूष गोयल द्वारा चड्ढा के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर पेश किया गया एक प्रस्ताव पारित किया था.
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.
यह भी पढ़ें: ओडिशा का यह पुलिसकर्मी गरीब आदिवासी नौजवानों को दे रहा है ट्रेनिंग, 50 से ज्यादा को मिली नौकरी