नई दिल्ली : इमीग्रेशन ब्यूरो ने दिल्ली हाई कोर्ट को शाह फैसल के बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर बताया, ‘उन्होंने दावा किया था कि वो पढ़ाई के लिए अमेरिका जा रहे हैं.’ उन्होंने कुछ दिनोंं पहले आईएएस अधिकारी के पद से इस्तीफा दे दिया था जिसके बाद वो राजनीति में आ गए. लेकिन दो दिन पहले शाह को दिल्ली एयरपोर्ट पर हिरासत में ले लिया गया था. इमीग्रेशन ब्यूरो का कहना है कि उनके पास स्टूडेंट वीज़ा नहीं था.
शाह फैसल ने खुद को हिरासत में लिए जाने को लेकर कोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की थी. इमीग्रेशन ब्यूरो ने कोर्ट में एक एफिडेविट जमा किया था जिसमें यह बताया गया था कि शाह को हिरासत में लेने से पहले सारी प्रक्रियाओं का पालन किया गया है.
एजेंसी ने बताया, ‘पूर्व आईएएस अधिकारी को अमेरिका ने 10 साल की अवधि के लिए बी-1/बी-2 वीज़ा दिया था जो 27 फरवरी 2009 में दिया गया था.’ ब्यूरो ने बताया अमेरिका ने जो वीज़ा शाह को दिया था वो टूरिस्ट वीज़ा था न कि स्टूडेंट. ब्यूरो ने बताया याचिकाकर्ता ने पिछली बार 14 अगस्त को इस वीज़ा पर यात्रा की थी. लेकिन शाह दावा कर रहे हैं कि वो लोक प्रशासन में मास्टर्स करने के लिए अमेरिका जा रहे थे. उनके पासपोर्ट में लगा वीज़ा उन्हें अमेरिका में पढ़ाई करने की इज़ाजत नहीं देता है.
शाह की तरफ से उनके पैरोकार मोहम्मद हुसैन ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की थी जिसमें कहा गया है कि फैसल अमेरिका के हावर्ड विश्वविद्यालय में पढ़ाई के लिए जा रहे थे.
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शाह को दिल्ली एयरपोर्ट के इमीग्रेशन काउंटर पर रोक लिया गया था जिसके बाद इंटेलिजेंस ब्यूरो को जानकारी दे दी गई थी. उसी समय एयरलाइन को भी जानकारी दे दी गई थी जिसमें शाह का टिकट था. एयरलाइन को कह दिया गया कि वो शाह को विमान में चढ़ने न दे. शाह को हिरासत में लेने के बाद श्रीनगर भेज दिया गया था. एजेंसी ने बताया कि उनके साथ दिल्ली पुलिस के दो अधिकारी भी साथ गए थे.
शाह फैसल ने लोगों को भड़ाकाया
एक अलग एफिडेविट में जम्मू-कश्मीर सरकार ने दिल्ली हाई कोर्ट को बताया, ‘श्रीनगर पहुंचने पर शाह ने एयरपोर्ट टर्मिनल पर लोगों को संबोधित किया था.’ एफिडेविट में लिखा था कि उन्होंने देश की अखंडता और संप्रभुता के खिलाफ लोगों को भड़काया था. उन पर शांति भंग करने का भी आरोप लगाया गया है.
एफिडेविट में कहा गया है कि मजिस्ट्रेट के मौखिक आदेश के बाद फैसल को मौके पर ही गिरफ्तार कर लिया गया और शांति भंग करने की एवज़ में 50 हज़ार रुपए का बांड जमा करने को कहा गया. शाह ने बांड भरने से मना कर दिया जिसके बाद याचिकाकर्ता को हिरासत में ले लिया गया.
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