गोरखपुर/चौरी-चौरा/शिवपुर/वाराणसी: 20 साल के विनय पाटिल बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी में जूलॉजी के दूसरे साल के छात्र हैं और चुनाव के अंतिम दो चरणों के लिए संघ के कॉल सेंटर से कॉल लगाने में व्यस्त हैं.
वो एक मतदाता को कॉल कर कहते हैं, ‘प्रणाम, मैं लोक जागरण मंच से बोल रहा हूं. 3 और 7 मार्च को मतदान करने जरूर जाइयेगा, चाहे आप वोट किसी भी पार्टी की तरफ डालें.’
वो कहते हैं, ‘मतदान के लिए बटन दबाने से पहले यह जरूर सोचना चाहिए कि वो किसकी तरफ हैं.’
पाटिल कहते हैं, ‘लेकिन वोट देने से पहले जरूर सोचियेगा कि आपको राम मंदिर बनाने वालों की तरफ रहना है कि राम को इस देश से मिटाने की कोशिश करने वालों की तरफ. आपको कश्मीर के टुकड़े करने वालों के साथ देना है कि जोड़ने वालों का साथ, आपको फिर से मुख्तार अंसारी और उसके गुंडे वापस लाने हैं प्रदेश में कि उनको जेल में रखना है.’
यह ‘देश प्रेम’ के मुद्दे पर वोट लेने, लोगों को ‘प्रोत्साहित करने’ की सचेत ‘कोशिश’ है.
पाटिल योगी आदित्यनाथ या बीजेपी का नाम नहीं लेते, लेकिन वो उन्हीं मुद्दों पर बात करते हैं, जिन मुद्दों को योगी और बीजेपी प्रचार में लगातार उछालते आये हैं.
लोक जागरण मंच चुनाव की शुरुआत से ही सक्रिय है. आरएसएस की इस संस्था का गठन वोटरों को ‘सचेत’ करने के लिए हुई थी. आरएसएस के इस कॉल सेंटर को यह मंच चलाता है. इसमें बीएचयू, इलाहाबाद यूनिवर्सिटी सहित दूसरे संस्थानों के दर्जन भर छात्र काम करते हैं.
वो वोटरों को एक ‘भारतीय होने के कर्तव्य’ की ‘याद’ दिलाते हैं. उनके पास अलग-अलग सरकारी विभागों और संस्थानों की डायरेक्टरी उपलब्ध है.
शुक्रवार की शाम दिप्रिंट इस कॉल सेंटर पर पहुंची, जो संघ के वाराणसी केंद्रीय दफ्तर से चलता है. वाराणसी में संघ के विभाग प्रचारक कृष्ण चंद्र कहते हैं कि इस तरह के सेंटर राज्य के अन्य हिस्सों में भी चलाए जा रहे हैं और इस तरह के अन्य संगठन भी हैं, जैसे जागरूक मतदाता मंच, जो इसी तरह का कार्य करते हैं. चंद्रा, वाराणसी-काशी ज़ोन में चलने वाले कॉल सेंटर के प्रमुख हैं.
यहां से 218 किलोमीटर दूर गोरखपुर (शहरी) विधानसभा क्षेत्र के 70 साल के संघ कार्यकर्ता भीमराज भारती मोहरीपुर गांव के एक विद्यालय में शनिवार की सुबह शाखा (जहां कैडरों का प्रशिक्षण होता है) लगाते हैं. इस विधान सभा से योगी आदित्यनाथ यहां से चुनाव लड़ रहे हैं.
इसके बाद वो 15-20 नौजवानों के साथ क्षेत्र में प्रचार करते हैं.
भीमराज भारती की टीम, भारत माता की जय, गंगा माता की जय, गौ माता की जय, अन्नदाता की जय जैसे नारे लगाते हुए गलियों और नुक्कड़ों से गुजर रही है उन्होंने कहा, ‘हम उनको ये नहीं कहते कि किनको वोट करना चाहिए. हम उन्हें देश हित की याद दिलाते हैं ताकि वो सही निर्णय ले सकें. हमारे पर्चों और नारों में कहीं भी भाजपा का ज़िक्र नहीं होता, बस देश और देश प्रेम की बात होती है. ‘
संघ परिवार के दर्जनों सहयोगी और समर्थक संगठन हैं. वह अपने सांगठनिक कार्यक्रमों को लेकर गुपचुप रवैया अपनाता है. हालांकि, 2022 विधानसभा चुनाव में सभी कार्यकर्ताओं (स्वयंसेवक) क्षेत्र को ‘पूरी तरह से मौजूद और सक्रिय रहने’ को कहा गया है. इनमें प्रांत प्रचारक से लेकर जमीनी स्तर के विस्तारक तक शामिल हैं.
संघ के कार्यकर्ताओं के मुताबिक ‘संघ के सपने को पूरा करने के लिए’ स्वयंसेवक पूरे अनुशासन और आदेशों के साथ योगी को दूसरे कार्यकाल में लाने की हरसंभव कोशिश कर रहे हैं.
संघ के एक वरिष्ठ प्रचारक ने कहा, ‘संघ की लड़ाई भाजपा को जिताने की नहीं बल्कि योगी को फिर से कुर्सी पर वापस लाने की है. इस कार्य में प्रोफेसर, टीचर, इंजीनियर, वकील और छात्र ‘महाराज जी’ के लिए काफी वक़्त दे रहे हैं.’
संघ के एक वरिष्ठ स्वयंसेवक ने कहा, ‘2012 और 2017 के चुनाव की तुलना में संघ का कामकाज इस बार अलग है. अयोध्या में राम मंदिर के शिलान्यास, कश्मीर में धारा 370 का खात्मा, तीन तलाक़ पर प्रतिबंध और समान नागरिक संहिता की ओर बढ़ते कदम से संघ अपने सपनों को पूरा होते हुए देख रहा है.’
संघ परिवार हर तरीका अपना रहा है. इनमें बूथ प्रबंधन, पोलिंग स्टेशन की सुरक्षा, वोटरों का उत्साह बनाए रखना, क्षेत्र में राष्ट्रवादी मुद्दों को उभारना, पूर्वांचल में ब्राह्मणों की नाराजगी को दूर करने से लेकर विदेशी फंड से चल रहे विपक्षी दलों से वोटरों को सावधान करना शामिल है.
गोरखपुर में तीन मार्च को वोट डाले जाएंगे. वहीं वाराणसी में सात मार्च को मतदान होना है. 2017 के विधानसभा चुनाव में गोरखपुर जिले में भाजपा को नौ में आठ सीटें मिली थीं. पार्टी 403 में 312 सीटें जीतकर सरकार बनाने में कामयाब रही थी. साल 2017 में पार्टी ने आठ में से छह सीटें जीतने में कामयाब रही थी. वहीं उनकी सहयोगी पार्टी को दो सीटें मिली थी.
योगी के पक्ष में संघ के जमीनी प्रचार और गतिविधियों की पड़ताल करने दिप्रिंट ने गोरखपुर महानगर (शहरी), गोरखपुर (ग्रामीण), चौरी चौरा, वाराणसी, जौनपुर और शिवपुर क्षेत्रों की यात्रा की.
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2022 का चुनाव संघ के लिए इतना ‘अलग’ क्यों है?
चुनावों के दौरान संघ हमेशा सक्रिय रहा है. लेकिन, साल 2012 और 2017 के चुनावों और इस बार के चुनाव में अंतर यह है कि इस बार जोर प्रचार के तरीकों और कैडर के कामकाज पर है.
संघ के एक वरिष्ठ स्वयंसेवक ने बताया कि ‘राष्ट्रवाद के पक्ष में सामाजिक परिवर्तन का कार्य’ संघ हमेशा करता रहा है लेकिन इस बार प्रचार की प्रक्रिया को बदला गया है, जिसमें कॉल सेंटर चलाना, बौद्धिकों, प्राथमिक शिक्षकों, प्रोफेसरों को जोड़ना वगैरह शामिल है क्योंकि वो ‘नौजवानों खासकर छात्रों को प्रभावित’ कर सकते हैं.’
गोरक्ष (गोरखपुर ज़ोन) के प्रांत प्रचारक (ज़ोन हेड) सुभाष जी ने दिप्रिंट को बताया, ‘वो कोई शर्मा, मौर्य या यादव नहीं हैं, वो योगी हैं. एक राजा को विलासी नहीं, साधु होना चाहिए.’
इस क्षेत्र में सुभाष संघ के कर्ताधर्ता हैं. क्षेत्र में विधानसभा की 62 सीटें हैं. संघ के गोरखपुर कार्यालय माधबधाम में सभी क्षेत्रों के इंचार्ज के साथ वो लगातार बैठकें कर रहे हैं. हर बैठक में संघ के 9 क्षेत्र प्रमुख शामिल होते हैं.
वह कार्यकर्ताओं को बूथ प्रबंधन के लिए जरूरी निर्देश देते हैं. वह ‘देश प्रेम’ के लिए, वोट प्रतिशत को बढाने, परिवारों को वोट डालने के लिए प्रोत्साहित करने की बात करते हैं. वह बाइक रैली आयोजित करते हैं और ‘राष्ट्रवादी कैंपेन’ चलाते हैं. हालांकि, इस दौरान उनके पास बीजेपी का झंडा नहीं होता है.
उन्होंने कहा, ‘संघ भारत के लिए काम करता है, किसी राजनीतिक दल के लिए नहीं. जो भी देश की बात करता है, लोग उसे संघी कहते हैं, इसका मतलब नफरती और आलोचक भी विश्वास करते हैं कि संघ राष्ट्र हित का कार्य करता है.’
वहीं, संघ के काशी दफ्तर में बैठे काशी के क्षेत्र प्रचारक अनिल ने कहा कि देश को ‘राष्ट्रभक्तों की जरूरत’ है.
उन्होंने कहा, ‘हमें देशभक्तों की जरूरत है. सरसंघचालक (मोहन भागवत) ने कहा है कि हमें पहले आजादी मिली, अब स्वाधीनता मिलेगी. योगी जी हमारे और देश के लिए महत्वपूर्ण हैं. हमारा देश दुनिया में सबसे अच्छा देश बनेगा. ऐसे में यूपी हमारे लिए सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है.’
गोरक्षा और काशी
गोरक्ष (गोरखपुर) और काशी (वाराणसी) संघ के लिहाज से उत्तर प्रदेश के सबसे निर्णायक ज़ोन हैं. गोरखपुर ज़ोन में 47 संघ परिवार के सहयोगी संगठन कार्य कर रहे हैं. यहां पर 62 विधानसभा क्षेत्र हैं. काशी ज़ोन के अंदर 49 विधानसभा क्षेत्र आते हैं. जिसमें 51 सहयोगी संगठन दिन-रात कार्य कर रहे हैं.
गोरखपुर और वाराणसी के संघ कार्यालयों में कैडरों, बड़े नेताओं और पदाधिकारियों की खूब आवाजाही है . क्षेत्र प्रचारक और प्रांत प्रचारक ऐसे प्रचारकों के साथ बैठक कर रहे हैं, जिनके अंदर 8-9 विधानसभा क्षेत्र पड़ते हैं.
एक वरिष्ठ संघ प्रचारक ने कहा कि चुनाव योगी को फिर से मुख्यमंत्री बनाने का समर है, ताकि संघ के ‘सपने’ आराम से पूरा हो सकें.
गोरखपुर और वाराणसी में 111 विधानसभा क्षेत्र हैं. साल 2017 में बीजेपी इनमें 95 सीटें जीती थी. एक पदाधिकारी ने कहा कि इस बार संघ 100 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है.
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बूथ प्रबंधन और कैडरों की गोलबंदी
चुनाव के दौरान संघ की गतिविधि की जानकारी ले पाना बहुत मुश्किल है.
संघ का कामकाज यह दिखाता है कि किस प्रकार प्रचार से दूर रहकर भी हिंदुवादी संगठन क्षेत्र में जमीनी स्तर पर अपने जैसे लोगों को गोलबंद कर ले जाती है.
गोरखपुर में सुबह की शाखा के बाद वरिष्ठ अधिकारी नौजवानों के साथ स्थानीय ‘संपर्क’ करते हैं. यह समूह वोटर को पर्चे देता है. यह समूह राम मंदिर, जम्मू और कश्मीर में धारा 370 का हटना, यूपी के धर्मांतरण के खिलाफ कानून और ‘गुंडा राज’ की बात करता है.
बांटे जा रहे पर्चे पर भाजपा का चुनाव चिह्न नहीं है. इन पर्चों को लोक जागरण मंच, धर्म जागरण मंच, स्वदेशी जागरण मंच या मतदाता जागरण मंच जैसे संघ के मुखौटे संगठन छापते हैं.
गोरखपुर ग्रामीण क्षेत्र के अंदरूनी इलाकों में शिक्षक, प्रोफेसर और सरकारी कर्मचारियों का समूह प्रचार कर रहा है. भौवापार गांव में दिप्रिंट ने संघ की प्रचार टीम के साथ रहा. गांव में घूमते हुए उन्होंने लोगों को बताया कि ‘क्यों राम के पक्ष में वोट करना चाहिए.’
वो गांव वालों को कहते हैं, ‘किसी के लिए नहीं बल्कि अपने हिंदू होने के नाते राम मंदिर के बारे में सोचना चाहिए, जिसे पूरा होने में कई दशक और पीढियां लग गई. राम जी के लिए, काशी विश्वनाथ के लिए सोच के वोट डालियेगा.’
गांव में धर्म जागरण मंच के अर्जुन पांडे कहते हैं, ‘भाजपा एक राजनीतिक दल है, इसकी अपनी सीमाएं हैं. भाजपा नेता हमेशा संघ से नहीं होते और ना ही स्वयंसेवकों की तरह अनुशासित होते हैं सो हमें उनकी कमी-कमजोरियों को दुरुस्त करना होता है. ‘
वे कहते हैं, ‘प्रचार के दौरान लोग हमें बताते हैं कि कैसे स्थानीय विधायक पहुंच से बाहर हैं, किन भाजपा नेताओं ने अपेक्षा के अनुरूप काम नहीं किया. लेकिन हम ये जानते हैं कि महाराज जी (योगी) की छवि कितनी साफ और भ्रष्टाचार मुक्त है. लोग उन पर विश्वास करते हैं. ये चुनाव उनके नाम पर ही लड़ा जा रहा है.’ गोरख जोन के प्रांत प्रचारक सुभास ने कहा कि उनका मुख्य काम, ‘मैनेज और मैन बूथ है.’
उन्होंने कहा, ‘लोगों को मतदान करने के लिए प्रेरित करना है, ताकि वोटिंग का प्रतिशत बढ़ सके. अंचल में एक भी बूथ ऐसा नहीं है जिसे स्वयंसेवक मैनेज नहीं करते हों. हर बूथ पर कम से कम 20 कार्यकर्ता हैं और कम से कम चार, 10 परिवारों को वोट डालने के लिए प्रेरित करने के लिए हैं. मतदान का दिन सबसे महत्वपूर्ण होता है.’
वाराणसी के पास शिवपुर विधानसभा में, लोक जागरण मंच की टीम मतदान के दिन घर से बाहर निकलने की अपील कर रहे हैं. आरएसएस सदस्य और पूर्व रेलवे कर्मचारी हरि शंकर सिंह ने एक वोटर को कहा, ‘आपको यह पक्का करना चाहिए कि आपने वोट किया हो और अपने दोस्तों और रिश्तेदारों को भी ऐसा ही करने के लिए राजी करना चाहिए.’
लोकजागरण मंच के एक अन्य पदाधिकारी विनोद शर्मा स्कूलों में जाकर शिक्षकों से मिल रहे हैं और उनसे अपने जान-पहचानवालों को प्रेरित करने की अपील कर रहे हैं.
आरएसएस के वरिष्ठ प्रचारक और गोरखपुर विश्वविद्यालय में भौतिकी के प्रोफेसर रविशंकर सिंह ने कहा, ‘हम किसी भी संगठन या संस्थान को छोड़ नहीं सकते. हमें समाज के आखिरी व्यक्ति तक पहुंचना है.
राष्ट्रवादी कैंपेन और ब्राह्मण-ठाकुर मतभेद
चौरा-चौरी में आरएसएस उस ऐतिहासिक घटना का जिक्र करता है जिसने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की तस्वीर बदल कर रख दिया था. स्वयंसेवक, महात्मा गांधी के अहिंसा के पाठ का भी जिक्र करना नहीं भूलते.
गोरखपुर विश्वविद्यालय में कानून के प्रोफेसर और इस क्षेत्र में आरएसएस की प्रचार शाखा के प्रमुख शैलेश कुमार ने कहा, ‘हम राष्ट्रवादी विचारों को बढाने के लिए चौरी चौरा की घटना का उल्लेख कर रहे हैं. आजादी का अमृत महोत्सव (स्वतंत्रता के 75 वर्ष मनाने के लिए एक सरकारी पहल) को एक सांस्कृतिक कार्यक्रम के रूप में देखा जाता है, लेकिन इसके कुछ राजनीतिक अर्थ भी हैं.’
दिप्रिंट ने प्रचारकों का भी ग्राउंड कवरेज किया. ब्रह्मपुर गांव में आरएसएस ने ‘प्रबुद्ध वर्ग’ (उच्च जातियों, खास कर ब्राह्मणों) के साथ मीटिंग की.
आरएसएस और विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के वरिष्ठ पदाधिकारी भागवत शुक्ला और प्रदीप पांडे ने ब्राह्मणों की चिंता दूर करने और उन्हें समझाने के लिए एक बैठक आयोजित की.
पांडे ने कहा, ‘ब्रह्मणों और ठाकुरों (राजपूतों) के बीच का मतभेद बेवजह है, हालांकि ये अस्थायी है. यह मुख्य रूप से टिकट के बंटवारे को लेकर है. हम जाति के आधार पर हिन्दुओं के बंटवारे को झेलने की हालत में नहीं है, इसका कोई अंत नहीं है.’
उन्होंने कहा, ‘हम सभी संवेदनशील सीटों पर ब्राह्मणों और ठाकुरों के साथ अलग-अलग बैठकें कर रहे हैं, ताकि उन्हें समझा जा सके कि हमें अपने आपसी मतभेदों को अलग रखते हुए एकजुट रहने की जरूरत क्यों हैं.’
संघ के वरिष्ठ स्वयंसेवकों ने कहा कि गोरखपुर में ब्राह्मणों को कम से कम 27 टिकट मिले हैं, जबकि ठाकुरों को करीब सात या आठ सीटों पर ही चुनाव लड़ने का मौका मिल रहा है.
इस क्षेत्र के आरएसएस के पदाधिकारी पृथ्वीराज सिंह (70 साल) ने कहा, ‘लेकिन उन्हें अब भी दिक्कत है. उन्हें समझना होगा कि टिकट के बंटवारा समान रूप से होना चाहिए. यह किसी एक जाति को ही नहीं दिया जा सकता. लेकिन, हमें पता है कि ब्रह्मण किसी दूसरे को वोट देने वाले नहीं हैं. इसकी वजह सामाजिक और आर्थिक भी है.’
वाराणसी में आरएसएस के कॉल सेंटर इसके केन्द्रीय कार्यालय के हॉल में बनाया गया है. यहां पर छात्र अब भी अपने फोन पर व्यस्त हैं, और वोटर को कॉल लगा रहे हैं.
इलाहाबाद विश्वविद्यालय से बॉटनी में डॉक्टोरल रिसर्च कर रहे सनी सिंह कहते हैं, ‘हममें से ज़्यादातर विद्या भारती स्कूल से हैं. हमलोग किशोरावस्था से ही स्वयंसेवक हैं. हमें पता है कि हम ऐसा क्यों कर रहे हैं. हमारे देश को मोदी जी और योगी जी जैसे मजबूत नेताओं की ज़रूरत है.’
प्रिंस तिवारी (20 साल) राज्यस्थान से हैं और बीएचयू में अंतिम वर्ष के छात्र हैं. उन्होंने कहा, ‘क्लास खत्म होने के बाद हम हर शाम यहां पर आते हैं….यह हमारी जिम्मेदारी है कि राष्ट्रवादी ताकतों को वोट करने के लिए लोगों को प्रेरित करें और अपनी संस्कृति और राम को बचाने में मदद करें.’
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