मुंबई: महाराष्ट्र की महाविकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार काफी समय से केंद्र में सत्तासीन भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) पर राजनीतिक बदले के लिए केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप लगा रही है. हालांकि, खुद अपने राज्य में उस पर एमवीए के आलोचकों को निशाना बनाने के लिए मुंबई के नागरिक निकाय बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) का इस्तेमाल करने का आरोप लगता रहा है, जहां इस साल मार्च में प्रशासक के पद संभालने से पहले करीब दो दशक तक शिवसेना का राज रहा है.
2020 से बीएमसी ने ‘अवैध निर्माण’ को लेकर कम से कम पांच ऐसे हाई-प्रोफाइल लोगों को नोटिस भेजा है, जो एमवीए, खासकर शिवसेना और उसके नेतृत्व के आलोचक रहे हैं. शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी के साथ एमवीए सरकार में भागीदार है.
10 मई को निर्दलीय सांसद नवनीत कौर और उनके विधायक पति रवि राणा को बीएमसी की तरफ से ‘उनके मुंबई स्थित घर में अवैध निर्माण’ को लेकर एक नोटिस भेजा गया था.
बीएमसी ने इसमें कहा है कि नोटिस मिलने के सात दिनों के भीतर दंपति को पुख्ता कारणों के साथ यह साबित करना होगा कि उनके घर में बदलाव मुंबई नगर निगम अधिनियम, 1888 के अनुसार किया गया है, अन्यथा नागरिक निकाय उपयुक्त कदम उठा सकता है.
राजनेता दंपति ने बुधवार को मीडिया से बातचीत के दौरान मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे पर निशाना साधा और ‘हिटलरशाही’ का आरोप लगाया.
अमरावती से सांसद नवनीत राणा ने कहा, ‘मैं जानना चाहती हूं कि आप और कितना नीचे गिरेंगे? मैंने उसी स्थिति में यह घर बिल्डर से खरीदा था और अगर अब दिक्कत है तो आपने (बीएमसी) 2005 में बिल्डर को अनुमति क्यों दी? यह महाराष्ट्र में जारी घटिया राजनीति के अलावा और कुछ नहीं है.
बडनेरा विधायक रवि राणा ने इस सबके लिए मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने कहा, ‘मुख्यमंत्री इतना नीचे गिर गए हैं कि यह नोटिस ऐसे समय पर भेजा गया जब हमें उनके कहने पर ही जेल भेज दिया गया था. बीएमसी भ्रष्टाचार का अड्डा है और हम इसे सामने लाकर रहेंगे.
गौरतलब है कि इस दंपति को मुख्यमंत्री ठाकरे के निजी आवास के बाहर हनुमान चालीसा का पाठ करने का ऐलान करने को लेकर ही गिरफ्तार किया गया था.
दिप्रिंट ने जब शिवसेना प्रवक्ता मनीषा कायंडे से संपर्क किया, तो उन्होंने विभिन्न राजनीतिक विरोधियों को भेजे गए नोटिसों को लेकर बीएमसी का बचाव किया.
कायंडे ने कहा, ‘हम किसी के नक्शेकदम पर चलकर प्रतिशोध की राजनीति नहीं कर रहे हैं. भाजपा नेता तो यही करते हैं कि वे केंद्रीय एजेंसियों के अधिकारियों के पास जाते हैं और हमारे नेताओं के नाम देते हैं. यहां, बीएमसी तो इस तरह की कार्रवाई उसे मिली कुछ शिकायतों के आधार पर कर रही है. इसलिए, हम प्रतिशोध की राजनीति नहीं कर रहे हैं.’
महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ एमवीए सरकार के कई नेता केंद्रीय एजेंसियों के निशाने पर रहे हैं, इनमें एनसीपी से डिप्टी सीएम अजित पवार के अलावा एकनाथ खडसे, प्राजक्ता तानपुरे और पार्थ पवार, शिवसेना के प्रताप सरनाइक, अनिल परब, रवींद्र वायकर, आनंदराव अडसुल, यशवंत जाधव और पार्टी सांसद संजय राउत की पत्नी और कांग्रेस से अर्जुन खोतकर और नितिन राउत शामिल हैं. इसके अलावा एनसीपी के दो निवर्तमान मंत्रियों, पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख और अल्पसंख्यक मंत्री नवाब मलिक फिलहाल गिरफ्तार हैं.
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विरोधियों को पहले भी भेजे नोटिस
केवल राणा दंपति ही नहीं, बीएमसी ने अप्रैल में भाजपा के मोहित कम्बोज को भी अपनी बिल्डिंग में कुछ काम कराने को लेकर कारण बताओ नोटिस भेजा था, जिसमें निगम ने कहा था कि काम्बोज की इमारत में कराया गया काम ‘अवैध’ था.
उन्हें सात दिन में नोटिस का जवाब देने को कहा गया था. दस्तावेज में, बीएमसी ने कई बदलावों को ‘अनधिकृत निर्माण’ के तौर पर चिह्नित किया था. इसमें दो फ्लैटों मिला देना शामिल था जिसमें दीवार हटाकर उसे रहने योग्य जगह बनाया गया था. इस पर कम्बोज की प्रतिक्रिया थी कि वह ‘कानूनी तौर पर नोटिस का जवाब देंगे और बीएमसी के भ्रष्टाचार का पर्दाफाश करेंगे.’
कम्बोज का शिवसेना और एमवीए नेताओं के साथ करीब छह महीने से टकराव चल रहा है. उन्होंने 2021 से जेल में बंद एमवीए मंत्री मलिक के खिलाफ आरोप लगाए थे और सोशल मीडिया पर शिवसेना सांसद संजय राउत पर भी निशाना साधा था.
बीएमसी के नोटिस पर, कम्बोज ने अपने वकीलों के माध्यम से कहा, ‘मैंने 11 अप्रैल को बीएमसी को नियमितीकरण योजना का प्रस्ताव दिया है ताकि अधिकारियों द्वारा बताई गई कुछ अनियमितताओं को ठीक किया जा सके और जांच शुल्क का भुगतान भी किया जा सके. हमने वो सारी खानापूर्ति कर दी है जो कानूनन जरूरी बताई जा रही थीं और और अब बीएमसी को नोटिस वापस ले लेना चाहिए.’
मुख्यमंत्री ठाकरे के कट्टर प्रतिद्वंद्वी और केंद्रीय मंत्री नारायण राणे को भी नागरिक निकाय की तरफ से नोटिस दिया गया था. राणे एमवीए और खासकर ठाकरे के आलोचक रहे हैं, और उन्होंने आरोप लगाया था कि कैसे सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में, सरकार ‘अपने ही लोगों को बचाने की कोशिश कर रही थी.’
उसके बाद, फरवरी में राणे को जुहू स्थित उनके आलीशान बंगले के लिए नोटिस भेजा गया था, जहां निगम ने आरोप लगाया था कि बीएमसी की अनुमति के बिना कई काम किए गए हैं.
ये नोटिस आरटीआई कार्यकर्ता संतोष दौंडकर द्वारा बीएमसी के समक्ष कई शिकायतें दर्ज किए जाने के बाद भेजे गए थे. वैसे राणे, जो पहले शिवसेना में ही थे, को मुख्यमंत्री के साथ निजी स्तर पर टकराव के लिए जाना जाता है और जब बाल ठाकरे ने उद्धव को अपना उत्तराधिकारी नियुक्त किया तो उन्होंने शिवसेना छोड़ दी थी. उसके बाद से ही राणे मुख्यमंत्री के धुर विरोधी बने हुए हैं.
2019 के बाद राणे जब भाजपा में शामिल हो गए तबसे वह व्यक्तिगत तौर पर ठाकरे पर इस कदर हमला करते रहे हैं कि उन्होंने भारत की आजादी का साल पता न होने को लेकर मुख्यमंत्री को जोरदार थप्पड़ जड़ने की बात भी कह दी थी.
हालांकि, जिस मामले ने इस रवैये को लेकर बीएमसी की सबसे ज्यादा किरकिरी कराई, वह एक्ट्रेस कंगना रनौत का ऑफिस तोड़े जाने का था.
2020 में जब कंगना रनौत ने मुंबई की तुलना पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से कर दी और ट्विटर पर मुख्यमंत्री ठाकरे और संजय राउत पर व्यक्तिगत हमला बोला, उसी समय बीएमसी ने अभिनेत्री के कार्यालय के कुछ ‘अवैध हिस्से’ को ध्वस्त कर दिया, जिसे लेकर सोशल मीडिया पर काफी तीखी प्रतिक्रिया हुई और कंगना को लोगों का समर्थन मिला.
बीएमसी के बीजेपी विंग के ग्रुप लीडर विनोद मिश्रा ने दिप्रिंट को बताया, ‘बीएमसी जो कर रही है वह उनके खिलाफ बोलने वाले लोगों को परेशान करने के अलावा और कुछ नहीं है और सत्तारूढ़ सरकार बीएमसी को अपने विरोधियों के खिलाफ एक औजार के तौर पर इस्तेमाल कर रही है.’
मिश्रा ने कहा, ‘यह राजनीतिक प्रतिशोध है. बीएमसी को पहले अपनी गिरेबान में झांककर देखना चाहिए और निगम के दफ्तरों की जांच करनी चाहिए. कई बीएमसी अधिकारियों के घरों में भी अवैध निर्माण मिल सकता है. वे वहां से शुरू क्यों नहीं करते?’
बीते दिनों मशहूर रेडियो जॉकी मलिष्का ने गड्ढों और जर्जर इमारतों को लेकर बीएमसी को एक पैरोडी सॉन्ग के जरिए रोस्ट किया था. इसके तुरंत बाद ही बीएमसी ने उनकी मां लिली मेंडोंसा को उनके घर पर ‘मच्छर पैदा होने की जगहों’ को लेकर नोटिस थमा दिया था.
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