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Thursday, 21 November, 2024
होमराजनीतिआखिर क्यों राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी के सारे रास्ते नागपुर और मुंबई जा कर ही मिलते हैं?

आखिर क्यों राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी के सारे रास्ते नागपुर और मुंबई जा कर ही मिलते हैं?

आरटीआई (सूचना का अधिकार)द्वारा मिली जानकारी से पता चलता है कि उनकी अधिकांश आधिकारिक यात्राएं उनके गृह राज्य के लिए हैं, खासतौर से राज्य की राजधानी मुंबई एवं नागपुर के लिए, जोकि उनका निर्वाचन क्षेत्र और आरएसएस का मुख्यालय है.

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नई दिल्ली : केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी का यात्रा कार्यक्रम बहुत ही अजीब है- आधिकारिक दौरे के लिए उनकी प्रत्येक 20 उड़ानों में से कम से कम 16 उड़ाने महाराष्ट्र के एक ही गंतव्य के लिए निश्चित हैं।

वास्तव में, उनकी अधिकतर उड़ानें राज्य की राजधानी मुंबईऔर मंत्री जी के लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र एवं भाजपा के वैचारिक संरक्षक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के मुख्यालय, नागपुर की तरफ ही जाती हैं।

गडकरी ने जून 2014 और इस वर्ष मार्च के पहले सप्ताह के बीच देश में लगभग 200 आधिकारिक यात्राएं कीं। सूचना का अधिकार, कानून के अन्तर्गत उपलब्ध कराए गए आधिकारिक दस्तावेजों के मुताबिक, इनमें से केवल 30 विषम यात्राएं महाराष्ट्र के बाहर की गई थीं।

यात्राओं पर आपत्ति

गडकरी की गृह राज्य में उनकी लगातार यात्राओ ने सरकार में नाराजगी पैदा कर दी,नाराजी इतनी ज्यादा बढ़ गई कि 2016 के आखिर में मंत्रालय के एक अधिकारी के माध्यम से आपत्ति जताई गयी थी कि उन्हें अपनी नागपुर यात्राओं को कम करना चाहिए, दिप्रिंट को यह जानकारी सड़क एवं परिवहन मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने दी है।

लेकिन स्पष्ट रूप से इसका कुछ खास परिणाम सामने नहीं आया क्योंकि गडकरी ने आपत्ति को नकार दिया था।
नरेंद्र मोदी की सरकार में गडकरी सबसे अच्छे प्रदर्शनकारी मंत्रियों में गिने जाते हैं और उनके पास कई पद हैं: सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री, नौवहन मंत्री, तथा जल संसाधन, नदी विकास और गंगा कायाकल्प मंत्री।

आधिकारिक दस्तावेजों के अनुसार अपने मंत्रालयों के कार्यक्रमों और समारोहों के संबंध में महाराष्ट्र की उनकी कई यात्राएं थीं। उदाहरण के लिए, मई 2017 में उनके नागपुर यात्रा के एजेंडे के तहत उनकी एक यात्रा में माननीय रक्षा मंत्री के साथ बैठक” थी।

नवंबर 2017 में उनकी आधिकारिक यात्राओं का नमूना: मुंबई में दून एंड ब्रैडस्ट्रीट इन्फ्रा एवार्ड में भाग लेने के लिए (2 नवंबर), नागपुर में “स्थानीय गतिविधियां” (3-5 नवंबर), गोवा में शिपिंग मिनिस्ट्री के मध्य वर्ष की समीक्षा बैठक और मुंबई में संवाददाता सम्मेलन (5-8 नवंबर), पुणे में एनएचएआई परियोजनाओं की समीक्षा की और नागपुर में फिनलैंड के परिवहन एवं संचार मंत्री (9-13 नवंबर) के साथ बातचीत, नागपुर में स्थानीय गतिविधियां (13-14 नवंबर), नागपुर और मुंबई (18-20 नवंबर) में स्थानीय गतिविधियां, चेन्नई में राष्ट्रीय राजमार्गों, जहाजों और जल संसाधनों की समीक्षा बैठक (22-23 नवंबर), पुणे में मेथनॉल पर सम्मेलन और नागपुर में स्थानीय आयोजन (24-26 नवंबर)।

2018 के पहले पांच हफ्तों में, गडकरी ने देश के भीतर एक दर्जन से अधिक यात्राएं की हैं, जिनमें से एक यात्रा लखनऊ की थी और 11 यात्राएं नागपुर और मुंबई की थीं। अगले साल होने वाले आम चुनाव और महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के कारण, ऐसे दौरे की वृद्धि ही होने की संभावना है, उनके मंत्रालय के सूत्रों ने कहा है।
‘यात्राओं का उद्देश्य समस्याओं का निवारण करना’

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने वाले आरएसएस स्वयंसेवक, गडकरी 2014 में नरेंद्र मोदी सरकार के मंत्रिमंडल में शामिल हो गए।वह 2014 में पहली बार आम चुनाव लड़ने से पहले 25 साल तक महाराष्ट्र विधान परिषद के सदस्य थे।

गडकरी के करीबी एक सड़क परिवहन मंत्रालय के अधिकारी ने द प्रिंट को बताया कि उन्होंने अपने लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में “व्यावहारिक रूप से हर सप्ताहांत” में दौरा करने की कोशिश की, क्योंकि इस दौरान कम से कम 2,000 लोग अपनी समस्याओं का समाधान कराने के लिए उससे मिलने आते हैं।

अधिकारी ने आगे बताया कि “अपने निर्वाचन क्षेत्र के साथ-साथ आस-पास के निर्वाचन क्षेत्रों की देख-रेख भी उतनी ही अच्छी तरह से सकारात्मक रूप से की जानी चाहिए। और फिर वहाँ के स्थानीय विधायक भी हैं जो चाहते हैं कि गडकरी विभिन्न परियोजनाओं का उद्घाटन करें या स्वयं आकर उनकी नींव रखें।“

गडकरी का ट्रैक रिकॉर्ड

सड़क निर्माण में गति बढ़ा दी गई है और कई परियोजनाओं को रोकने वाली बाधाओं को हटा दिया गया है, फिर भी गडकरी हर दिन 41 किमी सड़क के निर्माण के अपने लक्ष्य को पूरा करने में असफल रहे हैं – जबकि वास्तविक आंकड़ा 2016-17 में प्रति दिन लगभग 22 किलोमीटर का था। सड़क परिवहन मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि हालांकि 2017-18 में आंकड़ो के सुधरने की काफी संभावना है, लेकिन वे अभी भी मंत्री जी के द्वारा तय किए गए लक्ष्य से बहुत दूर हैं।

चुनावों के एक साल पहले ही गंगा को साफ करने के मोदी के वादे को पूरा करने के लिए सरकार पर दबाव भी बन रहा है। जैसा कि पिछले साल दिसम्बर में द प्रिंट द्वारा सुचना दी गई थी, कि गंगा को साफ करने के लिए सरकार ने पहले तीन वर्षों में केवल 20,000 करोड़ रुपये के बजट का 8.52 प्रतिशत ही जारी किया है।

मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, पिछले साल सितंबर में गडकरी को मंत्रालय का कार्यभार सौपा गया था, लेकिन वे कई एजेंसियों से जुड़ी बहु-स्तरित जटिलताओं को हल करने के लिए आवश्यकतानुसार समय देने में सक्षम नहीं है।

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