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Wednesday, 8 May, 2024
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राजनाथ का सावरकर की तारीफ अकेली घटना नहीं, BJP ‘स्वतंत्रता संग्राम का विरूपित इतिहास बदलने’ की तैयारी में

भाजपा ने अपनी राज्य इकाइयों से उन स्थानीय नेताओं की पहचान करने को कहा है, जिन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा तो लिया था लेकिन मुख्यधारा में शामिल नहीं किए गए.

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नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) हाल ही में उस समय विवादों में घिर गई जब रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने दावा किया कि हिंदुत्व के प्रतीक वीर सावरकर ने महात्मा गांधी की सलाह पर अंग्रेजों के समक्ष दया याचिका दायर की थी और यह कि उन्हें जान-बूझकर बदनाम करने का प्रयास किया गया.

राजनाथ सिंह ने सावरकर का जिक्र करते हुए उन्हें एक स्वतंत्रता सेनानी और भारतीय इतिहास का एक नायक बताया.

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अपनी भूमिका को लेकर इतिहासकारों को विभाजित कर देने वाले किसी व्यक्ति की यह घोर प्रशांसा सिर्फ अकेली घटना मात्र नहीं हो सकती है.

भाजपा एक बड़ी मुहिम की शुरुआत कर रही है जिसे वह ‘तोड़-मरोड़कर पेश किए गए इतिहास को सुधारने’ का प्रयास करार देती है. यही नहीं, पार्टी ने अपनी राज्य इकाइयों से उन स्थानीय नेताओं की पहचान पर ध्यान केंद्रित करने को कहा है जिन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा तो लिया था लेकिन किन्हीं वजहों से मुख्यधारा में स्वीकार नहीं किए गए.

दिप्रिंट को मिली जानकारी के मुताबिक हाल में भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा की अध्यक्षता में हुई राष्ट्रीय पदाधिकारियों की एक दिवसीय बैठक में आगामी विधानसभा चुनावों के लिए रणनीति बनाने के अलावा यह मुद्दा भी मुख्य एजेंडे में शुमार था.

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बैठक में शामिल रहे भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘यह जानने की जरूरत है कि असली स्वतंत्रता सेनानी कौन हैं. इतिहास का एक हिस्सा ऐसा भी है जिसे उतनी जोरदारी से नहीं बताया गया जितना बताया जाना चाहिए था. यहां तक कि वास्तविक इतिहास को जान-बूझकर हमारी पाठ्य पुस्तकों से बाहर रखा गया जिन्हें वामपंथी पृष्ठभूमि वाले लोगों ने लिखा था.’

उन्होंने कहा, ‘चूंकि सालों से हम उनके नजरिये वाले इतिहास को पढ़ते रहे हैं, इसलिए यही सच लगता है. लेकिन उस इतिहास को सबके सामने लाने की जरूरत है और खासकर हमारे युवाओं को जागरूक बनाने की जरूरत है.’

यद्यपि यह पहली बार नहीं है कि पार्टी ने इतिहास का फिर से विश्लेषण शुरू किया है, तथ्य ये है कि इस पर विस्तार से चर्चा हुई है और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि राज्य इकाइयों से इस पर काम करने के लिए कहा गया है.

भाजपा के एक दूसरे नेता ने बताया कि बैठक में भारतीय इतिहास के 75 साल पूरे होने के मौके पर केंद्र सरकार की पहल ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ संबंधी एक प्रेजेंटेशन भी पेश किया गया था. साथ ही बताया गया कि राष्ट्रीय नायकों को लेकर ‘विरूपित’ इतिहास को खास अभियान चलाकर सुधारा जाना चाहिए.

इसके अलावा राज्य इकाइयों की तरफ से चिन्हित नेताओं की जीवनी तैयार करके उन्हें वितरित किया जाना चाहिए.

दूसरे नेता ने कहा, ‘देशभर में तमाम लोगों ने स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया, लेकिन हमारे युवाओं को उनके बारे में पता तक नहीं है. ऐसे स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में पता लगाने और उन्हें मुख्यधारा में लाने की जरूरत है.’

उन्होंने कहा, ‘विभाजन की भयावहता और इसने लोगों को कैसे प्रभावित किया, यह सब हमारे युवाओं को बताए जाने की जरूरत है. हर राज्य इकाई इस दिशा में काम करेगी.’

विदेश नीति पर चर्चा की गई

विदेश नीति एक अन्य प्रमुख क्षेत्र था जिस पर बैठक में चर्चा की गई और महसूस किया गया कि इस पर और अधिक जोर देने की जरूरत है खासकर प्रवासी भारतीयों की मदद लेकर.

एक तीसरे भाजपा नेता ने कहा, ‘कुछ तत्व जान-बूझकर भारत की छवि को नकारात्मक बनाने का प्रयास कर रहे हैं और इसका जवाब देना बहुत जरूरी है. हम इसके लिए अपने प्रवासी भारतीयों की मदद ले सकते हैं.’

इसके साथ ही विदेश नीति से जुड़े सरकार के अहम फैसलों को मीडिया में सामने लाने की जरूरत भी बताई गई.

उन्होंने कहा, ‘हमारी सरकार ने कई महत्वपूर्ण नीतिगत फैसले लिए हैं चाहे टीकाकरण अभियान हो, पोषण हो या फिर स्वच्छ भारत अभियान. इस बात को ठीक से रेखांकित करने की जरूरत है कि लोगों को इससे कैसे फायदा हुआ है और इसने कैसे उनके जीवन को बदला.’

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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