चंडीगढ़: शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने शुक्रवार को उच्च सुरक्षा वाली नाभा जेल में बंद अकाली नेता बिक्रम सिंह मजीठिया से मुलाकात की, लेकिन पंजाब की राजनीति में सबसे ज़्यादा चर्चा मंगलवार की उस मुलाकात की हो रही है, जब राधा स्वामी सत्संग ब्यास (RSSB) के प्रमुख गुरिंदर सिंह ढिल्लों ने जेल जाकर मजीठिया से मुलाकात की.
डेरे के प्रमुख का रिश्ता मजीठिया की पत्नी और वर्तमान मजीठा से विधायक गणीव कौर से है. भले ही इस मुलाकात को एक “करीबी रिश्तेदार से मिलने” का नाम दिया गया, लेकिन इसमें छिपा साफ-साफ राजनीतिक संदेश नज़रअंदाज़ करना मुश्किल है.
दरअसल, डेरे प्रमुख का जेल में जाकर किसी से मिलना अभूतपूर्व है. बाबा गुरिंदर सिंह, जो ब्यास डेरा के शांत और आध्यात्मिक प्रमुख माने जाते हैं, पंजाब के सबसे ताकतवर डेरे के मुखिया हैं. लाखों अनुयायियों वाले इस डेरे ने दशकों से राजनीति से दूरी बनाए रखी है, लेकिन जेल के बाहर कतार में लगकर ‘बाबाजी’ का मजीठिया से मिलना उनके अनुयायियों के लिए गहरा राजनीतिक संकेत है.
सूत्रों के मुताबिक, डेरे प्रमुख और मजीठिया की आमने-सामने की मुलाकात आधे घंटे से ज़्यादा चली. जब तक वे जेल से बाहर निकले, उनकी मौजूदगी की खबर फैल चुकी थी और उनके अनुयायी उनकी एक झलक पाने के लिए जेल के बाहर इकट्ठा हो गए.
डेरे प्रमुख की यह मुलाकात इसलिए भी अहम मानी जा रही है क्योंकि पिछले दो महीनों में अकाली दल के कई वरिष्ठ नेताओं को मजीठिया से मिलने की इजाज़त नहीं दी गई. मजीठिया पर कथित रूप से अवैध संपत्ति रखने का आरोप है.
सुखबीर बादल की पत्नी और सांसद हरसिमरत कौर बादल, जो मजीठिया की बहन हैं, को राखी पर कई अनुरोधों के बाद मिलने की अनुमति मिली थी. गणीव कौर और हरसिमरत को छोड़कर किसी अन्य अकाली नेता को मजीठिया से मिलने की इजाज़त नहीं दी गई.
शुक्रवार को पहली बार सुखबीर बादल ने खुद जेल जाकर मजीठिया से मुलाकात की. उनके साथ पत्नी हरसिमरत और भाभी गणीव कौर भी थीं. जेल के बाहर मीडिया से बातचीत में बादल ने कहा कि पंजाब सरकार ने पहले उनके कई अनुरोध ठुकरा दिए थे. बादल ने कहा, “हरसिमरत को जब मिलने दिया गया, तो सिर्फ कुछ ही मिनटों के लिए. मैं पटियाला के एसएसपी वरुण शर्मा को चेतावनी देना चाहता हूं कि उनका रवैया एक अफसर के लायक नहीं है.”
वरिष्ठ अकाली नेता दलजीत सिंह चीमा, सिकंदर सिंह मलूका, महेश इंदर ग्रेवाल और विरसा सिंह वल्टोहा को सरकार ने इस आधार पर इजाज़त देने से मना कर दिया कि सिर्फ़ नज़दीकी परिवार वाले ही मजीठिया से जेल में मिल सकते हैं.
एक वरिष्ठ जेल अधिकारी के मुताबिक, ढिल्लों को मजीठिया परिवार की ओर से परिवार के सदस्य की सूची में दर्ज किया गया था, इसी आधार पर उन्हें अनुमति मिली.
हालांकि, जानकारों का कहना है कि अगर पंजाब सरकार डेरे प्रमुख को जेल मुलाकात से रोकती, तो यह राजनीतिक रूप से आत्मघाती कदम साबित होता. डीएवी कॉलेज, सेक्टर-10 चंडीगढ़ के राजनीति विज्ञान विभाग की डॉ. कंवलप्रीत कौर ने कहा, “डेरे ब्यास प्रमुख की जेल जाकर मजीठिया से मुलाकात को राजनीति से अलग नहीं देखा जा सकता. आम आदमी पार्टी सरकार और मजीठिया के बीच टकराव पहले से ही बहुत तीखा है, ऐसे में किसी तरह का समझौता संभव नहीं, लेकिन डेरे ब्यास प्रमुख को ‘ना’ कहना सरकार के लिए राजनीतिक आत्महत्या होता. पंजाब में डेरे ब्यास का प्रभाव अन्य सभी डेरों से कहीं ज़्यादा है. उनके किसी भी आग्रह को नज़रअंदाज़ करना सीधा उनके अनुयायियों को नाराज़ करना होता.”
आरएसएसबी क्यों है अहम?
राधा स्वामी सत्संग डेरा ब्यास करीब 3,000 एकड़ में फैला हुआ है और इसके भारत में लगभग 5,000 और विदेशों में 90 से ज़्यादा केंद्र हैं. ब्यास मुख्यालय अपने आप में एक मिनी टाउनशिप है, जहां विशाल सत्संग परिसर, रिहायशी इलाका, स्कूल और अस्पताल मौजूद हैं.
हालांकि, डेरा खुद को पूरी तरह अपॉलिटिकल बताता है, लेकिन चुनावों के समय नेता यहां पहुंचते रहते हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नवंबर 2022 में हिमाचल चुनाव से पहले डेरे का दौरा किया था. ढिल्लों ने फरवरी 2022 में दिल्ली में पीएम से मुलाकात भी की थी. उसी साल केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह भी डेरे गए थे.

डेरे प्रमुख नवंबर 2024 में हरियाणा के सीएम नायब सिंह सैनी से मिले थे. वे पंजाब के राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया से भी मुलाकात कर चुके हैं. 2024 में उन्होंने सूफ़ी गायक महात्मा बिरेंदर सिंह को उत्तराधिकार विवाद के बीच हिसार स्थित डेरा जगमालवाली का प्रमुख मानते हुए उन्हें पगड़ी पहनाई थी.
पिछले साल दिसंबर में ढिल्लों ने तक़रीबन बागी गुट वाले अकाली दल नेता सुरजीत सिंह रक्खड़ा और दमदमा साहिब के तत्कालीन जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह से मुलाकात की थी. इसे अकाली दल और बागी धड़े के बीच मध्यस्थ की भूमिका निभाने की कोशिश माना गया.
ढिल्लों इस साल फरवरी में आप पंजाब प्रमुख अमन अरोड़ा से भी उनके चंडीगढ़ आवास पर मिले थे.
राजनीति विज्ञान की प्रोफेसर डॉ. कंवलप्रीत कौर के मुताबिक, “ऊपरी तौर पर डेरे प्रमुख का मजीठिया से मिलना सामाजिक मुलाकात लग सकता है. वे वैसे भी पहले के मुकाबले ज़्यादा ‘सोशल’ माने जाते हैं, लेकिन जब इतने सम्मानित आध्यात्मिक संगठन का मुखिया, जिसके लाखों अनुयायी हों, खुद जेल जाकर मजीठिया से मिलता है, तो यह मज़बूत राजनीतिक संदेश है कि मजीठिया को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता.”
मजीठिया ने भी एक्स पर अपने संदेश में इस मुलाकात की अहमियत मानी, “मेरे पास न तो वह दर्जा है, न ही क्षमता. मैं तो एक साधारण इंसान हूं. आज नाभा जेल में ब्यास डेरे के पूजनीय बाबाजी स्वयं मुझे हौसला देने आए, यह मेरे लिए भावुक पल है. ज़िंदगी के सबसे कठिन समय में बाबाजी ने हमेशा मेरा हाथ थामा है. मैं उनका और संगत का दिल से आभारी हूं, जिनकी दुआएं मुझे हमेशा मज़बूत बनाती हैं.”
ਦਾਸ ਦੀ ਨਾ ਤਾਂ ਇਨੀ ਹੈਸੀਅਤ ਹੈ ਨਾ ਔਕਾਤ ਹੈ।
ਇੱਕ ਨਿਮਾਣਾ ਭੁੱਲਣਹਾਰ ਜੀਵ ਹਾਂ ਅਤੇ ਮੇਰੇ ਕੋਲ ਯੋਗ ਸ਼ਬਦ ਵੀ ਨਹੀਂ ਜਿਨਾਂ ਨਾਲ ਮੈਂ ਅਤਿ ਸਤਿਕਾਰਤ ਬਾਬਾ ਜੀ ਡੇਰਾ ਬਿਆਸ ਮੁਖੀ ਬਾਬਾ ਗੁਰਿੰਦਰ ਸਿੰਘ ਢਿੱਲੋਂ ਜੀ ਦਾ ਸ਼ੁਕਰਾਨਾ ਅਦਾ ਕਰ ਸਕਾਂ ਜੋ ਦਾਸ ਨੂੰ ਮਿਲਣ ਅੱਜ ਨਾਭਾ ਜੇਲ੍ਹ ਵਿੱਚ ਪਹੁੰਚੇ। ਉਹਨਾਂ ਦਾ ਮੈਨੂੰ ਮਿਲਣ ਆਉਣਾ ਮੇਰੀ ਹੌਂਸਲਾ… pic.twitter.com/BiUiCIYIqN— Bikram Singh Majithia (@bsmajithia) September 23, 2025
25 जून को पंजाब विजिलेंस ब्यूरो ने मजीठिया को अमृतसर स्थित उनके घर से आय से अधिक संपत्ति मामले में गिरफ़्तार किया था. सरकार के अनुसार, उन पर 540 करोड़ रुपये की बेहिसाब संपत्ति का आरोप है. मजीठिया का कहना है कि यह केस मनगढ़ंत है और भगवंत मान सरकार उनसे राजनीतिक दुश्मनी निकाल रही है.

डेरे प्रमुख की केंद्र से नज़दीकी को देखते हुए इस मुलाकात को अकाली दल और बीजेपी के बीच संभावित गठजोड़ की अटकलों से भी जोड़ा गया. डॉ. कंवलप्रीत कौर ने कहा, “फिलहाल तो यह साफ़ नहीं कि वे राजनीतिक मध्यस्थ की भूमिका निभा रहे हैं या नहीं, लेकिन जैसे-जैसे 2027 विधानसभा चुनाव नज़दीक आएंगे, तस्वीर और साफ़ हो सकती है.”
यह मुलाकात ऐसे समय हुई है, जब सुखबीर बादल बाढ़ प्रभावित इलाकों में मदद पहुंचाकर अकाली दल को फिर से सक्रिय करने की कोशिश कर रहे हैं. पार्टी का बागी धड़ा भले उन्हें कमज़ोर करना चाहता हो, लेकिन डेरे प्रमुख का आशीर्वाद और बादल की बढ़ती सक्रियता ने फिलहाल अकाली दल को राजनीतिक चर्चा में ला दिया है.
इतिहास विभाग, एसजीजीएस कॉलेज, चंडीगढ़ के डॉ. हरजेश्वर सिंह के मुताबिक, “डेरे प्रमुख की मुलाकात सुखबीर को यह संदेश है कि मजीठिया की अहमियत बनी हुई है. साथ ही यह बीजेपी और मजीठिया के बीच किसी समझ का संकेत भी हो सकता है. यह आप सरकार के लिए भी इशारा है कि डेरे की सहानुभूति किस ओर है.”
अकाली नेता परंबंस सिंह बंटी रोमाना ने कहा, “मजीठिया पर केस पूरी तरह झूठा है. डेरे प्रमुख किसी अपराधी से मिलने जेल नहीं जाते. जिस तरह विजिलेंस ब्यूरो केस चला रही है, साफ है कि मान सरकार उनसे नफरत करती है. कोर्ट में पेशियों के दौरान मीडिया से उनकी बातचीत तक रोक दी गई. ये सब संकेत बताते हैं कि सीएम केवल बदला ले रहे हैं.”
मोहाली कोर्ट ने 18 अगस्त को उनकी ज़मानत याचिका खारिज कर दी और कहा कि केस अभी “क्रूशियल और सेंसिटिव स्टेज” पर है. 22 अगस्त को विजिलेंस ब्यूरो ने कोर्ट में चालान दाख़िल किया.
अब मजीठिया ने पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में जमानत की याचिका लगाई है, जिस पर सुनवाई 14 अक्टूबर को होगी.
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
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