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Thursday, 21 November, 2024
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SC ने महाराष्ट्र के 12 विधायकों के निलंबन को असंवैधानिक करार दिया, BJP ने किया फैसले का स्वागत

इन 12 विधायकों को कथित तौर पर महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष के साथ हाथापाई करने के आरोप में निलंबित किया गया था.

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नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र विधानसभा के 12 बीजेपी विधायकों को एक साल के लिए निलंबित किए जाने को असंवैधानिक करार दे दिया है. इन विधायकों को 6 जुलाई 2021 को कथित तौर पर कदाचार के आरोप में महाराष्ट्र विधानसभा द्वारा पूरे साल के लिए. यह महाराष्ट्र की अघाड़ी सरकार के लिए काफी बड़ा झटका है. कोर्ट ने कहा कि विधानसभा नियमों के तहत विधायकों को केवल उस सत्र के लिए निलंबित किया जा सकता है न कि पूरे साल के लिए. सुप्रीम कोर्ट ने इसे द्वेषपूर्ण बताते हुए कानूनी तौर पर इसे अप्रभावी घोषित कर दिया.

हाथापाई के आरोप में निलंबित किया गया था

इन 12 विधायकों को कथित तौर पर महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष के साथ हाथापाई करने के आरोप में निलंबित किया गया था. इनमें आशीष शेलर, संजय कुटे, अभिमन्यु पवार, गिरीश महाजन, अतुल भटखल्कर, हरीश पिम्पले, जयकुमार रावल, योगेश सागर, नारायण कुचे, बंटी भांगड़िया, पराग अलवाणी और राम सटपुटे शामिल थे. इन विधायकों पर आरोप था कि एक बिल पर चर्चा के दौरान इन्होंने पीठासीन अधिकारी भास्कर जाधव के साथ कथित तौर पर दुर्व्यवहार किया था. बाद में विपक्षी विधायक स्पीकर के कक्ष में चले गए जहां उन्होंने कथित तौर पर उनके साथ हाथापाई की.

बीजेपी नेताओं ने किया फैसले का स्वागत

देवेंद्र फडणवीस ने कहा, हम फैसले का स्वागत करते हैं. उन्होंने कहा कि कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार के फैसले का करारा जवाब देते हुए विधायकों को अवैधानिक और अतार्किक करार दिया है. सरकार को इस पर शर्म आनी चाहिए.

वहीं, केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने ट्वीट कर कहा कि महाराष्ट्र विधानसभा की अवैधानिक, अतार्कित और असंवैधानिक निलंबन के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट का जजमेंट लोकतांत्रिक मूल्यों की सबसे बड़ी जीत है.

जबकि बीजेपी अध्यक्ष ने कहा कि कोर्ट का फैसला लोकतंत्र और संविधान की जीत है. यह सत्य की जीत है. बीजेपी महाराष्ट्र अघाड़ी सरकार के खिलाफ अपनी आवाज़ उठाती रहेगी. लोगों के अधिकारों के लिए बीजेपी हमेशा लड़ती रहेगी.

वहीं शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा कि निलंबित विधायकों को अपना आत्मनिरीक्षण करना चाहिए. स्पीकर द्वारा उस वक्त की स्थिति को देखते हुए फैसला लिया गया था. यह उनका अधिकार है. कानून और संविधान को ध्यान में रखकर फैसला लिया गया था.


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