मुंबई: महाराष्ट्र चुनाव से पहले मुख्यमंत्री रहे एकनाथ शिंदे द्वारा महायुति 1.0 सरकार के दौरान शुरू की गई कई जनकल्याणकारी योजनाएं अब बंद होने के कगार पर हैं. इसकी वजह आर्थिक संकट है. राज्य सरकार ने फंड अपने प्रमुख महिला नकद सहायता कार्यक्रम ‘लड़की बहिन योजना’ की ओर मोड़ दिया है.
शिंदे की जिन प्रमुख योजनाओं पर अब रोक लग सकती है, उनमें आनंदाचा शिधा, मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना और शिवसेना की शिव भोजन थाली शामिल हैं. ये सभी योजनाएं 2019 में एकजुट शिवसेना के घोषणा पत्र में शामिल थीं और महामारी के दौरान शुरू की गई थीं.
इन योजनाओं के संभावित बंद होने के बीच मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और उपमुख्यमंत्री शिंदे के बीच ठंडी जंग की अटकलें भी चल रही हैं.
खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री छगन भुजबल ने माना कि सरकार की लोकप्रिय योजना ‘लड़की बहिन योजना’ ने अन्य योजनाओं को प्रभावित किया है.
भुजबल ने सोमवार को मीडिया से कहा, “मेरा व्यक्तिगत मानना है कि लड़की बहिन योजना ने विभाग की दूसरी योजनाओं पर असर डाला है. क्योंकि उस योजना के लिए 35,000 से 40,000 करोड़ रुपये की जरूरत होती है. और अगर इतनी बड़ी राशि दूसरी ओर मोड़नी पड़े, तो बाकी योजनाओं पर असर पड़ता है.”
सभी योजनाएं बजट की कमी की वजह से प्रभावित नहीं हैं. कुछ योजनाएं इसलिए धीमी पड़ रही हैं क्योंकि लोगों की प्रतिक्रिया कमजोर है.
उदाहरण के लिए, मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन यात्रा योजना धीरे चल रही है, हालांकि इसे पूरी तरह खत्म नहीं किया गया है. सामाजिक न्याय और विशेष सहायता विभाग के अधिकारियों ने दिप्रिंट को बताया कि इस योजना में कम प्रतिक्रिया मिल रही है.
यह योजना 14 जुलाई 2024 को चुनाव से पहले शुरू की गई थी. इसमें 60 वर्ष से अधिक उम्र के वरिष्ठ नागरिकों को मुफ्त तीर्थ यात्रा की सुविधा दी जाती थी, जिनकी पारिवारिक आय सालाना 2.5 लाख रुपये से कम है.
सामाजिक न्याय मंत्री संजय शिरसाट, जिनके मंत्रालय के अंतर्गत यह योजना आती है, ने दिप्रिंट को बताया कि वजह फंड की कमी नहीं बल्कि कम प्रतिक्रिया है.
शिवसेना नेता ने आगे कहा कि जब योजना शुरू की गई थी, तब मंत्रालय ने लोगों को अयोध्या में राम मंदिर दर्शन के लिए भेजा था. कुछ लोगों को बोधगया, पंढरपुर और अन्य तीर्थ स्थलों पर भी ले जाया गया था.
“हमने इस योजना को बंद नहीं किया है, लेकिन इसकी प्रतिक्रिया बहुत कम है. जब योजना शुरू हुई थी, तब लोगों को अयोध्या तीर्थ दर्शन के लिए भेजा गया था. लेकिन इस साल इस योजना के लिए कोई आवेदन नहीं आया,” शिरसाट ने कहा.
“हमें नहीं पता कि लोग योजना में रुचि क्यों नहीं ले रहे हैं. शायद मानसून के कारण या कुछ और वजह हो सकती है. इसलिए ऐसा लग रहा है कि यह योजना रुक गई है. लेकिन विभाग के तौर पर हमने इसे बंद नहीं किया है.”
सब्सिडी वाला खाना
एक और बड़ी योजना जो अब बंद होने की कगार पर है, वह है आनंदाचा शिधा कार्यक्रम. यह योजना शिंदे ने दिवाली 2022 के दौरान शुरू की थी. इसमें भगवा राशन कार्ड धारकों को 100 रुपये की रियायती दर पर राशन किट दी जाती थी.
इस किट में एक किलो सूजी, एक किलो चना दाल, एक किलो चीनी और एक लीटर खाने का तेल शामिल था. यह किट अब तक आठ मौकों पर बांटी गई है, जिनमें 2023 और 2024 में गुड़ी पड़वा, शिव जयंती और दिवाली जैसे त्योहार शामिल हैं.
पहले साल इस योजना पर 600 करोड़ रुपये खर्च हुए थे. लेकिन 2024 में यह खर्च घटकर 160 करोड़ रुपये रह गया. इस साल के बजट में इस योजना का कोई उल्लेख नहीं किया गया.
गणेश उत्सव के दौरान परिवारों को यह किट नहीं दी गई. और अब दिवाली करीब आने पर मंत्री का कहना है कि इस योजना के लिए फंड नहीं हैं.
शिवसेना के एक वरिष्ठ नेता ने दिप्रिंट से कहा कि आनंदाचा शिधा योजना को बंद करना गलत है.
नेता ने कहा, “हालांकि मैं मानता हूं कि शिव भोजन थाली में कुछ गड़बड़ियां हैं, जहां कुछ धोखेबाज ऑपरेटरों को जरूरत से ज्यादा पैसा मिला. लेकिन आनंदाचा शिधा योजना को बंद नहीं करना चाहिए था. ये हमारे नेता शिंदे और पार्टी द्वारा शुरू की गई महत्वपूर्ण योजनाएं थीं. उम्मीद है कि अगले साल इसे ज्यादा फंड मिलेगा.”
भुजबल ने कहा कि लड़की बहिन योजना और बाढ़ राहत के लिए फंड ने राशन योजना को प्रभावित किया है.
“हमने गणेशोत्सव और दिवाली के दौरान वित्त विभाग को प्रस्ताव भेजा था. लेकिन हमें बताया गया कि यह संभव नहीं है. उन्होंने कहा कि अन्य चीजों को देखते हुए, इस साल यह संभव नहीं है,” भुजबल ने मीडिया से कहा.
इसी तरह की स्थिति शिव भोजन थाली योजना की भी है, जिसमें जरूरतमंदों को 10 रुपये में सब्सिडी वाला भोजन मिलता है. यह योजना महा विकास आघाड़ी सरकार ने शुरू की थी। यह एकजुट शिवसेना के घोषणा पत्र का हिस्सा थी. 2022 में शिवसेना के विभाजन के बाद भी शिंदे ने इस योजना को जारी रखा था. राज्य सरकार इस पर हर साल लगभग 200 करोड़ रुपये खर्च कर रही थी.
हालांकि, इस साल के बजट में इसका कोई उल्लेख नहीं है.
पिछले छह महीनों में महाराष्ट्र के करीब 2,000 शिव भोजन ऑपरेटरों को योजना जारी रखने के लिए फंड नहीं मिले हैं.
स्थिति इतनी खराब है कि नागपुर के एक ऑपरेटर ने आत्महत्या की कोशिश की क्योंकि वह अपने किराना विक्रेताओं और कर्मचारियों को भुगतान नहीं कर पा रहा था. ये ऑपरेटर आमतौर पर स्वयं सहायता समूह या एनजीओ होते हैं.
यह योजना पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने महामारी के दौरान शुरू की थी. सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में प्रति थाली 25 रुपये और शहरी क्षेत्रों में 40 रुपये ऑपरेटरों को देती है.
भुजबल ने कहा कि योजना को कम से कम 2 लाख लोगों के लिए जारी रखने के लिए हर साल कम से कम 140 करोड़ रुपये की जरूरत है. लेकिन अब तक सिर्फ 70 करोड़ रुपये स्वीकृत हुए हैं.
“मुझे नहीं लगता कि पूरा पैसा मिला है. ये ऑपरेटर गरीब लोग हैं, बड़े बिल्डरों जैसे नहीं. वे रोज कमाकर खाते हैं, इसलिए उनकी शिकायतें आती रहती हैं,” भुजबल ने कहा.
विभाग के एक अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया कि अब तक सिर्फ 20 करोड़ रुपये अप्रैल में जारी किए गए हैं.
भुजबल ने कहा कि उन्हें नहीं पता कि ये योजनाएं अगले साल जारी रहेंगी या बंद हो जाएंगी. “यह इस बात पर निर्भर करता है कि अगले साल आर्थिक स्थिति क्या रहती है. इस पर फैसला कैबिनेट में लिया जाएगा. एक बात तय है, सभी विभाग फंड की कमी महसूस कर रहे हैं.”
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
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