नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने शनिवार को दिल्ली विधानसभा चुनावों में दशकों पुराना चुनावी सूखा खत्म कर दिया, लेकिन 70 में से एक दर्जन सीटों ने अंतिम नतीजों तक पार्टी नेतृत्व को असमंजस में डाले रखा.
यह वह सीटें थीं, जिन्हें भाजपा ने 2008 से नहीं जीता था, जिनमें से नौ सीटें 1993 से ही उसके हाथ से निकल गई थीं — जब दिल्ली के पहले विधानसभा चुनाव हुए थे, जो पहले दिल्ली महानगर परिषद की जगह थे — और तीन सीटें 2008 के परिसीमन के बाद उनके निर्माण के बाद से पहुंच से बाहर हो गई थीं.
इनमें वाल्ड सिटी में मटिया महल और बल्लीमारान, आंबेडकर नगर, सीलमपुर, ओखला, सुल्तानपुर माजरा, मंगोलपुरी, जंगपुरा और देवली के साथ-साथ नई दिल्ली, विकासपुरी और कोंडली शामिल हैं — जिनमें से कोई भी सीट 2008 के बाद से भाजपा के खाते में नहीं गई थी.
हालांकि, पार्टी शनिवार को 12 में से चार सीटों — जंगपुरा, नई दिल्ली, मंगोलपुरी और विकासपुरी — पर जीत हासिल करके इस दुर्भाग्य को तोड़ने में सफल रही. आम आदमी पार्टी (आप) ने शेष आठ सीटें जीतीं, जिससे उसकी कुल सीटों की संख्या 22 हो गई.
![चित्रण: श्रुति नैथानी/दिप्रिंट](https://static.theprint.in/wp-content/uploads/2025/02/delhi-bjp-jinx-2025-2.jpg?compress=true&quality=80&w=1000&dpr=0.7)
1993 में जब वरिष्ठ पार्टी नेता मदन लाल खुराना मुख्यमंत्री बने, तब भाजपा ने 70 में से 49 सीटें जीतीं. एक समय में प्रमुख कांग्रेस सिर्फ 14 सीटों पर सिमट गई.
भाजपा के प्रवेश वर्मा ने नई दिल्ली में अरविंद केजरीवाल की जीत का सिलसिला खत्म कर दिया, क्योंकि उन्होंने उन्हें 4,089 वोटों से हराया. 2020 में, केजरीवाल ने भाजपा के सुनील यादव को हराकर 21,000 से अधिक वोटों के अंतर से सीट जीती थी. AAP नेता 2013 से इस सीट का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. इससे पहले, शीला दीक्षित ने तीन बार सीट जीती थी — 1998 और 2003 में, जब इसे गोल मार्केट निर्वाचन क्षेत्र कहा जाता था और 2008 में, जब परिसीमन के बाद इसका नाम बदलकर नई दिल्ली निर्वाचन क्षेत्र कर दिया गया था.
पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने दिप्रिंट को बताया कि 12 में से पांच सीटें — सुल्तानपुर माजरा, आंबेडकर नगर, देवली, मंगोलपुरी और कोंडली — अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं और दलित समुदाय तक पहुंचने के पार्टी के प्रयासों के नतीजे सामने आए हैं.
मटिया महल, सीलमपुर, ओखला और बल्लीमारान समेत बाकी कई निर्वाचन क्षेत्रों में मुस्लिम आबादी अच्छी खासी है.
भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, “आरक्षित सीटों पर कई झुग्गी-झोपड़ियां हैं और पहले हम उनका लाभ नहीं उठा पाए थे, लेकिन तथ्य यह है कि पीएम मोदी ने अपने भाषणों में झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वालों को सत्ता में आने के बाद पक्का घर देने की बात की और उनके लिए कई कल्याणकारी उपायों की घोषणा की, जिससे हमें उनसे जुड़ने में मदद मिली.”
इसके अलावा, भाजपा नेताओं ने दिप्रिंट को बताया कि उन्होंने AAP के ‘फर्ज़ी नैरेटिव’ का सक्रिय रूप से विरोध किया — कि अगर पार्टी सत्ता में आई तो झुग्गियों को तोड़ देगी और कल्याणकारी योजनाओं को समाप्त कर देगी. मतदान से पहले अंतिम दिनों में, पीएम मोदी ने इन दावों का सीधे तौर पर खंडन किया और मतदाताओं को आश्वासन दिया कि भाजपा गारंटी देती है कि दिल्ली में कोई भी झुग्गी-झोपड़ी नहीं तोड़ी जाएगी और कल्याणकारी योजनाएँ जारी रहेंगी.
पार्टी के एक अन्य पदाधिकारी ने झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वालों से जुड़ने में मदद के लिए भाजपा के रात्रि प्रवास संवाद अभियान को श्रेय दिया. नवंबर 2024 में दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा के नेतृत्व में शुरू की गई इस पहल के तहत, पार्टी के कई नेताओं ने शहर के 250 झुग्गी बस्तियों के निवासियों से संपर्क किया.
दिल्ली भाजपा के एक अन्य नेता ने कहा, “इसका उद्देश्य न केवल उनके घरों का दौरा करना था, बल्कि इसके ज़रिए उनकी समस्याओं को समझना और एक विकल्प प्रदान करना था.”
दिल्ली के झुग्गी-झोपड़ी निवासी सभी राजनीतिक दलों की नज़र में एक महत्वपूर्ण वोट बैंक हैं. पार्टियों के अनुमान के अनुसार, दिल्ली की झुग्गियों में लगभग 20 लाख लोग रहते हैं.
वह पारंपरिक रूप से कांग्रेस के समर्थक थे, खासकर पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के कार्यकाल के दौरान, लेकिन AAP ने मोहल्ला क्लिनिक, बिजली और पानी के बिलों में कमी और झुग्गी-झोपड़ियों में बुनियादी सुविधाएं प्रदान करने जैसी लक्षित नीतियों के ज़रिए 2013 और 2015 के विधानसभा चुनावों के दौरान उन्हें जीतने में कामयाबी हासिल की.
इसी समय, जहां AAP ने एक के बाद एक कल्याणकारी पहलों की घोषणा करके झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वालों को लुभाने की कोशिश की, वहीं भाजपा ने, खासकर पीएम मोदी के भाषणों के माध्यम से, अपनी राजनीतिक पकड़ को मजबूत करने के लिए झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वालों को ‘पक्के’ घर सौंपने पर जोर दिया.
दिल्ली भाजपा एससी मोर्चा के अध्यक्ष मोहन लाल गिहारा ने दिप्रिंट को बताया कि उनके प्रयासों से पार्टी को अपनी स्थिति मजबूत करने में मदद मिली है और मतदाताओं ने इसका जवाब दिया है.
उन्होंने कहा, “हमारा ध्यान झुग्गियों (झुग्गी बस्तियों) और यहां तक कि अनधिकृत कॉलोनियों तक पहुंचने पर था ताकि लोगों की समस्याओं को समझा जा सके. कई लोगों ने बताया कि उनके पास अपना पक्का घर न होना उनके लिए एक बड़ी समस्या थी. साथ ही, इन झुग्गियों में बुनियादी सुविधाओं की कमी भी चिंता का विषय थी, जिसे हमने ठीक करने का वादा किया है.”
भाजपा 2008 में अस्तित्व में आने के बाद पहली बार नई दिल्ली सीट जीतने में सफल रही थी.
संसदीय स्तर पर, भाजपा दिल्ली में सफल रही है, जिसने 2014, 2019 और 2024 में सभी सात लोकसभा सीटें जीती हैं. हालांकि, विधानसभा के नतीजे उसके लिए निराशाजनक रहे, जिसमें पार्टी 2025 के चुनावों से पहले तक 70 में से केवल आठ सीटों पर ही काबिज रही. AAP ने 2020 में 62 सीटें जीती थीं.
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
यह भी पढ़ें: