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Saturday, 21 December, 2024
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कुछ ने छोड़ा कुछ को निकाला: आशुतोष के इस्तीफे के बाद ‘आप’ से असंतुष्ट नेताओं की लम्बी हुई लाइन

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पार्टी मुखिया अरविंद केजरीवाल के साथ मतभेद और दिल्ली चुनावों में टिकट वितरण में ‘अनियमितताएं’ कुछ ऐसे कारण थे जिसकी वजह से पूर्व में नेताओ ने पार्टी को छोड़ दिया

नई दिल्ली: पत्रकार से राजनीतिज्ञ बने आशुतोष आम आदमी पार्टी (आप) से इस्तीफा दे चुके नेताओं की सूची में अभी-अभी शामिल हुए हैं, माना जाता है की इनका पार्टी के प्रमुखों के साथ मतभेद है। यहाँ पर महत्वपूर्ण लोगों की एक सूची दी गई है जिन्होंने आशुतोष द्वारा पार्टी छोड़े जाने से पहले ही इसे छोड़ दिया था:

योगेंद्र यादवः अकादमिक से राजनेता बने यादव को मार्च 2015 में उनकी तथाकथित “पार्टी विरोधी गतिविधि” के लिए आप से बाहर कर दिया गया था। उन्होंने 2015 के दिल्ली विधानसभा चुनावों के टिकट-वितरण के दौरान पार्टी के संचालन पर निरंकुश व्यवहार (एकपक्षीय गतिविधि) का आरोप लगाया था। यादव आप के संस्थापक सदस्य थे तथा इसके राजनीतिक मामलों की समिति (पीएसी) के भी सदस्य थे।


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प्रशांत भूषण: भूषण भी आप के संस्थापक सदस्य रह चुके हैं, जो कि पेशे से एक वकील हैं। वह पीएसी, जो कि पार्टी में निर्णय लेने वाला सबसे बड़ा निकाय होता है, के भी सदस्य थे। मार्च 2015 में, उन्हें यादव के साथ उनकी तथाकथित पार्टी विरोधी गतिविधि के लिए पार्टी से बाहर कर दिया गया था। उन्होंने पार्टी प्रमुख अरविंद केजरीवाल पर निरंकुश व्यवहार तथा दिल्ली विधानसभा चुनावों के टिकट वितरण में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था।

मयंक गांधी: पार्टी के एक संस्थापक सदस्य, गांधी आप के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य भी थे। वह पार्टी की महाराष्ट्र इकाई का नेतृत्व कर रहे थे, जिसे 2015 में केजरीवाल के साथ मतभेदों के चलते मनमाने ढंग से भंग कर दिया गया था। आखिरकार उन्होंने पार्टी छोड़ दी।

अंजलि दमानियाः वह महाराष्ट्र में पार्टी की भ्रष्टाचार विरोधी महिला कार्यकर्ता थीं। उन्होंने नागपुर से भाजपा के नितिन गडकरी के खिलाफ 2014 का लोकसभा चुनाव लड़ा था। मार्च 2015 में, उन्होंने केजरीवाल के साथ मतभेदों के चलते पार्टी से इस्तीफा दे दिया।

सुभाष वारेः महाराष्ट्र इकाई के नेता वारे ने अक्टूबर 2015 में आप की सदस्यता और इसकी राष्ट्रीय कार्यकारिणी से इस्तीफा दे दिया। राज्य के कुछ नेताओं द्वारा आप पार्टी के मुखिया पर निरंकुश व्यवहार का आरोप लगाने के बाद केंद्रीय नेतृत्व द्वारा महाराष्ट्र इकाई को भंग कर दिया गया था।

आनंद कुमार: पूर्व जेएनयू प्रोफेसर, आनंद आप के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य थे। कथित पार्टी विरोधी गतिविधियों के कारण उन्हें 2015 में पार्टी से बाहर कर दिया गया था। उन्होंने दिल्ली सीट से 2014 का लोकसभा चुनाव लड़ा था और भाजपा के मनोज तिवारी से हार गए थे। उन्होंने पार्टी के नेतृत्व पर भ्रष्ट कार्यों में शामिल होने का आरोप लगाया था।

उपरोक्त नेताओं के अलावा, पार्टी विद्रोही लोगों का एक और समूह है जिन्होंने पार्टी की दिक्कतें बढ़ाईं:

कुमार विश्वास: आप के एक अन्य संस्थापक सदस्य, विश्वास ने कुछ समय पहले केजरीवाल से मतभेद उत्पन्न हुए हैं। पार्टी ने उनसे पंजाब विधानसभा चुनाव अभियान में शामिल न होने के लिए कहा था। उन्हें पीएसी से हटा दिया गया और उनसे राजस्थान प्रभारी पद छीन लिया गया। बाद में उन्हें वापस पीएसी में शामिल कर लिया गया लेकिन हालात तब भी वैसे ही रहे। वह राज्यसभा में नामांकित न होने के कारण नाखुश हैं और केजरीवाल पर तंज कसने का कोई मौका नहीं छोड़ते हैं।


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सुखपाल सिंह खैरा: पंजाब में विपक्ष के नेता के रूप में आप के पंजाब इकाई के नेता सिंह को कथित रूप से हटा दिया गया था क्योंकि उन्होंने पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व के आदेश (जो कि लोकप्रिय सहमति के बिना जारी किया गया था) की अवहेलना की थी। आप नेता अभी भी उनको रिझाने की कोशिश कर रहे हैं। पिछले महीने, खैरा के नेतृत्व में नौ ‘बागी’ विधायकों ने भटिंडा में स्वयंसेवकों के सम्मेलन के साथ आगे बढ़ने के हाई कमान की अवहेलना की।

भगवंत मान: आप के संयोजक अरविंद केजरीवाल द्वारा शिरोमणि अकाली दल (शिअद) नेता बिक्रम सिंह मजीठिया के प्रति नशीली दवाओं की तस्करी के मामले से संबंध को लेकर खेद प्रकट करने के बाद, पंजाब के संगरूर के सांसद मान ने पंजाब इकाई के प्रमुख के पद से इस्तीफा दे दिया।

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