मुंबई: शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने पार्टी के मुखपत्र सामना को दिए एक इंटरव्यू में बागी विधायक और अब महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की तुलना ‘सड़े हुए पत्ते’ से की है. उन्होंने विद्रोही गुट को अपने पिता और सेना के संरक्षक बाल ठाकरे की विरासत पर भरोसा करने के बजाय अपने दम पर चुनाव लड़ने की चुनौती भी दी.
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री ने नए सिरे से चुनाव और एक ऐसे कानून की जरूरत का आह्वान किया जहां पार्टियां चुनाव से पहले अपने गठबंधन, व्यवस्था और समझौतों की घोषणा करें ताकि लोगों को पता चले कि वे किसके लिए मतदान कर रहे हैं.
उद्धव ने शिवसेना सांसद और सामना के कार्यकारी संपादक संजय राउत को साक्षात्कार में बताया, ‘सड़े हुए पत्ते हमेशा गिरते हैं और अभी यही हो रहा है. ये तो होना ही था, तो होते रहने दो. नए पत्ते आएंगे और पेड़ (शिवसेना) फिर से हरा हो जाएगा.’
दो-पार्ट के इंटरव्यू का पहला भाग सामना के ऑनलाइन पेज पर मंगलवार सुबह डाला गया था. दूसरा पार्ट बुधवार को रिलीज किया जाएगा.
शिंदे ने शिवसेना के लगभग 40 विधायकों और कुछ निर्दलीय विधायकों के साथ महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार के खिलाफ विद्रोह का नेतृत्व किया था. उद्धव ने लगभग एक पखवाड़े तक चली लंबी खींचातानी के बाद 29 जून को अपने पद से इस्तीफा दे दिया था.
अब लड़ाई सुप्रीम कोर्ट में है जहां शिंदे और उद्धव दोनों गुट असली शिवसेना होने का दावा कर रहे हैं. 1 अगस्त को शीर्ष अदालत ‘असली’ शिवसेना के रूप में मान्यता के लिए शिंदे गुट के अनुरोध पर चुनाव आयोग की कार्यवाही के खिलाफ उद्धव गुट की याचिका पर सुनवाई करेगी.
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‘भाजपा शिवसेना को खत्म करने की कोशिश कर रही है’
अन्य बातों के अलावा उद्धव ने शिवसेना को खत्म करने की साजिश को पूर्व सहयोगी भाजपा की एक कोशिश बताया. उन्होंने भाजपा पर मुख्यमंत्री की कुर्सी साझा करने के समझौते का सम्मान नहीं करने का भी आरोप लगाया, उन्होंने दावा किया कि यह फैसला महाराष्ट्र में उनके चुनाव पूर्व गठबंधन पर चर्चा के दौरान लिया गया था.
शिवसेना-भाजपा गठबंधन के टूटने को बागी विधायकों ने अपनी प्रमुख शिकायतों में से एक बताया है.
उद्धव ने शिवसेना के बागी विधायकों को गुजरात, असम और गोवा जाने पर तंज कसते हुए कहा कि अगर भाजपा ने अपनी बात रखी होती, तो किसी को भी देशव्यापी दौरे पर नहीं जाना पड़ता.
उनके मुताबिक, इससे पैसा बच जाता और भाजपा को ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री पद पर रहने का मौका मिल जाता.
वह आगे कहते हैं, ‘लेकिन वे तो शिवसेना को खत्म करना चाहते हैं. मुझे अपनी या शिवसेना की चिंता नहीं है. क्योंकि हर बार जिसने भी इसे खत्म करने की कोशिश की है, उसके बाद पार्टी ने जोरदार वापसी की है.
वह बताते हैं, ‘मुझे इस बात की चिंता है कि वे हिंदुओं और मराठी मानुषों को एकजुट करने के बाला साहेब के काम को मिटाने की कोशिश कर रहे हैं. और वे ऐसा अपने लोगों का इस्तेमाल करके कर रहे हैं.
उन्होंने आगे कहा, ‘उनकी योजना अंदरूनी कलह को बढ़ावा देने और शिवसेना को खत्म करने की है. एक बार काम हो जाने के बाद, सूखे हुए पत्तों को एक डिब्बे में रख दें और उन्हें फेंक दें.’
उद्धव ने शिवसेना के बागियों पर वार करते हुए, उनसे अपने दम पर चुनाव लड़ने के लिए कहा.
उन्होंने बताया, ‘मैं उन्हें ठाकरे-शिवसेना संबंधों को तोड़ने की चुनौती देता हूं. ऐसा करते समय मेरे पिता की तस्वीर का इस्तेमाल न करें. मेरे पिता की विरासत को मत चुराओ. अपने माता-पिता के आशीर्वाद के साथ आगे बढ़ो. मेरे पिता की विरासत को क्यों चुरा रहे हो?’ उन्होंने आगे कहा, ‘इसका मतलब है कि आपके पास कोई क्षमता नहीं है, कोई साहस नहीं है. आप अपने शब्दों पर कायम रहने वालों में से नहीं हो, आपने हमें धोखा दिया है. बालासाहेब के नाम का इस्तेमाल और लोगों को गुमराह क्यों कर रहे हो? अपने दम पर आगे बढ़ो और लड़ो. शिवसेना के मुखिया की तस्वीरों के सहारे वोट मांगना बंद करो.’
‘राक्षसी महत्वाकांक्षा’
शिंदे का नाम लिए बिना उद्धव ने अपनी सर्जरी और स्वस्थ होने के दौरान महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पर उनके और शिवसेना के खिलाफ साजिश रचने का आरोप लगाया.
‘यह दर्द जीवन भर मेरे साथ रहेगा. जब मैंने उन्हें पार्टी की देखभाल करने की जिम्मेदारी दी, और उन्हें नंबर दो बनाया, तो उन्होंने मुझे धोखा दिया. जबकि मैं सर्जरी और सर्जरी के बाद की कॉम्प्लीकेशन्स के कारण हिल नहीं सकता था. वे (विद्रोही) पार्टी के खिलाफ तेजी से आगे जा रहे थे.’
उद्धव ने कहा कि सर्जरी के बाद खून का थक्का बनने के बाद उनकी गर्दन के नीचे का हिस्सा सुन्न हो गया था. वह बताते हैं, ‘उस समय मैंने सुना कि कुछ लोग प्रार्थना कर रहे थे कि मैं ठीक हो जाऊं, जबकि कुछ लोग दूसरी प्रार्थना करने में लगे थे. वही लोग अब पार्टी को बर्बाद करने की कोशिश कर रहे हैं.
उद्धव ने यह भी कहा कि जब 2014 में शिवसेना ने भाजपा से अलग होकर लड़ने पर विधानसभा चुनाव में 63 सीटें जीती थीं तो उन्होंने शिंदे को विपक्ष का नेता बनाया था.
उद्धव ने बताया, ‘मैंने उन्हें हर मौका दिया, उन पर आंख बंद करके भरोसा किया. और यहां तक कि उन्हें शहरी विकास मंत्रालय भी दिया, जो आमतौर पर सीएम के पास रहता है… लेकिन उन पर आंख बंद करके भरोसा करना मेरी गलती थी. मैं स्वीकार करता हूं कि मैंने उन्हें (विद्रोहियों को) अपना परिवार माना और उन पर आंख मूंदकर भरोसा किया. अगर मैंने उन्हें सीएम बनाया होता तो कुछ और मांगते क्योंकि इससे भी उनकी भूख नहीं मिटती.
उन्होंने आगे कहा, ‘वह सीएम पद चाहते थे और अब शिवसेना प्रमुख बनना चाहते हैं. उन्होंने अपनी तुलना शिवसेना प्रमुख से करनी शुरू कर दी है. यह राक्षसी महत्वाकांक्षा है. यह लालच ही है जो सब कुछ हड़पना चाहता है.’
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