नई दिल्ली: जेल में बंद आम आदमी पार्टी के नेता और दिल्ली सरकार के मंत्री सत्येंद्र जैन के तिहाड़ में अपनी सेल के अंदर मसाज कराने और बाहर का खाना खाने से जुड़े कुछ वीडियो ‘लीक’ होने के बाद ऐसे तमाम सवाल उठाए जा रहे हैं कि जेल की कोठरियों के भीतर सीसीटीवी कैमरे क्यों लगे हैं और इन फुटेज की निगरानी कौन करता है और क्या यह ‘गोपनीयता का उल्लंघन’ है.
स्वास्थ्य, गृह, बिजली, पीडब्ल्यूडी, उद्योग, शहरी विकास और जल मंत्री सत्येंद्र जैन मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े एक मामले में जेल में बंद हैं.
दिल्ली जेल नियम 2018 के मुताबिक, जेल परिसर—चाहे अंदर का वर्कशेड हो या, हाई सिक्योरिटी वाले क्षेत्र जिसमें सेल, जेल के आसपास की दीवारें, बैरक और वार्ड और यहां तक कि जेल कर्मचारियों के कार्यालय भी शामिल हैं—में ‘निगरानी उद्देश्यों’ से सीसीटीवी कैमरे लगाए जाते हैं.
तिहाड़ जेल प्रशासन के सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि उन हाई-सिक्योरिटी सेल को भी निगरानी में रखा जाता है, जिनमें से एक में जैन को रखा गया है. इसके पीछे उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कैदी को कोई खतरा न हो या फिर कैदी खुद या किसी अन्य को कोई नुकसान पहुंचाने की कोशिश न करे.
नियमों के मुताबिक, ‘क्लोज्ड सर्किट टेलीविजन (सीसीटीवी) कैमरे या इस तरह के अन्य उपकरण वर्कशेड, रसोई, अस्पताल, मेन गेट, इंटरव्यू रूम, हाई सिक्योरिटी वाली सेल और महानिरीक्षक (जेल) द्वारा निर्धारित किसी अन्य स्थान और बैरकों वाले परिसर में निगरानी के उद्देश्य से लगाए जाएंगे. दूसरे शब्दों में, जहां गोपनीयता की जरूरत है, उसे छोड़कर जेल परिसर में हर एक जगह सीसीटीवी के जरिए कवर होनी चाहिए.’
जेल परिसर में टॉयलेट और बाथरूम आदि स्थान उन जगहों में आते हैं ‘जहां गोपनीयता आवश्यक है.’
गौरतलब है कि 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने भी हिरासत में हिंसा, आत्महत्याएं और जेलों के अंदर मानवाधिकार हनन की घटनाएं रोकने के उद्देश्य से सभी जेलों को सीसीटीवी कैमरे लगाने का निर्देश दिया था, जिससे उन सभी क्षेत्रों की निगरानी करना अनिवार्य हो गया जहां कैदी रहते हैं. इन क्षेत्रों में बैरक, निजी कक्षों के साथ-साथ मेस और रसोई जैसे कॉमन एरिया शामिल हैं.
सुप्रम कोर्ट ने कहा था, ‘जेलों में बंद लोगों के मानवाधिकारों के उल्लंघन को रोकने में सीसीटीवी कैमरे काफी मददगार होंगे. यह कैदियों के बीच उचित अनुशासन बनाए रखने और जहां कहीं जरूरी हो सुधारात्मक उपाय करने में अधिकारियों की मदद करेगा.’
तिहाड़ के पूर्व विधि अधिकारी सुनील गुप्ता ने दिप्रिंट से बातचीत में कहा, ‘हाई सिक्योरिटी वाली सभी सेल सीसीटीवी कैमरों की निगरानी में हैं. इस पर सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट निर्देश हैं. यह सब कैदियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए किया गया है. खासकर ऐसे कैदियों के मामले में यह और भी जरूरी हो जाता है जो खुद कोई खतरा हैं या फिर उन्हें किसी से ख़तरा है.’
हालांकि, जेल नियम स्पष्ट तौर पर यह भी कहते हैं कि जेल में दाखिल होते समय हर कैदी को सूचित किया जाना चाहिए कि ‘सुरक्षा कारणों से सभी कॉमन एरिया सीसीटीवी निगरानी के अधीन हैं या हो सकते हैं.’
यह भी पढ़ें: 2022 के पहले 9 महीनों में भारत का लैपटॉप आयात बढ़कर 500 करोड़ डॉलर पहुंचा, करीब 73% चीन से मंगाए गए
‘पारदर्शिता और सुरक्षा सुनिश्चित होती है’
नियम कहते हैं कि किन जगहों पर कैमरे लगाने की जरूरत है, यह निर्धारित करने का अधिकार जेल प्रशासन के पास है.
तिहाड़ के पूर्व डीजी नीरज कुमार ने दिप्रिंट से कहा, ‘यह जेल प्रशासन, महानिदेशक से लेकर उनके अधीन अधिकारियों तक, का विशेषाधिकार है कि जेल परिसर का अध्ययन करें और उन स्थानों को तय करें जहां सीसीटीवी कैमरे लगाने की जरूरत है. जिन दीवारों से अक्सर जेल के भीतर चीजें फेंकी जाती हैं, उन पर नजर रखी जा रही है. कॉमन एरिया, सेल, जहां निगरानी रखने के लिए जेल अधिकारियों की जरूरत होती है, कैमरे लगाए जाते हैं.’
एक वरिष्ठ जेल अधिकारी ने कहा कि कैमरे ‘कैदियों और जेल कर्मचारियों दोनों को किसी भी तरह के नुकसान से बचाने’ के लिए आवश्यक हैं.
अधिकारी के मुताबिक, ‘समय-समय पर ये कैमरे सुरक्षा और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए लगाए जाते हैं. कोई कैदी ऐसा हो सकता है जो खुद को किस तरह का नुकसान पहुंचा ले या फिर कोई आक्रामक कैदी किसी और को नुकसान पहुंचा सकता है, ऐसे में उन्हें निगरानी में रखने की जरूरत पड़ती है. इसके अलावा, यदि किसी सेल, वार्ड के अंदर हाथापाई हो तो वो भी सीसीटीवी के जरिए नजर में आ जाएगी. जेल के अंदर जो कुछ भी होता है उसकी निगरानी कंट्रोल रूम में की जाती है.’
फुटेज कहां स्टोर होते हैं और इसकी एक्सेस किसे होती है?
जैन ने पहले प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के खिलाफ एक अवमानना याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि ईडी ने तिहाड़ जेल के उनके किसी भी वीडियो को लीक नहीं करने के लिए अदालत में हलफनामा देने के बावजूद जेल सेल के सीसीटीवी फुटेज मीडिया में लीक कर दिए थे. हालांकि, बाद में उन्होंने याचिका वापस ले ली.
ईडी ने दिल्ली की एक कोर्ट को यह बताया भी है कि उसने जेल से वीडियो लीक नहीं किया था.
लेकिन फुटेज की कस्टडी आखिर किसके पास है? जेल नियमों के मुताबिक, सभी सीसीटीवी फुटेज को कम से कम एक माह के लिए डिजिटली स्टोर किया जाता है. लेकिन अगर फुटेज से संबंधित कोई मामला अदालत में लंबित है, तो इसे मामला निपटने तक अथवा कोर्ट के आदेश के मुताबिक सुरक्षित रखा जाता है.
नियम यह भी कहते हैं कि वीडियो फुटेज तक पहुंच ‘सीमित होगी और केवल उसी अधिकारी की अनुमति से इसे एक्सेस किया जा सकेगा जो जेल अधीक्षक की रैंक से नीचे का नहीं होगा.’
इसमें कहा गया है, ‘सीसीटीवी कैमरों और फुटेज के रखरखाव की जिम्मेदारी भी जेल अधीक्षक की होगी. इसके लिए अधिकृत न होने वाले किसी भी व्यक्ति को यहां तक पहुंच उपलब्ध नहीं होगी.’
ईडी की तरफ से दाखिल जवाब के मुताबिक, जैन मामले में लीक के लिए, ‘कई तिहाड़ अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया है.’
ईडी के वकील ने कथित तौर पर कोर्ट को बताया था, ‘एलजी ने एक जांच बैठा दी है….कुछ आला अफसरों समेत कई तबादले हुए हैं. हमारी ओर से लीक होने का आरोप लगाना बेतुका है.’
(अनुवाद: रावी द्विवेदी)
(संपादन: हिना फ़ातिमा)
(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
यह भी पढ़ें: ‘PM मोदी पर लोगों को पूरा भरोसा है,’ अमित शाह बोले- गुजरात में ‘आप’ शायद खाता भी न खोल पाए