नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार को ब्रिटेन में शुरू हो रहे ‘भारत ग्लोबल वीक 2020’ में कहा, भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार के संकेत दिखने लगे हैं और देश दुनिया की सबसे खुली अर्थव्यवस्थाओं में से एक बना हुआ है.
पीएम ने कहा कोरोनावायरस महामारी ने भारत ही नहीं पूरी दुनिया के सभी देशों की अर्थव्यवस्थाओं पर असर डाला है.
पीएम मोदी ने कहा कि इस आर्थिक पुनरुद्धार की जब बात हो तो कोरोना काल में वैश्विक पुनरुद्धार और भारत को जोड़ना स्वाभाविक है. ‘मुझे विश्वास है कि वैश्विक पुनरुत्थान की कहानी में भारत की अग्रणी भूमिका होगी. ‘
पीएम ने ग्लोबल वीक में शामिल लोगों को संबोधित करते हुए यह भी कहा कि भारत दुनिया की सबसे खुली अर्थव्यवस्थाओं में से एक है और हम वैश्विक निवेश्कों का स्वागत कर रहे हैं.
निवेशकों के लिए भारत ने बिछाया रेड कार्पेट
मोदी ने कहा, ‘हम सभी वैश्विक कंपनियों को भारत में बुलाने के लिए रेड कार्पेट बिछा रहे हैं. आज भारत में जैसे अवसर हैं, बहुत कम देश वैसे अवसरों की पेशकश कर सकते हैं.’
उन्होंने आगे कहा कि भारत में कई नए क्षेत्रों में असीमति संभावनाएं और अवसर हैं. इतिहास बताता है कि भारत ने हर चुनौतियों से पार पाया है चाहें वो सामाजिक हों या आर्थिक.
उन्होंने इस दौरान कहा कि दुनिया ने और आपने भारत की प्रतिभा-बल के योगदान को देखा है. भारत का टेक उद्योग और हमारे पेशेवरों को कौन भूल सकता है. वे दशकों से दुनिया को रास्ता दिखा रहे हैं. भारत प्रतिभा की शक्ति वाला घर है जो योगदान देने के लिए हमेशा से आगे रहा है.
इस दौरान पीएम मे कहा हमें पहले ही आर्थिक पुनरुद्धार के संकेत मिलने लगे हैं.
भारत का फार्मा विश्व के लिए पूंजी
प्रधानमंत्री मोदी ने दवाओं की लागत कम करने में भारत की भूमिका का हवाला देते हुए कहा, देश का फार्मा उद्योग न केवल भारत के लिए बल्कि पूरे विश्व के लिए एक पूंजी है.
उन्होंने कहा कि इस कोरोना महामारी ने एक बार फिर दिखाया है कि भारत का फार्मा उद्योग न केवल भारत के लिए बल्कि पूरे विश्व के लिए एक संपत्ति है. इसने दवाओं की लागत को कम करने में अग्रणी भूमिका निभाई है, खासकर विकासशील देशों के लिए.
यही नहीं इस दौरान पीएम ने कहा कि भारत में बनी वैक्सीन दुनियाभर में दो तिहाई मांग को पूरा करती है. आज हमारी वैक्सीन कोविड -19 वैक्सीन के विकास में अंतरराष्ट्रीय प्रयासों में अहम स्थान रख रही हैं और सक्रियता से प्रयास भी कर रही है. मैं यह कहना चाहता हूं कि वैक्सीन तैयार होने के बाद इसके उत्पादन में भारत की भूमिका भी अहम होगी.
आत्मनिर्भर भारत का अर्थ आत्मकेंद्रित होना या दुनिया से खुद को बंद कर लेना नहीं है, यह आत्मनिर्भर होने, आत्मोत्पादन करने के बारे में है. भारत वैश्विक भलाई, समृद्धि के लिए जो कुछ भी कर सकता है, करने के लिए तैयार है.