चंडीगढ़: हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि आरोप किसी व्यक्ति को दोषी नहीं बनाते हैं – यौन उत्पीड़न के आरोपों पर ये उनका पहला सार्वजनिक बयान है, वर्तमान में उनके मंत्रिमंडल के मंत्री संदीप सिंह ऐसे आरोपों का सामना कर रहे हैं.
एएनआई से मंगलवार को बात करते हुए खट्टर ने आरोपों को ‘बेतुका’ बताया. उन्होंने आगे कहा कि ‘एक महिला खिलाड़ी ने खेल मंत्री (संदीप सिंह) पर बेतुके आरोप लगाए हैं लेकिन वह अभी तक दोषी साबित नहीं हुए है. इस बीच हमने उन्हें पद से हटा दिया है, ताकि जांच सुचारू रूप से हो सके. हम जांच पूरी होने का इंतजार करेंगे.’
महिला ने पूर्व भारतीय हॉकी कप्तान सिंह पर पिछले साल जुलाई में उसके साथ बलात्कार करने की कोशिश करने का आरोप लगाया है, जिसने ‘सूरमा’ आंदोलन को प्रेरित किया था.
जबकि सिंह ने आरोपों से इनकार किया है, उन्होंने खेल मंत्रालय से खुद को अलग कर लिया है, लेकिन वे मुद्रण और स्टेशनरी मंत्री बने हुए हैं.
खट्टर के रुख के बावजूद, विपक्षी दलों, महिला अधिकार संगठनों और एक जाति परिषद ने सिंह की तत्काल बर्खास्तगी की मांग की है. झज्जर के दावला में आयोजित एक खाप पंचायत (जाति परिषद) ने 7 जनवरी तक सिंह को बर्खास्त नहीं करने पर विरोध प्रदर्शन करने की धमकी दी है, बैठक में भाग लेने वाले एक खाप प्रतिनिधि ने मीडिया को बताया कि वे चाहते है कि मंत्री को तुरंत गिरफ्तार किया जाये.
इस बीच, आरोप लगाने वाली महिला आरोपों की जांच कर रहे विशेष जांच दल (एसआईटी) के सामने पेश हुई.
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‘जांच को किया प्रभावित’
खट्टर सरकार के आलोचकों का कहना है कि सिंह को कैबिनेट में बने रहने देने का सरकार का फैसला जांच के लिए हानिकारक हो सकता है.
जैसे ही विवाद बढ़ा, अखिल भारतीय लोकतांत्रिक महिला संघ (AIDWA) की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जगमती सांगवान ने नव-निर्वाचित भारतीय ओलंपिक संघ के अध्यक्ष पी.टी. उषा को इस घटना की जानकारी देते हुए एक पत्र लिखा.
सांगवान, एक पूर्व अंतरराष्ट्रीय वॉलीबॉल खिलाड़ी, जो उषा के साथ 1982 के एशियाई खेलों के दल का हिस्सा थीं, ने उनसे शक्तिशाली पदों पर बैठे पुरुषों से कमजोर महिला एथलीटों की रक्षा करने में मदद करने की अपील की.
पत्र में कहा गया है कि सिंह, न्याय की प्रक्रिया को प्रभावित करने के लिए अपने ‘पद की शक्ति’ का उपयोग कर रहे थे और पुलिस प्रमुख को शिकायतकर्ता के ‘चरित्र’ को देखने के लिए एक एसआईटी गठित करने के लिए कहा था – उन्होंने विक्टिम पर ही आरोप लगाया.
पत्र में लिखा गया कि ‘मंत्री शिकायतकर्ता को हर संभव तरीके से परेशान करने के लिए सरकारी ताकत का इस्तेमाल कर रहे हैं और सादी वर्दी में पुलिस अधिकारियों को उनकी गतिविधियों पर नज़र रखने को भी कहा गया है.
इसमें आगे कहा गया कि ‘आरोपों की जांच केवल आरोपी मंत्री के साथ उनकी बातचीत के आधार पर और पीड़िता से बिना बात किए जांच की जा रही है.’
पत्र में आगे कहा गया है कि ‘यह विशेष मामला सिर्फ एक खिलाड़ी से संबंधित नहीं है, बल्कि ये पूरे देश के खेल सिस्टम को दर्शाता है.
सांगवान ने लिखा की ‘IOA के अध्यक्ष और एक प्रतिष्ठित महिला एथलीट के रूप में, मैं इस मामले में सभी सरकारी पदों से अभियुक्तों की तत्काल बर्खास्तगी के लिए दबाव डालकर इस मामले में आपके हस्तक्षेप का अनुरोध करती हूं ताकि मामले की निष्पक्ष जांच हो सके और यह सुनिश्चित हो सके कि पीड़िता को न्याय मिले. यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण संदेश देगा कि आईओए भारत में महिलाओं की खेल संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है, यह उनकी मानसिक, शारीरिक और सामाजिक भलाई सुनिश्चित करने के लिए भी समान रूप से प्रतिबद्ध है.’
इस बीच, कांग्रेस सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने प्रेस वालों से कहा कि सिंह की कैबिनेट से बर्खास्तगी के बाद ही निष्पक्ष जांच सुनिश्चित की जा सकती है. जब मामले में सरकार का प्रभाव हो तो निष्पक्ष जांच सुनिश्चित नहीं की जा सकती. यह तभी संभव है जब आरोपी को कैबिनेट से बर्खास्त किया जाए.’
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(अनुवाद / संपादन: अलमिना खातून)
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