नई दिल्ली : अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला जहां अभी आना बाकी है, वहीं भाजपा के वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने मंदिर बनने के पक्ष बयान दिया है. स्वामी ने दावा किया है कि अयोध्या में भव्य राम मंदिर बनाने का कार्य नवंबर महीने के बाद शुरू हो जाएगा. उन्होंने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट में चल रहे राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद का फैसला राम मंदिर के पक्ष में आएगा.
स्वामी अयोध्या में दो दिवसीय दौरे पर हैं. उन्होंने कहा कि पूजा करने का अधिकार मूलभूत अधिकारों में से एक है और इसे छीना नहीं जा सकता. इससे पहले सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की सहयोगी पार्टी शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण में तेजी लाने के लिए कार्रवाई करने की बात कही थी. स्वामी की यह टिप्पणी उस बयान के कुछ दिनों के बाद आई है.
शिवसेना प्रमुख ने कहा था कि अनुच्छेद 370 को रद्द करने और जम्मू-कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा वापस लेने के बाद मोदी सरकार ने दिखा दिया है कि यह फैसला लेने वाली सरकार है.
उन्होंने कहा था कि अब जब अनुच्छेद 370 को हटा दिया गया है, समय आ गया है कि राम मंदिर का निर्माण हो और एक समान नागरिक संहिता पूरे देश में लागू की जाए.
ठाकरे ने कहा था, ‘हमने चुनाव से पहले कहा था कि कश्मीर का मुद्दा सुलझाएंगे. विपक्ष कह रहा था कि हम अनुच्छेद 370 को खत्म नहीं कर पाएंगे और आज मुझे मोदी जी पर गर्व है.’
मध्यस्थता विफल होन के बाद सुप्रीम कोर्ट इस मामले की कर रहा है सुनवाई
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अयोध्या विवाद पर नियुक्त मध्यस्थता समिति मंदिर-मस्जिद विवाद को हल कर पाने में विफल साबित हुई थी. इस समिति में जाने-माने लोग शामिल थे, जिन्हें सहमति बनाने के लिए जाना जाता है.
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता में पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने 18 जुलाई को तीन सदस्यीय मध्यस्थता समिति से इस मामले की मध्यस्थता प्रक्रिया के निष्कर्ष के बारे में 1 अगस्त को अदालत को सूचित करने को कहा था. इस तीन सदस्यीय मध्यस्थता समिति की अगुवाई शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति एफएम कलीफुल्ला कर रहे थे.
मध्यस्थता विफल होने के बाद 6 अगस्त से सुप्रीम कोर्ट इस मामले की रोज सुनवाई कर रहा है. सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है. पांच सदस्यीय पीठ में जस्टिस बोबडे, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस एसए नज़ीर और मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई शामिल हैं.
(समाचार एजेंसी आईएएनएस इनपुट के साथ)