मुंबई: गुवाहाटी में शिवसेना के बागियों की तादात बढ़ने के साथ ही सीएम उद्धव ठाकरे की अपने विधायकों पर पकड़ खिसकती हुई दिखाई दे रही है क्योंकि गुरुवार को उनकी बैठक के लिए केवल 13 विधायक ही आए. इसके बाद पार्टी सांसद संजय राउत ने कहा कि भले ही शिवसेना सत्ता खो देती है, लेकिन यह ‘फीनिक्स की तरह बढ़ जाएगी.’
उन्होंने दिप्रिंट को बताया, ‘आखिरी सांस तक पार्टी के साथ रहेंगे. और हम एक बार फिर से एक बाज की तरह ऊंची उड़ान भरेंगे. जो भी जाना चाहता है वह जा सकता है. लेकिन एक बार फिर आपको चुनाव लड़ना होगा. और फिर जीतने की कोशिश करो. यह जमीन शिव सेना की है. यह पार्टी बाला साहेब ठाकरे की है. अगर विधायकों का एक वर्ग दूर जा रहा है तो उन्हें जाने दो. लेकिन हम फीनिक्स की तरह फिर से बढ़ेंगे.’
राउत की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब दो विधायक – वरिष्ठ नेता दीपक केसरकर के साथ – बुधवार शाम उद्धव की भावनात्मक अपील के बावजूद गुरुवार सुबह गुवाहाटी पहुंचे, जब उन्होंन यह कहा कि अगर बागी विधायक चाहते हैं तो वह इस्तीफा देने को तैयार हैं.
ठाकरे आवास मातोश्री में गुरुवार को उद्धव द्वारा बुलाई गई बैठक में शिवसेना के केवल 13 विधायकों ने भाग लिया, जिसमें सुझाव दिया गया था कि बागी नेता एकनाथ शिंदे के पीछे विधायकों की रैली की तुलना में शिवसेना प्रमुख के शिविर को अल्पसंख्यक होने का खतरा था.
राउत ने दावा किया कि, ‘भाजपा द्वारा केंद्रीय एजेंसियों का उपयोग” विद्रोह के मुख्य कारणों में से एक था. हम 56 साल से लड़ रहे हैं. क्या होगा? हम सत्ता और मंत्रालय खो देंगे. आपने ईडी, सीबीआई को हमारे पीछे भेजा है. हमें जेल में डाल दीजिए, और यहां तक कि हमें गोली मार दीजिए. इससे ज्यादा क्या हो सकता है?’
उन्होंने बागी विधायकों से कहा, ‘आप भाजपा में जाएं, उनके साथ मिल जाएं. यहां तक कि बालासाहेब के समय में भी कई लोग हमें छोड़कर चले गए. हमने इस पार्टी को खड़ा किया है और इसे सत्ता में लेकर आए हैं. जो भी जाना चाहता है उसे जाने दो.’
यह कहते हुए कि पार्टी बाल ठाकरे की है और शिवसैनिक उद्धव के साथ रहेंगे, उन्होंने कहा कि ‘बालासाहेब की आत्मा यह सब देख रही है.’
उन्होंने कहा, ‘ये लोग खुश नहीं रहेंगे. हमारा पूरा जीवन बालासाहेब के साथ बीता. मराठी लोग और शिवसेना कमजोर नहीं हैं. उन्होंने कहा कि हमने ऐसी कई चुनौतियों का सामना किया है. हमने इस तरह के कई विश्वासघातों को सहन किया है. बालासाहेब कहते थे, ‘मेरी पीठ पर और छुरा घोंपने के लिए कोई जगह नहीं है. लेकिन मैंने अभी भी पार्टी को मजबूत बनाया है.’
शिवसेना के पूर्व बागी छगन भुजबल और नारायण राणे का जिक्र करते हुए राउत ने कहा कि वे न तो अपने दम पर जीत सकते हैं और न ही उनके साथ छोड़ने वाले लोग जीत सकते हैं. हर कोई बालासाहेब का नाम लेता है लेकिन केवल शिवसेना बालासाहेब ठाकरे की है.
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एकनाथ शिंदे का पत्र
महाराष्ट्र के मंत्री और शिवसेना के बागी नेता एकनाथ शिंदे ने गुरुवार को एक अन्य बागी विधायक द्वारा लिखे गए एक पत्र को ट्वीट किया, जिसमें यह व्यक्त करने की कोशिश की गई थी कि उद्धव के मातहत पार्टी विधायक कैसा महसूस करते हैं.
पत्र में आरोप लगाया गया है कि विधायक कभी सीएम से नहीं मिल सके और उन्हें ‘उद्धव के करीबी कुछ लोगों के माध्यम से’ जाना पड़ा.
इसमें कहा गया है कि शिवसेना का सीएम होने के बावजूद विधायकों को कभी भी अपने निर्वाचन क्षेत्रों के लिए धन नहीं मिला. पत्र में कहा गया है कि जब वे आदित्य ठाकरे के साथ अयोध्या जाना चाहते थे, तो उन्हें अनुमति नहीं दी गई.
पत्र में आगे कहा गया, ‘उद्धव जी, आपने भावनात्मक भाषण दिया, लेकिन हमारे सवालों का जवाब नहीं दिया गया. और जब सीएम उपलब्ध नहीं थे, तो यह एकनाथ शिंदे ही थे जो हमारे लिए हमेशा मौजूद थे और भविष्य में भी वह मौजूद रहेंगे. इसलिए, हम उनका समर्थन कर रहे हैं.’
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राउत ने पत्र में लिखी बातों को ‘बहाना’ करार दिया.
उन्होंने कहा, ‘शिवसेना के कई विधायक वर्षा (महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के आधिकारिक आवास) में नियमित रूप से आते रहे हैं. उस वक्त कोविड का दौर था और फिर उद्धव छह महीने के लिए बीमार हो गए. इसलिए, अगर वे ऐसी बातें कह रहे हैं तो मुझे लगता है कि यह अमानवीय है.’
एकनाथ शिंदे के लिए उन्होंने कहा, ‘आपको विधायकों को संभालने का प्रभार दिया गया था, ताकि उनकी समस्याओं को समझा जा सके. आप हर फैसले के दौरान वहां मौजूद थे. उद्धव ठाकरे हर जगह मौजूद नहीं हो सकते. आपकी यह जिम्मेदारी थी लेकिन आपने भी पार्टी में दरार पैदा कर दी. पार्टी सभी की है और यह हर किसी की जिम्मेदारी थी.’
हालांकि राउत ने एक बार फिर सभी विधायकों से लौटने की अपील की, लेकिन उन्होंने कहा कि बागी विधायकों को महाराष्ट्र विधानसभा के पटल पर अपना बहुमत साबित करना होगा जो कि काफी मुश्किल होगा.
राउत ने दावा किया है कि असम में मौजूद शिवसेना के कम से कम 20 विधायक पार्टी के संपर्क में हैं और महाराष्ट्र लौटने के बाद जिन परिस्थितियों में वे बाहर निकले, उनका पता चल जाएगा.
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