मुंबई: लोकसभा चुनाव में मजबूत संदेश देने के बाद, वरिष्ठ नेता शरद पवार आगामी विधानसभा चुनाव में भी अपने भतीजे अजित पवार को हराने की उम्मीद कर रहे हैं.
83 वर्षीय नेता पिछले सप्ताह अपने गृहनगर बारामती के तीन दिवसीय दौरे पर गए थे, जहां उन्होंने सूखा प्रभावित गांवों का दौरा किया और अगले तीन से चार महीनों में होने वाले महाराष्ट्र चुनाव के लिए अपने काम की शुरुआत की.
लोकसभा चुनावों में मिली सफलता से उत्साहित, जहां महा विकास अघाड़ी (एमवीए) ने 48 में से 30 सीटें जीतीं, जिसमें उनके संगठन का सबसे अच्छा स्ट्राइक रेट (10 में से 8 सीटें जीतना) था, पवार अपने भतीजे के गढ़ को ढहाने के लिए दो सप्ताह में दो बार – (12-13 जून) और (18-20 जून) – बारामती गए. अजित पवार 1990 के दशक से बारामती से विधायक हैं.
लोकसभा चुनाव के दौरान, महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने अपनी पत्नी सुनेत्रा पवार को अपनी चचेरी बहन और शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले के खिलाफ बारामती से टिकट दिया. लेकिन, सुले लगभग 1.5 लाख वोटों से जीत गईं.
राजनीतिक विश्लेषक अभय देशपांडे ने दिप्रिंट से कहा, “पवार को लोकसभा वाला ही मोमेंटम बनाए रखने के लिए उन्हें तुरंत काम शुरू करना था.”
इसके अलावा, वह लगातार आगे बढ़ने और अगला काम करने के आदी हैं. और अगर वह बारामती से शुरुआत करते हैं, तो उनके लिए यह संदेश देना महत्वपूर्ण है कि वह गंभीरता से काम करना चाहते हैं. वह लोगों को यह सोचने में भ्रमित नहीं करना चाहते थे कि क्या पवार परिवार फिर से साथ आएगा.”
बारामतीच्या निरा वागज गावातील शेतकऱ्यांशी संवाद साधला..!
निरा वागज येथील अनेकांची साथ तालुक्याच्या राजकारणामध्ये आम्हा लोकांना मिळाली. माळेगाव साखर कारखाना सुद्धा तुमच्या गावासाठी महत्त्वाचा आहे. या गावातून अनेकांना मोठा करण्याच्या साठी प्रयत्न केला. त्यांना मोठमोठ्या जागा… pic.twitter.com/NjvrkrGDTy
— Sharad Pawar (@PawarSpeaks) June 19, 2024
जुलाई 2023 में, अजित पवार वरिष्ठ नेताओं प्रफुल्ल पटेल और सुनील तटकरे और कुछ विधायकों के साथ एनसीपी से अलग हो गए और महाराष्ट्र में शिंदे-फडणवीस सरकार में शामिल हो गए.
लोकसभा कैंपेन के दौरान, अजित अक्सर अपने चाचा की बढ़ती उम्र का मजाक उड़ाते थे, कहते थे कि कुछ लोग 80 के दशक की उम्र में भी रिटायर होने के लिए तैयार नहीं होते हैं.
2019 में, विधानसभा अभियान के दौरान जब उन्होंने विपक्षी अभियान को अपने कंधों पर उठाया, तो पवार ने बारिश में एक रैली में भाषण दिया. यह एक ऐसा क्षण था जो तत्कालीन कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन के लिए सकारात्मक साबित हुआ. और इसलिए इस बात पर व्यापक अटकलें लगाई गईं कि क्या वह 2024 में अपना प्रदर्शन दोहरा पाएंगे. हालांकि, पवार ने बार-बार इन दावों का खंडन करते हुए कहा कि उम्र इसमें कोई बाधा नहीं है.
हालांकि, पवार ने बार-बार इन दावों का खंडन करते हुए कहा कि उम्र कोई बाधा नहीं है. उन्होंने जोर देकर कहा कि उनके संन्यास लेने का कोई सवाल ही नहीं है और उन्होंने कहा कि वे प्रभावी बने रहेंगे, चाहे वे 82 साल के हों या 92 साल के. दिसंबर में अपने जन्मदिन के मौके पर उन्होंने शिकायत की कि उनकी उम्र पर सवाल उठाने वाले लोगों को याद रखना चाहिए कि “उनकी उम्र इतनी भी नहीं है कि वे लोगों को सीधा न कर सकें.”
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तुरंत काम पर लग जाना
लोकसभा चुनाव के नतीजों के ठीक एक हफ़्ते बाद पवार बारामती पहुंचे जहां उन्होंने स्थानीय कार्यकर्ताओं से मुलाक़ात की.
हाल ही में एनसीपी नेता छगन भुजबल ने भी टिप्पणी की कि कैसे पवार ने विधानसभा चुनाव प्रचार शुरू कर दिया है और महायुति को भी मतभेदों को जल्दी से जल्दी सुलझाने की ज़रूरत है.
एनसीपी-शरद पवार के प्रवक्ता क्लाइड क्रैस्टो ने दिप्रिंट को बताया कि शरद पवार के लिए यह कोई नई बात नहीं है.
उन्होंने कहा, “वह जमीनी नेता हैं और लोगों से व्यक्तिगत रूप से मिलने में विश्वास रखते हैं. इसलिए चुनाव हों या न हों, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता. इसलिए यह कोई नई बात नहीं है.”
“लेकिन इसके दो कारण भी हैं – वह उन लोगों को धन्यवाद देना चाहते हैं जिन्होंने एनसीपी को वोट दिया, खासकर जो कुछ हुआ उसके बाद, और वह उन लोगों को भी धन्यवाद देना चाहते हैं जो असली एनसीपी के साथ खड़े रहे.”
एक पदाधिकारी ने दिप्रिंट को बताया कि पार्टी कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों के साथ अपनी बैठकों में पवार ने उन्हें विधानसभा चुनावों के लिए तैयार रहने को कहा.
पदाधिकारी ने दिप्रिंट को बताया, “उन्होंने हम सभी से आगामी चुनावों के लिए तैयार रहने को कहा. उन्होंने कहा कि हमें लोकसभा चुनावों में अच्छी सफलता मिली है और विधानसभा में भी हमें अपना प्रदर्शन दोहराना होगा.”
हालांकि एमवीए सहयोगियों के बीच सीट बंटवारे पर बातचीत अभी शुरू नहीं हुई है, लेकिन पवार ने संकेत दिया कि वह और उनकी पार्टी इससे कम पर समझौता नहीं करेंगे.
पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं के साथ अपनी बैठकों में पवार ने पश्चिमी महाराष्ट्र, खासकर पुणे, बारामती, मावल और शिरूर लोकसभा क्षेत्रों के विधानसभा क्षेत्रों की स्थिति की समीक्षा की.
इस बीच, रणनीतिकार के तौर पर पवार ने बागियों के लिए दरवाजे खुले रखने का संकेत भी दिया है.
पवार ने मंगलवार को मीडिया से कहा, “जो लोग पार्टी को कमजोर करना चाहते हैं, उन्हें शामिल नहीं किया जाएगा. लेकिन जो नेता संगठन को मजबूत करने में मदद करेंगे और पार्टी की छवि को नुकसान नहीं पहुंचाएंगे, उन्हें शामिल किया जाएगा.”
“हालांकि, यह भी पार्टी (एनसीपी-एसपी) के नेताओं और कार्यकर्ताओं से बात करने के बाद ही होगा. उनकी राय का सम्मान किया जाना चाहिए. यह मामला दर मामला होगा और कोई सामान्य निर्णय नहीं होगा.”
देशपांडे को लगता है कि वापसी का इंतजार कर रहे कुछ बागी विधानसभा सत्र खत्म होने तक इंतजार करेंगे.
देशपांडे ने कहा, “और इसलिए पवार ने स्पष्ट किया कि भले ही वह लोगों को वापस ले लें, लेकिन वे उन लोगों को वापस लेंगे जिन्होंने उन्हें चोट नहीं पहुंचाई है. इस तरह वह यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि लोग भ्रमित न हों.”
बारामती चुनौती
पवार के साथ उनकी मुलाकातों के दौरान अजित पवार के छोटे भाई श्रीनिवास के बेटे युगेंद्र भी थे.
पवार के लिए एक चुनौती यह है कि बारामती में सात बार विधायक रह चुके अजित को चुनौती देने वाला कोई उपयुक्त उम्मीदवार मिल जाए.
कई कार्यकर्ताओं ने अजित के खिलाफ युगेंद्र को मैदान में उतारने का सुझाव दिया था. युगेंद्र ने लोकसभा चुनाव के दौरान प्रतिष्ठा की लड़ाई में सुले में लिए प्रचार किया था.
पार्टी कार्यकर्ताओं द्वारा बनाए गए एक वीडियो में एक ग्रुप पवार से युगेंद्र का साथ देने का आग्रह करता हुआ दिखाई दे रहा है. उनमें से एक को यह कहते हुए सुना जा सकता है कि वे ‘दादा’ को ‘बदलना’ चाहते हैं. अजित और युगेंद्र दोनों को ‘दादा’ (बड़ा भाई) कहा जाता है.
हालांकि, युगेंद्र ने मांग को खारिज नहीं करते हुए कहा कि पवार ही अंतिम फैसला लेंगे.
युगेंद्र ने गुरुवार को संवाददाताओं से कहा, “चुनावों के दौरान पार्टी कार्यकर्ताओं ने काफी मेहनत की और अब इस क्षेत्र में मेरे काम की वजह से वे अपनी इच्छा जाहिर कर रहे हैं.”
“लेकिन हमने अभी तक इस पर गंभीरता से विचार नहीं किया है. मैंने इस बारे में (विधानसभा चुनाव लड़ने) नहीं सोचा है. इसका फैसला साहेब (शरद पवार), पाटिल साहेब (राज्य इकाई प्रमुख जयंत पाटिल), पार्टी, पार्टी कार्यकर्ता और सुप्रिया ताई (सुले) करेंगी.”
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