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Sunday, 3 November, 2024
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सोनू सूद की बहन मालविका 20,915 मतों के अंतर से चुनाव हारी

सोनू सूद मालविका के प्रचार अभियान के 'स्टार' थे. उन्होंने अपनी बहन को राजनीति में आने के लिए प्रोत्साहित भी किया था.

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नई दिल्ली: सोनू सूद की बहन मालविका 20915 मतों से अंतर से चुनाव हार गईं. कांग्रेस के हरजोत कमल सिंह ने पिछली बार कांग्रेस पार्टी के चुनाव चिन्ह पर यहां से चुनाव जीता था, लेकिन इस पार पार्टी ने उनका टिकट काट कर मालविका को अपना उम्मीदवार बनाया गया.

वहीं, हरजोत पाला बदलकर बीजेपी में शामिल हो गए और पार्टी ने उन्हें यहां से अपना उम्मीदवार बनाया.

मालविका मोगा जिले की जानी-मानी सामाजिक कार्यकर्ता हैं. उन्होंने मुख्य रूप से शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्रों में काम किया है. वह शहर में, आईईएलटीएस अंग्रेजी भाषा की परीक्षा के लिए एक सेकंडरी स्कूल के साथ-साथ कोचिंग क्लास भी चलाती हैं.

हालांकि, उनकी उम्मीदवारी उनके भाई के स्टारडम के साये में रही. राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा जोरों की रही कि वह एक ‘डमी उम्मीदवार’ थीं.


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स्टार प्रचारक

सोनू सूद मालविका के प्रचार अभियान के ‘स्टार’ थे. उन्होंने अपनी बहन को राजनीति में आने के लिए प्रोत्साहित भी किया था.

जनवरी महीने में प्रचार अभियान के दौरान सोनू सूद ने दिप्रिंट से कहा था, ‘मालविका राजनीति में आयी नहीं, लायी गई.’ जबकि मालविका की टीम ने कहा था कि कैंपेन के केंद्र में मालविका खुद हैं और सोनू सूद सिर्फ किनारे पर खड़े हैं. भाई-बहन की जोड़ी को सोनू के स्टारडम का फायदा लेने में कोई हिचक नहीं दिखाई.

उदाहरण के लिए, मालविका ने शादी के बाद के नाम मालविका सूद सच्चर के तौर पर चुनाव नहीं लड़ा, बल्कि अपने विवाह के पहले के नाम मालविका सूद के नाम पर चुनाव लड़ा. चुनाव प्रचार के दौरान, सोनू ने अपने भाषणों में मोगा के मतदाताओं को सामाजिक कल्याण के लिए किए गए अपने कामों की भी याद दिलाई. उन्होंने कोरोना-महामारी लॉकडाउन के दौरान किए गए अपने कामों की चर्चा भी की.

मालविका ने अपने प्रचार अभियान के दौरान इशारा किया कि इस सीट से कांग्रेस के वर्तमान विधायक हरजोत सिंह अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने में विफल रहे. हालांकि, मालविका ने यह भी स्पष्ट किया कि यह विफलता निजी तौर पर हरजोत सिंह की थी, कांग्रेस पार्टी की नहीं.

उन्होंने दिप्रिंट से कहा, ‘मैं कांग्रेस से जुड़ी हुई थी इस गांव के कई परिवार इस पार्टी से जुड़े हैं. इसलिए, मैंने सोचा कि मेरे पास और ज्यादा लोग होंगे जो मेरे काम को पूरा करने में मदद करेंगे. यह किसी व्यक्ति पर निर्भर करता है कि वह मेरा कितना मदद करना चाहते हैं. मैं अपना 200 फीसदी दूंगी.’


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