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Sunday, 27 July, 2025
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गुरु तेग बहादुर शहीदी कार्यक्रम में ‘गाने-बजाने’ पर बवाल, पंजाब सरकार और SGPC में टकराव

श्रीनगर में पंजाब सरकार द्वारा आयोजित संगीत कार्यक्रम में लोकगीतों पर झूमते लोगों का वीडियो वायरल, SGPC ने जताई आपत्ति, अकाल तख्त ने आयोजकों को भेजा समन.

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चंडीगढ़: गुरु तेग बहादुर जी की शहादत के 350 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में श्रीनगर में पंजाब सरकार के भाषा विभाग द्वारा आयोजित एक “गंभीर और आध्यात्मिक” संगीत कार्यक्रम के दौरान दर्शकों के लोकगीतों पर नाचने का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया. इसके बाद पंजाब में विवाद खड़ा हो गया है.

शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) ने इसे “गंभीर रूप से पीड़ादायक” बताया, जबकि सिखों की सर्वोच्च धार्मिक संस्था अकाल तख्त ने पंजाब के शिक्षा मंत्री हरजोत सिंह बैंस और भाषा विभाग के निदेशक जसवंत सिंह जफर को इस मामले में शनिवार को तलब किया.

यह दो दिवसीय कार्यक्रम बुधवार से शुरू हुआ था, जिसे जम्मू-कश्मीर सरकार की कला, संस्कृति और भाषा अकादमी के सहयोग से आयोजित किया गया था. इस आयोजन में लोक गायक बीर सिंह को धार्मिक और सूफी गीतों की प्रस्तुति के लिए आमंत्रित किया गया था.

बैंस और जफर को 1 अगस्त को पांच सिंह साहिबान (उच्चतम धार्मिक पदाधिकारियों) की सभा के समक्ष उपस्थित होकर सफाई देने के लिए कहा गया है.

बैंस ने शनिवार को एक्स पर लिखा कि वह एक विनम्र सिख की तरह अकाल तख्त के समक्ष पेश होंगे. उन्होंने कार्यक्रम में जो भी हुआ उसकी जिम्मेदारी स्वीकार की और क्षमा मांगी.

लोक गायक बीर सिंह ने भी शुक्रवार को बिना शर्त माफी मांगी, यह कहते हुए कि कार्यक्रम को लेकर जो हुआ वह “अनजाने में हुई चूक” थी. उन्होंने बताया कि उन्होंने अकाल तख्त को एक माफीनामा भेजा है. बाद में उसी दिन वह स्वर्ण मंदिर परिसर स्थित अकाल तख्त पर व्यक्तिगत रूप से पेश हुए और क्षमा मांगी.

दिप्रिंट द्वारा कई बार कॉल और मैसेज करने पर भी जसवंत सिंह ज़फर ने कोई जवाब नहीं दिया. हालांकि, उन्होंने व्हाट्सएप के ज़रिए 14 जुलाई की वह आमंत्रण-पत्र साझा किया जो पंजाब भाषा विभाग ने बीर सिंह को भेजा था. इसमें स्पष्ट रूप से लिखा है कि उन्हें गुरु तेग बहादुर जी की बाणी और सूफी गीत गाने हैं. हालांकि, ज़फर ने इस सवाल का जवाब नहीं दिया कि क्या वह गुरुवार शाम श्रीनगर में हुए कार्यक्रम में मौजूद थे.

जम्मू-कश्मीर कला, संस्कृति और भाषा अकादमी की सचिव हरविंदर कौर ने दिप्रिंट से बात करते हुए कहा कि अकादमी की इस कार्यक्रम में भूमिका सीमित थी.

उन्होंने कहा, “मामले की जानकारी मुझे दी गई है और हम इसकी जांच कर रहे हैं.” उन्होंने यह भी कहा कि श्रीनगर में एक मजबूत सिख समुदाय है और कई लोग इस दो दिवसीय कार्यक्रम में उत्साहपूर्वक शामिल हुए.

यह विवाद ऐसे समय में सामने आया है जब पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान और SGPC के बीच इस बात को लेकर तनाव है कि नवंबर में गुरु तेग बहादुर जी की शहादत के 350 साल पूरे होने के मुख्य कार्यक्रम कौन आयोजित करेगा.

इस हफ्ते की शुरुआत में मुख्यमंत्री मान ने घोषणा की थी कि इस अवसर पर पंजाब सरकार भव्य कार्यक्रमों की श्रृंखला आयोजित करेगी. इस पर SGPC ने आपत्ति जताते हुए कहा कि ऐसे धार्मिक कार्यक्रम आयोजित करने का “अधिकार केवल” SGPC को है और राज्य सरकार द्वारा समानांतर कार्यक्रम करना धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप के बराबर है. जवाब में मुख्यमंत्री मान ने टिप्पणी की थी कि SGPC के पास धार्मिक आयोजनों का कोई “कॉपीराइट” नहीं है.

गुरु तेग बहादुर, सिखों के नौवें गुरु, को मुगल शासक औरंगज़ेब के आदेश पर 24 नवंबर 1675 को दिल्ली में शहीद किया गया था. उनकी शहादत की स्मृति में गुरुद्वारा सीस गंज साहिब (जहां उन्हें शहीद किया गया) और रकाब गंज साहिब (जहां उनका अंतिम संस्कार हुआ) का निर्माण हुआ.

गुरु तेग बहादुर की शहादत को सिख इतिहास की सबसे गंभीर घटनाओं में से एक माना जाता है. यह वही घटना है जिसने आगे चलकर 1699 में उनके पुत्र गुरु गोबिंद सिंह द्वारा खालसा पंथ की स्थापना का मार्ग प्रशस्त किया.


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‘गंभीर अवसर को बना दिया मनोरंजन’

बुधवार को पंजाब के शिक्षा मंत्री हरजोत सिंह बैंस और भाषा विभाग के निदेशक जसवंत सिंह जाफर ने श्रीनगर के टैगोर हॉल में गुरु तेग बहादुर के जीवन पर आधारित एक पुस्तक का विमोचन किया और वहां के प्रमुख सिख नागरिकों को सम्मानित किया.

कार्यक्रम के बाद मीडिया से बात करते हुए बैंस ने कहा, “आज एक काव्य गोष्ठी का आयोजन हुआ और कल प्रसिद्ध गायक बीर सिंह धार्मिक प्रस्तुति देंगे. यह पंजाब सरकार द्वारा आयोजित बड़े आयोजनों की श्रृंखला का हिस्सा है.”

हालांकि, कार्यक्रम वैसा नहीं रहा जैसा सोचा गया था. शुक्रवार शाम बीर सिंह के कार्यक्रम का एक वीडियो वायरल हो गया जिसमें वे लोकगीत गा रहे थे और दर्शक कुर्सियों से उठकर नाच रहे थे। माहौल बिल्कुल उत्सव जैसा था.

इस पर प्रतिक्रिया देते हुए शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) ने कहा कि इस कार्यक्रम में सिख आचार संहिता का उल्लंघन हुआ है और पंजाब सरकार से माफी की मांग की.

SGPC अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी ने प्रेस बयान में कहा, “सरकारी कार्यक्रम में जो प्रस्तुत किया गया वह शहादत और सिख मर्यादा—गुरमत मर्यादा—दोनों के लिए अपमानजनक था.”

उन्होंने कहा कि गुरु तेग बहादुर की शहादत का सिख इतिहास ही नहीं बल्कि विश्व धर्म इतिहास में भी एक अनूठा और सर्वोच्च स्थान है.

धामी ने कहा, “इसलिए ऐसे शताब्दी समारोहों का आयोजन पूरी श्रद्धा, मर्यादा और गुरबाणी की भावना के अनुरूप होना चाहिए, लेकिन पंजाब के भाषा विभाग ने इस गंभीर अवसर को एक मनोरंजन कार्यक्रम में बदलकर सिखों की भावनाओं को गहराई से ठेस पहुंचाई है.”

उन्होंने दोहराया कि SGPC हमेशा से यही कहती आई है कि ऐसे धार्मिक आयोजनों का जिम्मा सिख संस्थाओं के पास ही रहना चाहिए क्योंकि सरकारी विभागों में सिख परंपरा और आचार संहिता की संवेदनशीलता और समझ की कमी होती है.

सोशल मीडिया पर आलोचना बढ़ने के बाद गायक बीर सिंह ने इंस्टाग्राम पर वीडियो जारी कर माफी मांगी. उन्होंने कहा, “मैं सीधे ऑस्ट्रेलिया से श्रीनगर आया था और मेरा मोबाइल बंद हो गया था. मेरे मैनेजमेंट ने मुझे कार्यक्रम की प्रकृति के बारे में सही जानकारी नहीं दी.”

उन्होंने कहा, “मंच पर आने से पहले कई दर्शकों ने मुझसे कहा कि वे रोजाना कई कठिनाइयों से जूझते हैं और कुछ हल्के गीत सुनना चाहते हैं. हमसे गलती हो गई, लेकिन जब हमें अहसास हुआ तो कार्यक्रम का समापन विशेष अरदास से किया, जिसमें दर्शकों से जूते उतारने और सिर ढकने की अपील की गई.”

शनिवार को जब बैंस और जाफर को अकाल तख्त द्वारा तलब किया गया, तब जत्थेदार ज्ञानी कुलदीप सिंह गर्गज ने प्रेस बयान में कहा कि “गुरु साहिब की शहादत शताब्दी के इतिहास में पहली बार कोई कार्यक्रम गीत-संगीत और नाच-गाने से शुरू हुआ, जो पूरी तरह से अस्वीकार्य है.”

उन्होंने कहा कि 1 अगस्त की बैठक में पंथक और धार्मिक मसलों पर चर्चा होगी और बैंस व जाफर दोनों से उनका पक्ष सुना जाएगा. उन्होंने यह भी बताया कि बीर सिंह अकाल तख्त के समक्ष पेश हुए थे और माफी मांग चुके हैं, जिसे भी उच्च पंथिक सभा में विचार में लिया जाएगा.

शब्दों की जंग

सोमवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में पंजाब सरकार के मंत्री कुलदीप सिंह बैस ने गुरु तेग बहादुर की 350वीं पुण्यतिथि मनाने के लिए कार्यक्रमों की एक श्रृंखला की घोषणा की. उन्होंने कहा कि 19 से 25 नवंबर तक चार यात्राएं अलग-अलग जगहों से शुरू होकर पंजाब के श्री आनंदपुर साहिब में मिलेंगी, जिसे इस मौके पर सजाया जाएगा. इसके अलावा राज्य भर में लाइट एंड साउंड शो, कवि सम्मेलन, सेमिनार और गुरु के जीवन व बलिदान पर आधारित गोष्ठियां आयोजित की जाएंगी.

शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने इस पर आपत्ति जताते हुए कहा कि सरकार को धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन नहीं करना चाहिए.

सोमवार को जारी एक बयान में एसजीपीसी प्रमुख हरजिंदर सिंह धामी ने कहा, “सरकार धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप कर रही है. एसजीपीसी सिख समुदाय की प्रमुख धार्मिक संस्था है और ऐसे ऐतिहासिक शताब्दी समारोहों का आयोजन केवल वही कर सकती है—सिख संस्थाओं और संगत के सहयोग से. सरकार का मुख्य काम श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए प्रशासनिक सहायता देना है, न कि धार्मिक मामलों में दखल देना.”

धामी ने बताया कि पहले की अकाली सरकारों ने इस परंपरा का पालन किया था और उन्होंने केवल प्रशासनिक सहयोग दिया था, धार्मिक क्षेत्र में हस्तक्षेप नहीं किया. इसी तरह, जब गुरु गोबिंद सिंह की 350वीं जयंती मनाई गई थी, तब बिहार सरकार ने पूरी अधोसंरचना मुहैया कराई थी जबकि धार्मिक जिम्मेदारियां सिख संस्थाओं के पास ही रहीं.

उन्होंने कहा कि अगर सरकार आनंदपुर साहिब को सफेद रंग में सजाना चाहती है, टेंट लगाना चाहती है या श्रद्धालुओं के लिए अन्य व्यवस्थाएं करना चाहती है, तो एसजीपीसी उसका स्वागत करेगी. उन्होंने कहा, “लेकिन किसी केंद्रीय सिख धार्मिक संस्था के समानांतर कार्यक्रम आयोजित करना स्वीकार नहीं है.”

मुख्यमंत्री भगवंत मान ने मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में एसजीपीसी पर तंज कसते हुए कहा कि “सिख धर्म पर एसजीपीसी का कॉपीराइट नहीं है.” उन्होंने कहा, “जब शिरोमणि अकाली दल की सरकार धार्मिक शताब्दी कार्यक्रम आयोजित कर रही थी, तब एसजीपीसी ने कभी नहीं कहा कि वे धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप कर रहे हैं.”

इसके जवाब में एसजीपीसी ने आरोप लगाया कि सरकार जानबूझकर सिख संस्थाओं को दरकिनार करने की कोशिश कर रही है.

धामी ने अपने एक नए बयान में कहा, “ऐतिहासिक रूप से, सिख विरासत और इतिहास से जुड़े शताब्दी समारोह खालसा पंथ की अगुवाई में होते रहे हैं, जिनमें सभी सिख संप्रदाय और संस्थाएं शामिल होती हैं, जबकि सरकारें सहयोग करती रही हैं.”

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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