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Sunday, 17 November, 2024
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शिंदे ने RSS संस्थापक के स्मारक का किया दौरा, बोले- परामर्श के बाद जाति जनगणना पर करेंगे फैसला

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि उनकी सरकार हर हितधारक की राय जानने के बाद जाति जनगणना कराने पर फैसला लेगी.

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मुंबई: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने बुधवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) मुख्यालय और नागपुर में संगठन के संस्थापक के.बी. हेडगेवार के स्मारक का दौरा किया, और इसे एक ऐसा स्थान बताया जहां से उन्हें “ऊर्जा और प्रेरणा” मिलती है.

दौरे के बाद उन्होंने कहा कि उनकी सरकार हर हितधारक की राय जानने के बाद जाति जनगणना कराने पर फैसला लेगी. यह बयान आरएसएस के एक पदाधिकारी के उस बयान के एक दिन बाद आया है जिसमें उन्होंने कहा था कि जाति जनगणना नहीं होनी चाहिए क्योंकि इससे राष्ट्रीय एकता को नुकसान पहुंचेगा.

नागपुर में पत्रकारों से बात करते हुए शिंदे ने बताया कि कैसे वह लोगों और देश की सेवा करने के लिए आरएसएस संस्थापक से प्रेरणा लेते हैं. उन्होंने साथ ही शिव सेना के संस्थापक बाल ठाकरे की हिंदुत्व विचारधारा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के काम और मराठा योद्धा राजा छत्रपति शिवाजी महाराज के प्रशासनिक आदर्शों की सराहना की.

शिंदे ने कहा, “यहां आने के बाद शांति का एहसास होता है. बहुत अच्छा माहौल है. यहां आने के बाद मुझे ऊर्जा और प्रेरणा मिलती है.” उन्होंने पिछले साल भी स्मारक का दौरा किया था जब नागपुर में महाराष्ट्र विधानमंडल का शीतकालीन सत्र चल रहा था.

इस सवाल का जवाब देते हुए कि क्या हिंदुत्व एजेंडा अगले साल के लोकसभा चुनाव में प्रमुख भूमिका निभा सकता है, सीएम ने कहा, “क्या आपको लगता है कि यहां आने में कोई राजनीति है? हमने हिंदुत्व की विचारधारा के साथ, बाला साहेब ठाकरे के विचारों के साथ सरकार बनाई है. हमारा हिंदुत्व विकास का है. हमारे माननीय पीएम मोदी भी कहते हैं कि सबको साथ लेकर देश का विकास करो.”

शिंदे की आरएसएस संस्थापक के स्मारक पर यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब तीन दल – भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना और अजीत पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी), सत्तारूढ़ गठबंधन में जगह बनाने के लिए संघर्ष कर रही हैं. यह यात्रा इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह अगले साल होने वाले लोकसभा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों से पहले हो रही है, जिसके लिए तीनों सहयोगी दल जल्द ही पावर-ब्रोकिंग फॉर्मूले पर काम करना शुरू करेंगे. आरएसएस को भाजपा का वैचारिक अभिभावक माना जाता है.


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‘सेवा भाव’

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर, सीएम ने हेडगेवार स्मारक के साथ-साथ आरएसएस के दूसरे सरसंघचालक (प्रमुख) एमएस गोलवलकर के स्मारक पर जाकर, फूल चढ़ाते हुए और हाथ जोड़कर उनके सामने झुकते हुए खुद का 35 सेकंड का वीडियो पोस्ट किया.

शिंदे ने स्मारक को “सेवा भाव” का स्थल कहा.

शिंदे ने संवाददाताओं से कहा, “डॉक्टर हेडगेवार ने हमेशा यही संदेश दिया है कि जनता की सेवा करो, देश की सेवा करो. हमें जो मिला उसके बजाय हम देश को क्या दे रहे हैं…यह हमारी विचारधारा होनी चाहिए और हम छत्रपति शिवाजी महाराज के आदर्शों के अनुसार इस विचारधारा को आगे बढ़ा रहे हैं.”

पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे पर कटाक्ष करते हुए शिंदे ने यह भी कहा कि उनकी अपनी सरकार आम आदमी की सरकार है जो सभी के लिए सुलभ है.

उन्होंने कहा, “यहां तक कि एक आम आदमी भी सीएम से मिल सकता है. यह पहुंच हमारी सरकार की प्रमुख विशेषता है. यह आम आदमी की सरकार है. मैं भी एक आम आदमी की तरह काम करता हूं इसलिए लोग मुझसे प्यार करते हैं, वे मेरी सरकार से प्यार करते हैं.”

जाति जनगणना

शिंदे के दौरे से एक दिन पहले, उनकी पार्टी शिवसेना और भाजपा के मंत्रियों और विधायकों ने आरएसएस मुख्यालय और हेडगेवार और गोलवलकर के स्मारकों का दौरा किया. गौरतलब है कि जुलाई में शिंदे सरकार में शामिल हुए अजित पवार के नेतृत्व वाली राकांपा के सदस्यों ने दोनों स्मारकों का दौरा नहीं किया.

आरएसएस पदाधिकारी श्रीधर गाडगे ने मंगलवार को संवाददाताओं से कहा था कि जाति जनगणना, जिसकी विपक्षी कांग्रेस जोरदार मांग कर रही है, कुछ लोगों को राजनीतिक लाभ पहुंचा सकती है क्योंकि इससे कुछ जातियों की आबादी के बारे में डेटा उपलब्ध होगा, लेकिन यह सामाजिक और राष्ट्रीय एकता के लिए अच्छा नहीं होगा.

शिंदे ने बुधवार को कहा, ”हम कोशिश करते रहते हैं कि सौहार्द और कानून-व्यवस्था खराब न हो. हम सभी समुदायों की राय लेंगे (सर्वजातीय जनगणना के बारे में) और जनभावना को ध्यान में रखते हुए उचित निर्णय लेंगे.”

इससे पहले, डिप्टी सीएम देवेंद्र फड़नवीस ने भी कथित तौर पर कहा था कि वह जाति जनगणना के विचार के विरोध में नहीं हैं.

(संपादन: अलमिना खातून)
(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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