मुंबई: बीजेपी मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटिल ने मंगलवार को अपने कैबिनेट सहयोगी एनसीपी के छगन भुजबल से कहा कि यदि वह ऐसे बयान देना जारी रखना चाहते हैं जो मराठा आरक्षण पर महाराष्ट्र सरकार के रुख के बारे में भ्रम पैदा करते हैं, तो उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए.
विखे पाटिल ने कोल्हापुर में कहा कि भुजबल को अपना इस्तीफा दे देना चाहिए, नहीं तो मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को एनसीपी नेता के बारे में अलग से फैसला लेना होगा. बता दें कि विखे खुद एक मराठा हैं.
खाद्य और नागरिक आपूर्ति मंत्री भुजबल, एक ओबीसी नेता, मराठा आरक्षण को लेकर मराठा कार्यकर्ता मनोज जारांगे पाटिल के साथ आमने-सामने हैं. एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार मराठों के बीच कुनबी प्रमाणपत्रों की पहचान करने की प्रक्रिया में है, जो ओबीसी के बराबर का दर्जा देगी. बता दें कि जारांगे पाटिल ने यही मांग उठाई है.
यह पहला मामला है जब किसी बीजेपी नेता ने भुजबल के खिलाफ बोला है. अब तक, यह गठबंधन के दूसरे सहयोगी यह मांग कर रहे थे.
विखे पाटिल ने कहा, “ओबीसी और मराठा नेताओं के बीच आगे-पीछे का कोई फायदा नहीं है. भुजबल एक वरिष्ठ नेता हैं और लोग उनका आदर करते हैं. लोग उनका सम्मान करते हैं, लेकिन वे उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग कर सकते हैं.”
राजस्व मंंत्री ने कहा, “अगर वह इस मामले पर बोलना जारी रखना चाहते हैं, तो उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए और कैबिनेट छोड़ देनी चाहिए. भले ही सरकार इसे लेकर गंभीर है, लेकिन अगर लोग देखेंगे कि सरकार और उसकी नीति में कोई समन्वय नहीं है तो वे उस पर सवाल उठाना शुरू कर देंगे. अगर भुजबल खुद इस्तीफा नहीं देते हैं, तो सीएम को इस बारे में सोचना होगा.”
इस सप्ताह, भुजबल ने मराठों को जारी किए गए कुनबी प्रमाणपत्रों पर रोक लगाने और न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) संदीप शिंदे समिति को इस आधार पर भंग करने की मांग की कि इसने मराठवाड़ा क्षेत्र में अभिलेखों की पहचान करने का काम किया है.
यह उनके कैबिनेट सहयोगी शंभूराज देसाई की तीखी प्रतिक्रिया के बावजूद है. शिवसेना नेता ने कहा, “हम ऐसा कानून केवल मराठवाड़ा क्षेत्र के कुछ मुट्ठी भर जिलों पर लागू नहीं कर सकते. एक बार कोई कानून या फैसला आ जाने के बाद, यह आम तौर पर राज्य के सभी हिस्सों पर लागू होता है.”
इस महीने की शुरुआत में, महाराष्ट्र के मंत्री दीपक केसरकर ने भी भुजबल पर निशाना साधते हुए कहा था कि परस्पर विरोधी बयान देने और लोगों के बीच दरार पैदा करने की कोशिश से दूर रहना चाहिए.
मंगलवार को भुजबल ने कहा कि वह किसी समुदाय के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन इस बात पर जोर दिया कि एक सामाजिक समूह को अपने अधिकारों की रक्षा के लिए लड़ना होगा. उन्होंने कहा, “मैं किसी भी समुदाय के खिलाफ नहीं हूं और मैं आप सभी से अनुरोध करता हूं कि किसी भी समुदाय के खिलाफ बात न करें, लेकिन अपने अधिकारों के लिए हमें लड़ना होगा.”
(संपादन: ऋषभ राज)
(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
यह भी पढ़ें: दुश्मन को मारने के लिए आर्मेनिया पहुंच गया था— कैसे दिल्ली पुलिस ने सचिन बिश्नोई की साजिश को विफल कर दिया