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Monday, 6 May, 2024
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आबकारी नीति मामले में सिसोदिया की CBI रिमांड बढ़ी, जमानत पर एजेंसी को कोर्ट ने दिया नोटिस

दिल्ली के पूर्व मंत्री और आम आदमी पार्टी (आप) के नेता मनीष सिसोदिया ने एक ट्रायल कोर्ट में अपनी जमानत याचिका में कहा कि उन्हें हिरासत में रखने से कोई सार्थक उद्देश्य पूरा नहीं होगा क्योंकि सभी बरामदगी पहले ही की जा चुकी है.

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नई दिल्ली: राउज एवेन्यू कोर्ट ने शनिवार को जीएनसीटीडी की आबकारी नीति के निर्माण और कार्यान्वयन में कथित अनियमितताओं से संबंधित एक मामले में दिल्ली के पूर्व मंत्री मनीष सिसोदिया की केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) रिमांड बढ़ा दी.

विशेष न्यायाधीश एमके नागपाल ने शनिवार को मनीष सिसोदिया की दो और दिनों की सीबीआई रिमांड को मंजूरी दे दी.

इस बीच, अदालत ने मनीष सिसोदिया द्वारा दायर जमानत पर सीबीआई को नोटिस भी जारी किया और मामले को 10 मार्च, 2023 के लिए सूचीबद्ध किया.

मनीष सिसोदिया की रिमांड मांगते हुए सीबीआई के वकील ने कहा, ‘वह अभी भी असहयोगी है और हमें दो लोगों के साथ उसका सामना करने के लिए उसकी और हिरासत की जरूरत है.’

सीबीआई ने अदालत से कहा, ‘उनके मेडिकल में काफी समय चला गया. सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में एक पूरा दिन चला गया, जिसे खारिज कर दिया गया.’

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मनीष सिसोदिया की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता दयान कृष्ण ने रिमांड बढ़ाने की सीबीआई की अर्जी का विरोध किया और कहा कि ‘पहले दिन और आज के बीच क्या अंतर है? मेरे घर पर और मेरे कार्यालय पर भी छापे मारे गए… मुझे सीबीआई हिरासत में रख कर दस्तावेज पेश करना, क्या यह तार्किक है?’

वरिष्ठ अधिवक्ता मोहित माथुर भी सिसोदिया की ओर से पेश हुए और प्रस्तुत किया कि इस सब पर विचार करते हुए मेरी पत्नी की मेडिकल कंडिशन को अलग रखा जा रहा है. उन्होंने कहा, ‘जो आदमी भागने वाला नहीं है, उसे भी उसी तरह देखना होगा.’

सुनवाई के दौरान मनीष सिसोदिया ने खुद कोर्ट में कहा, ‘सीबीआई के अधिकारी मेरी देखभाल कर रहे हैं, मेरे साथ सम्मानपूर्वक व्यवहार कर रहे हैं. सब कुछ दे रहे हैं और किसी थर्ड डिग्री का इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं.’ उन्होंने आगे कहा कि वो उन्हें रोजाना 9-10 घंटे बैठा रहे हैं और वही सवाल बार-बार पूछ रहे हैं… यह मानसिक प्रताड़ना से कम नहीं है. इस पर कोर्ट ने सीबीआई को बार-बार सवाल नहीं पूछने का निर्देश दिया है.

दिल्ली के पूर्व मंत्री और आम आदमी पार्टी (आप) के नेता मनीष सिसोदिया ने एक ट्रायल कोर्ट में अपनी जमानत याचिका में कहा कि उन्हें हिरासत में रखने से कोई सार्थक उद्देश्य पूरा नहीं होगा क्योंकि सभी बरामदगी पहले ही की जा चुकी है.

सिसोदिया ने यह भी कहा कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा बुलाए जाने पर वह जांच में शामिल हो गए हैं. इस मामले में गिरफ्तार अन्य आरोपियों को पहले ही जमानत मिल चुकी है. सिसोदिया ने आगे कहा कि वह दिल्ली के डिप्टी सीएम के महत्वपूर्ण संवैधानिक पद पर हैं और समाज में उनकी गहरी जड़ें हैं.

सिसोदिया को हाल ही में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने जीएनसीटीडी की उत्पाद शुल्क नीति के निर्माण और कार्यान्वयन में कथित अनियमितताओं के लिए गिरफ्तार किया था.

राउज एवेन्यू कोर्ट ने पहले सिसोदिया को सीबीआई रिमांड पर भेजते हुए निर्देश दिया गया था कि रिमांड के दौरान आरोपी से पूछताछ सीसीटीवी कवरेज वाले किसी स्थान पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित दिशानिर्देशों के अनुसार की जाएगी और उक्त फुटेज सीबीआई द्वारा संरक्षित की जाएगी.

सिसोदिया को सीबीआई रिमांड पर भेजते समय, ट्रायल कोर्ट ने पाया कि वो पहले दो मौकों पर इस मामले की जांच में शामिल हुए थे, लेकिन यह भी देखा गया है कि वह पूछताछ के दौरान उससे पूछे गए अधिकांश सवालों के संतोषजनक जवाब देने में विफल रहे हैं. अब तक की जांच में उसके खिलाफ कथित रूप से सामने आए आपत्तिजनक सबूतों को वैध रूप से समझाने में विफल रहा है.

अदालत ने कहा, ‘यह सच है कि उनसे खुद को दोषी ठहराने वाले बयान देने की उम्मीद नहीं की जा सकती है, लेकिन न्याय के हितों और एक निष्पक्ष जांच के लिए जरूरी है कि उन्हें उन सवालों के कुछ वैध जवाब देने चाहिए जो जांच अधिकारी द्वारा उनसे पूछे जा रहे हैं.’


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