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Sunday, 22 December, 2024
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सुनील कानूगोलू, कांग्रेस के ‘PayCm’ और ‘40% सरकार’ अभियान के मास्टरमाइंड , बनेंगे मुख्यमंत्री सलाहकार

41 वर्षीय चुनाव रणनीतिकार ने चुनाव से पहले ब्रांडिंग और भाषण इनपुट के साथ सीएम सिद्धारमैया की मदद की थी. दिप्रिंट को पता चला है कि कानूगोलू की नियुक्ति और संभावित कैबिनेट रैंक पर हो सकती है.

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बेंगलुरु: चुनावी रणनीतिकार सुनील कानूगोलू, जिन्हें 10 मई को कर्नाटक विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के कई आकर्षक अभियानों को बनाने का श्रेय दिया जाता है को  कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया का सलाहकार नियुक्त किए जाने की पूरी तैयारी कर ली गई है. कर्नाटक विधानसभा चुनाव को पार्टी ने प्रचंड बहुमत से जीता है. इसकी जानकारी पूरे घटनाक्रम के जानकार सूत्र ने दिप्रिंट को दी है.

कानूगोलू पिछले साल कांग्रेस में शामिल हुए थे.

भाजपा के अभियान एसोसिएशन ऑफ ब्रिलियंट माइंड्स (एबीएम) संगठन के पूर्व प्रमुख – और अब राजनीतिक सलाहकार फर्म इनक्लूसिव माइंड्स के प्रमुख 41 वर्षीय कानूगोलू ने कर्नाटक चुनाव से पहले कांग्रेस की ब्रांडिंग और भाषण इनपुट के साथ सिद्धारमैया की मदद की थी.

सलाहकार के रूप में उनकी नियुक्ति सिद्धारमैया ने 20 मई को कर्नाटक के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने के दो हफ्ते से भी कम समय में कर दी है.

नाम न छापने की शर्त पर मुख्यमंत्री के एक सहयोगी ने कहा, “उन्हें [कानुगोलू] मुख्यमंत्री का सलाहकार बनाने के लिए एक प्रस्ताव भेजा गया है.” उस व्यक्ति ने कहा कि सिद्धारमैया ने सीधे कानूगोलू को इस पद पर नियुक्त करने के लिए कहा था.

घटनाक्रम से वाकिफ दो लोगों के मुताबिक, चुनाव रणनीतिकार के लिए संभावित कैबिनेट रैंक के साथ नियुक्ति को औपचारिक रूप देने के लिए एक आधिकारिक आदेश के बाद शुरू किया जाएगा. जबकि इस तरह के एक आदेश की एक कथित प्रति पहले से ही सोशल मीडिया पर घूम रही है, इसे अभी तक आधिकारिक चैनलों पर साझा नहीं किया गया है.

कर्नाटक विधानसभा चुनाव के परिणाम 13 मई को घोषित किए गए और इसमें कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत मिला – पार्टी ने 224 में से 135 सीटों पर जीत हासिल की, तत्कालीन भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को हराया.

जीत के बाद मुख्यमंत्री की कुर्सी के लिए सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार में खींचतान जारी रही जिसके बाद आखिरकार पार्टी आलाकमान, दोनों के बीच एक समझौते में सफल रहे. और सिद्धारमैया 2013 के बाद से दूसरी बार मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने वाले नेता बने.

कानूगोलू की नियुक्ति पर उनकी टिप्पणी के लिए दिप्रिंट फोन और व्हाट्सएप के जरिए उनतक पहुंचा, लेकिन खबर के प्रकाशन के समय तक कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली. इस पर आधिकारिक टिप्पणी के लिए दिप्रिंट मुख्यमंत्री कार्यालय भी पहुंचा है, प्रतिक्रिया मिलने के बाद कॉपी को अपडेट किया जाएगा.


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सर्वे से लेकर ब्रांडिंग इनपुट तक

कांग्रेस के कई आकर्षक अभियानों का श्रेय एक अन्य चुनाव प्रबंधन फर्म, डिज़ाइन बॉक्सिंग को भी जाता है जिसे कानूगोलू और नरेश अरोड़ा चलाते हैं, जिन्होंने 10 मई के विधानसभा चुनावों के लिए कर्नाटक में चुनावी नैरेटिव स्थापित किया.

भ्रष्टाचार के आरोपों पर पिछली बसवराज बोम्मई के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार को उजागर करने और घेरने के लिए बनाया गया अभियान ‘PayCM’ था. इन दोनों को “40 प्रतिशत सरकार” के नारे के साथ आने का श्रेय भी दिया गया था – माना जाता है कि यह “40% कमीशन” पंक्ति का संकेत है जो पिछले साल अप्रैल में बेलगावी स्थित ठेकेदार संतोष पाटिल की मृत्यु के बाद भड़क उठी थी. कथित सुसाइड नोट में पाटिल ने राज्य के पूर्व मंत्री और भाजपा नेता के.एस. ईश्वरप्पा ने एक सरकारी परियोजना के लिए 40 प्रतिशत कमीशन की मांग की.

सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि जहां कानूगोलू और अरोड़ा को विधानसभा चुनावों के लिए कांग्रेस के चुनावी वादों का मसौदा तैयार करने के लिए भी कहा गया था, वहीं कानूगोलू कांग्रेस के लिए चुनाव पूर्व सर्वेक्षण कराने में भी शामिल थे.

सूत्रों ने कहा कि कानूगोलू की टीम ने चुनाव से पहले कम से कम पांच सर्वेक्षण किए थे, ताकि कांग्रेस को समर्थन मिल सके.

सिद्धारमैया के सहयोगी जिन्होंने ऊपर भी बयान दिया है, कहते हैं, “उन्होंने ब्रांडिंग, शोध, भाषण और राजनीतिक खुफिया जानकारी पर भी सिद्धारमैया की मदद की.”

मैकिन्से के एक पूर्व सलाहकार, कानूगोलू ने पहले साथी चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर के साथ सिटीजन्स फॉर अकाउंटेबल गवर्नेंस पहल के एक भाग के रूप में काम किया था.

वह 2022 में कांग्रेस और इनक्लूसिव माइंड्स (पूर्व में माइंडशेयर एनालिटिक्स) में शामिल हुए जो अब विशेष रूप से कांग्रेस पार्टी के लिए काम करती है.

कानूगोलू और उनकी टीम आगामी मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस के अभियान की योजना बनाने में भी शामिल हैं. पोल रणनीतिकार को 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए पार्टी की टास्क फोर्स का भी हिस्सा बनाया गया था, जिसकी स्थापना कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने की थी.

इस साल की शुरुआत में छत्तीसगढ़ में पार्टी के महाधिवेशन से पहले उन्हें अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) का सदस्य भी बनाया गया था.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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