नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री और संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने मंगलवार को कहा कि केंद्र सरकार वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 पर चर्चा चाहती है, जिसे बुधवार को प्रश्नकाल के बाद लोकसभा में पेश किया जाएगा.
रिजिजू ने बताया कि लोकसभा की कार्य मंत्रणा समिति (बीएसी) की बैठक में चर्चा के लिए आठ घंटे का समय तय किया गया है, जिसे बढ़ाया भी जा सकता है.
रिजिजू ने कहा, “लोकसभा की कार्य मंत्रणा समिति (बीएसी) की बैठक में मैंने समिति के समक्ष प्रस्ताव रखा था कि कल 2 अप्रैल को हम वक्फ संशोधन विधेयक ला रहे हैं और इसके लिए हमें चर्चा के लिए समय आवंटित करना होगा…अंत में इस बात पर सहमति बनी कि वक्फ संशोधन विधेयक पर चर्चा के लिए कुल आठ घंटे का समय मिलेगा, जिसे सदन की राय जानने के बाद बढ़ाया जा सकता है.”
रिजिजू ने कहा, “हम चर्चा चाहते हैं. हर राजनीतिक दल को अपनी राय व्यक्त करने का अधिकार है और देश यह सुनना चाहता है कि संशोधन विधेयक पर किस राजनीतिक दल का क्या रुख है.”
रिजिजू ने कहा कि अगर विपक्ष चर्चा में हिस्सा नहीं लेना चाहता तो वह उसे रोक नहीं सकते. रिजिजू ने कहा, “अगर विपक्ष कोई बहाना बनाकर चर्चा में हिस्सा नहीं लेना चाहता तो मैं उसे रोक नहीं सकता.”
विपक्ष के वॉकआउट के बावजूद बुधवार को लोकसभा में वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 पेश किया जाएगा. जैसा कि कार्य मंत्रणा समिति की बैठक में तय हुआ था. कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने वक्फ संशोधन विधेयक पर कड़ी असहमति जताते हुए कहा कि पूरा देश देख रहा है कि कैसे लोकसभा में लोकतंत्र की आवाज को कुचला जा रहा है.
गोगोई ने कहा, “हम सदन से वॉकआउट कर गए. मुझे नहीं पता कि उनके (सरकार के) दिमाग में क्या है. मुझे उम्मीद है कि स्पीकर इस सब पर ध्यान देंगे. पूरा देश देख रहा है कि कैसे लोकसभा में लोकतंत्र की आवाज को धीरे-धीरे कुचला जा रहा है.”
गोगोई ने कहा कि विपक्षी सांसदों को मजबूरी में वॉकआउट करना पड़ा क्योंकि उनके पास कोई और विकल्प नहीं बचा था. विपक्षी दलों ने विरोध स्वरूप बीएसी की बैठक के बीच में ही वॉकआउट कर दिया, क्योंकि सरकार केवल अपने एजेंडे को आगे बढ़ा रही है और विपक्षी दलों की राय नहीं सुन रही है. हमने वक्फ संशोधन अधिनियम पर व्यापक चर्चा की मांग की है, हमारी राय सुनी जा रही है. हमने मणिपुर में राष्ट्रपति शासन के समाधान के लिए उचित समय आवंटित करने की मांग की, लेकिन हमारी सलाह नहीं सुनी जा रही है.
इस विधेयक को पिछले साल अगस्त में लोकसभा में पेश किया गया था, जिसके बाद आगे के विचार के लिए जगदंबिका पाल के नेतृत्व में एक संयुक्त संसदीय समिति का गठन किया गया था.
इस विधेयक का उद्देश्य वक्फ अधिनियम, 1995 में संशोधन करना है, ताकि वक्फ संपत्तियों के विनियमन और प्रबंधन में आने वाली समस्याओं और चुनौतियों का समाधान किया जा सके. संशोधन विधेयक भारत में वक्फ संपत्तियों के प्रशासन और प्रबंधन में सुधार करना चाहता है. इसका उद्देश्य पिछले अधिनियम की कमियों को दूर करना और अधिनियम का नाम बदलने, वक्फ की परिभाषाओं को अद्यतन करने, पंजीकरण प्रक्रिया में सुधार करने और वक्फ रिकॉर्ड के प्रबंधन में प्रौद्योगिकी की भूमिका बढ़ाने जैसे बदलाव लाकर वक्फ बोर्डों की दक्षता बढ़ाना है.
वक्फ संपत्तियों को विनियमित करने के लिए बनाए गए वक्फ अधिनियम 1995 की लंबे समय से कुप्रबंधन, भ्रष्टाचार और अतिक्रमण जैसे मुद्दों के लिए आलोचना की जाती रही है.
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