नई दिल्ली: प्रधानमंत्री के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार अंग्रेज़ों के ज़माने से चले आ रहे कानूनों में संशोधन करने और ‘‘राजद्रोह जैसे कानूनों को निरस्त करने और महिलाओं के साथ धोखाधड़ी से शोषण करने, मॉब लिंचिंग जैसे जघन्य अपराध करने वालों को दंडित करने का प्रावधान’’ लेकर आ रही है, जिसके लिए लोकसभा में तीन विधेयक पेश किए गए हैं.
इन तीनों विधेयकों के नाम हैं, ‘भारतीय न्याय संहिता 2023 (इंडियन पीनल कोड-IPC, 1860)’, ‘भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (क्रिमिनल प्रोसीजर कोड- CPC, 1898)’, ‘भारतीय साक्ष्य अधिनियम (इंडियन एविडेंस कोड- IEA, 1872)’, अगर विधेयक पारित हो जाता है तो नए कानून लागू हो जाएंगे.
लोकसभा में सदन के पटल पर विधेयक को पेश करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पीएम के पांच प्रणों में से एक को पूरा करने वाले बताया.
गृहमंत्री ने कहा, ‘‘पिछले साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश से वादा किया था कि आज़ादी के 75 साल पूरे होने पर गुलामी की सभी पुरानी निशानियों को पीछे छोड़ देगा. इसी क्रम में हम अंग्रेज़ों के ज़माने में बनाई गई और उपनिवेशवाद की निशानी तीन दंड सहिताओं को हमेशा-हमेशा को बदलने वाल विधेयक सदन के पटल पर पेश कर रहे हैं. ये तीनों विधेयक हमारे पांच प्रण में एक प्रण को पूरा करने वाले हैं.’’
शाह ने कहा, ‘‘कुल 313 बदलावों के साथ न्यायिक दंड प्रक्रिया में ये आमूलचूल बदलाव होंगे. इसमें वकील, पुलिस, न्याय करने वालों को भी जवाबदेह रखा गया है. महिलाओं, बच्चों के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं.’’
उन्होंने आगे कहा कि अपराधियों को अधिकतम और सटीक सज़ा हो और पुलिस अधिकारों का दुरुपयोग न कर पाए यह भी प्रावधान किए गए हैं.
शाह ने कहा, ‘‘एक और सरकार राजद्रोह जैसे कानूनों को निरस्त कर रही है, तो वहीं, महिलाओं के साथ धोखाधड़ी से शोषण करने, मॉब लिंचिंग जैसे जघन्य अपराध करने वालों को दंडित करने का प्रावधान भी ला रही है.’’
क्या-क्या होंगे बदलाव
इन तीनों कानूनों को हटाकर इनकी जगह जो तीन नए कानून बनेंगे, उनकी भावना भारतीयों को अधिकार देने की होगी.
शाह ने जोर दिया कि इन कानूनों का उद्देश्य किसी को दंड देना नहीं होगा. इसका उद्देश्य होगा लोगों को न्याय देना है.
उन्होंने कहा, ‘‘18 राज्यों, 6 केंद्र शासित प्रदेशों, भारत की सुप्रीम कोर्ट, 22 हाईकोर्ट, न्यायिक संस्थाओं, 142 सासंद और 270 विधायकों के अलावा जनता ने भी इन विधेयकों को लेकर सुझाव दिए हैं. 4 साल तक इस पर काफी चर्चा हुई है. हमने इस पर 158 बैठकें की हैं.’’
- विधेयक के तहत दोषसिद्धि के अनुपात को 90% से ऊपर ले जाने का लक्ष्य रखा गया है. जिन धाराओं में 7 साल या उससे अधिक जेल की सज़ा का प्रावधान है, उन सभी मामलों में फॉरेंसिक टीम का अपराध स्थल पर जाना अनिवार्य किया जाएगा.
- वैज्ञानिक सबूतों के जरिए बरी होने की संभावनाएं घटेंगी. हर तीन साल के बाद 33 हज़ार फॉरेंसिक साइंस के एक्सपर्ट भर्ती किए जाएंगे. सबूत जुटाने के टाइव वीडियोग्राफी करनी ज़रूरी होगी.
- नए सीआरपीसी में 356 धाराएं होंगी, जबकि पहले उसमें कुल 511 धाराएं थीं. गुनाह किसी भी इलाके में हुआ हो, लेकिन एफआईआर देश की किसी भी हिस्से में दर्ज़ की जा सकेगी. कुल 313 बदलाव किए गए हैं.
- तीन साल तक की सज़ा वाली धाराओं का समरी ट्रायल होगा, इससे मामले की सुनवाई और फैसला जल्द आ जाएगा. 90 दिनों के अंदर चार्जशीट दाखिल करनी होगी और 180 दिनों के अंदर हर हाल में जांच को समाप्त किया जाएगा. आरोप लगने के 30 दिन के भीतर न्यायाधीश को अपना फैसला देना होगा.
- सरकारी कर्मचारी के खिलाफ दर्ज़ मामले में 120 दोनों के अंदर अनुमति देनी ज़रूरी होगी, घोषित अपराधियों की संपत्ति की कुर्क की जाएगी और संगठित अपराध में कठोर सज़ा का प्रावधान रहेगा.
- गलत पहचान बताकर यौन संबंध बनाने वालों को अपराध की श्रेणी में लाया जाएगा और सामूहिक बलात्कार के सभी मामलों में 20 साल की सज़ा या आजीवन कारावास सुनाया जाएगा. 18 साल से कम उम्र की बच्चियों के साथ यौन शोषण मामले में मौत की सजा का प्रावधान जोड़ा जाएगा.
- इन कानूनों में पहला चैप्टर महिलाओं और बच्चों के साथ अपराध पर आधारित होगा और दूसरा मानव वध और मानव शरीर के साथ अपराध पर होगा.
- राजद्रोह कानून को पूरी तरह से खत्म किया जा रहा है.
शाह ने कहा, ‘‘1860 से 2023 तक देश की आपराधिक न्याय प्रणाली अंग्रेज़ों द्वारा बनाए गए कानूनों के अनुसार कार्य करती रही. तीन कानून बदल जाएंगे और देश में आपराधिक न्याय प्रणाली में बड़ा बदलाव होगा.’’
शाह ने कहा, ‘‘मानव की हत्या और महिला के साथ दुराचार से बड़ा अपराध नहीं हो सकता, जिसे 302 पर स्थान दिया गया था, इससे पहले राजद्रोह और खजाने की लूट और शासन के अधिकारी पर हमला आते हैं.’’
शाह ने कहा, ‘‘हमने शासन की जगह नागरिक को केंद्र में लाकर सैद्धांतिक निर्णय किया है.’’
बिल को स्टैंडिग कमेटी के पास भेज दिया गया है और अब बाकी संसदीय कार्यवाही के बाद इसे लागू किया जाएगा. इसी के साथ ही लोकसभा को अनिश्चितकाल के स्थगित कर दिया गया है.
यह भी पढ़ें: ‘465 मज़ार और 45 मंदिर हटाए गए’, उत्तराखंड सरकार ने ‘अवैध’ धार्मिक संरचनाओं के खिलाफ किया अभियान तेज