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Thursday, 25 April, 2024
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राजस्थान भाजपा में भगदड़: नेताओं में ‘घुटन नाम की बीमारी’ हर पांच साल में फैलती है

राजस्थान भाजपा के कई बड़े नेताओं ने पार्टी छोड़ कांग्रेस का दामन थाम लिया है, क्योंकि उन्हें हमेशा सत्ता का संरक्षण चाहिए.

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नई दिल्ली: राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी भाजपा के प्रत्याशियों की सूची जारी होने के बाद मंत्री सुरेंद्र गोयल, विधायक हबीबुर्रहमान, पूर्व पार्टी महासचिव कुलदीप धनकड़ और सांसद हरीश मीणा ने पार्टी छोड़ दी है.

राजस्थान से डीजीपी रह चुके सांसद हरीश मीणा ने भाजपा छोड़ कांग्रेस ज्वाइन कर लिया. हरीश मीणा पूर्व केंद्रीय मंत्री नमो नारायण मीणा के छोटे भाई हैं. जब अशोक गहलोत मुख्यमंत्री थे तो हरीश मीणा पुलिस महानिदेशक थे और गहलोत के काफी करीबी थे. लेकिन 2014 के चुनाव के पहले उन्होंने भाजपा ज्वाइन करके सभी को हैरान कर दिया था.

दिलचस्प यह भी रहा कि हरीश मीणा ने अपने बड़े भाई नमो नारायण मीणा के खिलाफ दौसा से चुनाव लड़ा और उन्हें हरा दिया था. लेकिन भाजपा में उपेक्षित होने की वजह से हरीश मीणा ने कांग्रेस में शामिल होने का निर्णय लिया. कांग्रेस ने भी चुनाव में जातीय समीकरण साधने के लिए उन्हें पार्टी में शामिल किया है.

इसी तरह भाजपा के पांच बार विधायक रह चुके हबीबुर्रहमान ने पार्टी छोड़ दी है और माना जा रहा है कि वे कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं. वे टिकट न मिलने से नाराज़ हैं. गौरतलब है कि भाजपा अब राजस्थान में 200 सीटों वाली विधानसभा चुनाव के लिए 163 नामों की घोषणा कर चुकी है. इन 163 लोगों में एक भी मुस्लिम नहीं हैं.

किसी भी मुस्लिम को टिकट नहीं देने से राजस्थान भाजपा के अल्पसंख्यक मोर्चे के उपाध्यक्ष एम सादिक खान भी नाराज़गी ज़ाहिर कर चुके हैं. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पार्टी के अन्य शीर्ष नेताओं को पत्र लिखकर कहा है कि ‘किसी भी मुस्लिम उम्मीदवार को टिकट न देने के बाद वे किस मुंह से अल्पसंख्यक समाज के लोगों के पास जाकर भाजपा को वोट देने के लिए कहें.’

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भाजपा के पूर्व महासचिव कुलदीप धनकड़ ने भी पार्टी छोड़ दी है. उपेक्षित होने के कारण सोमवार को पार्टी से इस्तीफा दे दिया. धनकड़ जयपुर ग्रामीण की विराट नगर सीट से अपना दावा ठोंक रहे थे. अब वो भी निर्दलीय चुनाव लड़ने की बात कह रहे हैं.


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राज्य की वसुंधरा सरकार में मंत्री सुरेंद्र गोयल ने भाजपा की पहली सूची जारी होने के बाद राजस्थान भाजपा इकाई के अध्यक्ष मदनलाल सैनी को इस्तीफा सौंप दिया. गोयल ने इस्तीफे में कहा है कि वह भाजपा की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे रहे हैं. वह भाजपा से पांच बार विधायक रहे हैं. उन्होंने कहा कि वह आगामी चुनाव में जयतरण सीट से बतौर निर्दलीय उम्मीदवार मैदान में उतरेंगे.

इससे पहले राजस्थान भाजपा के एक अन्य विधायक मानवेंद्र सिंह ने अक्टूबर में कांग्रेस का दामन थाम लिया था. मानवेंद्र सिंह भाजपा के वरिष्ठ नेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री जसवंत सिंह के बेटे हैं.

इसके अलावा कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि स्वास्थ्य मंत्री काली चरण सर्राफ, परिवहन मंत्री यूनुस खान और उद्योग मंत्री राजपाल सिंह शेखावत और मंत्री राजकुमार रिणवां का भी नाम उम्मीदवारों की सूची में नहीं है और आशंका है कि ये सभी भाजपा से किनारा करके उसकी मुसीतब बढ़ा सकते हैं.

इन नेताओं के इस्तीफे पर राजस्थान भाजपा के चुनाव प्रभारी अविनाश राय खन्ना ने कहा कि ‘मतभेदों को समाप्त करने के लिए जो हो सकता है, पार्टी करेगी. मतभेदों को दूर करने के लिए हम बातचीत की प्रक्रिया में हैं. हमारे नेता उनसे मिलने और उनसे बात करने का प्रयास कर रहे हैं. हम उनमें से किसी को पार्टी नहीं छोड़ने देंगे.’

कांग्रेस प्रवक्ता प्रतापसिंह खाचरियावास ने दिप्रिंट से कहा, ‘इतनी बड़ी संख्या नेताओं का कांग्रेस में आना यह संकेत है कि राजस्थान में भाजपा की स्थिति बहुत कमज़ोर है. उनकी स्थिति कमज़ोर होने के कारण कांग्रेस में भाजपा नेताओं की संख्या बढ़ रही है. भाजपा को जनता का समर्थन नहीं मिल रहा है. लोग इस बात को जानते हैं कि भाजपा किसी भी कीमत पर दोबारा सत्ता में नहीं आने वाली है. इसलिए भाजपा के बड़े नेता कांग्रेस में आ रहे हैं.’

कोटा के रामगंज मंडी सीट से विधायक चंद्रकांता मेघवाल ने भी टिकट न मिलने के बाद भी निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है.


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सादड़ी सीट से विधायक गौतम दक, सागवाड़ा से अनीता कटारा, किशनगढ़ से भागीरथ चौधरी और डूंगरपुर से देवेंद्र कटारा भी बगावत पर उतर आए हैं.

वरिष्ठ पत्रकार नारायण बारेठ कहते हैं, ‘जो लोग आज भाजपा से कांग्रेस में जा रहे हैं उनकी महत्वाकांक्षा से वफादारी थी. ये नेताओं का अवसरवाद है. उन्हें लग रहा है कि हवा कांग्रेस की है और भाजपा की हालत खराब है इसलिए वे कांग्रेस में आ रहे हैं. उनको लग रहा है कि यह ट्रेंड आगे भी जा सकता है, इसलिए उनका भाजपा से मोह भंग हो गया है.’

उन्होंने कहा, ‘आज की भाजपा में निराशा का वातावरण है. पहले भाजपा की पूंजी मानी जाती थी कि उनमें एक पारिवारिक वातावरण होता है, आपसी संपर्क होता है. अब ऐसा नहीं है. सब कुछ बहुत मैकेनिकल हो गया है. अब उनको लगता है कि भाजपा में उनका भविष्य ठीक नहीं है. आगे पांच साल कांग्रेस रहेगी.’

इसके लिए वे भाजपा को ज़िम्मेदार ठहराते हुए कहते हैं, भाजपा ने प्रदेश में पांच साल ऐसी राजनीति की है कि अगर आप सरकार से बना कर नहीं चलेंगे तो आपका जीवन निर्वाह मुश्किल है. चाहे आप गृहस्थ हैं, चाहे आप नौकरी पेशा हैं, चाहे आप व्यापारी हैं. अगर आप सरकार से असहमति रखते हैं तो आपका जीवन निर्वाह मुश्किल है. इसलिए लोगों को लगता है कि अगर पांच साल कांग्रेस सरकार में रहेगी तो उन्हें मुश्किल नहीं होगी, उनका व्यापार या करियर सुरक्षित रहेगा. इसलिए वे भाजपा छोड़कर कांग्रेस में जा सकते हैं.’


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भाजपा ने पहली सूची में 131 प्रत्याशियों की घोषणा की थी, जिनमें से 85 पुराने चेहरों को ही मौका दिया गया, जबकि 25 मौजूदा विधायकों का टिकट काट दिया है. जिन लोगों को टिकट नहीं मिल पाया उनमें से ज़्यादातर नाराज़ हैं.

भाजपा की दूसरी सूची जारी हुई है जिसमें 31 उम्मीदवारों के नाम की घोषणा की गई. इस सूची में तीन मंत्रियों समेत 16 मौजूदा विधायकों का टिकट काट दिया गया है. स्थानीय पत्रकार संदीपन शर्मा का कहना है, ‘ज़मीन पर भाजपा की हालत खराब है. सत्ता विरोधी लहर के कारण वह पुराने चेहरों पर दांव लगाना नहीं चाहती. लेकिन पुराने चेहरे बगावत पर उतर आए हैं. राजस्थान की अधिकांश सीटों पर भाजपा बगावत झेल रही है. यह उसके लिए मुसीबत खड़ी करेगा.’

नारायण बारेठ कहते हैं, ‘दरअसल भाजपा ने जो बोया है, वही काट रही है. अभी और लोग भी पार्टी छोड़कर कांग्रेस में जा सकते हैं.’ हरीश मीणा का उदाहरण देते हुए वे कहते हैं, ‘हरीश मीणा अशोक गहलोत के समय पुलिस महानिदेशक रहे. गहलोत ने उन्हें नियमों को दरकिनार करके नियुक्त किया था. जैसे ही भाजपा की सरकार आई, वसुंधरा ने उनको पद से हटा दिया. लेकिन कुछ ही समय बाद उन्होंने भाजपा ज्वाइन कर ली और भाजपा से सांसद बन गए. अब वे कांग्रेस में आ गए.’

यानी जो सत्ता में रहे, उसी से करीबी बनाकर रखने के लिए यह भगदड़ मची है. बारेठ कहते हैं कि ‘ऐसा माहौल है कि हर किसी को सत्ता के संरक्षण की ज़रूरत है. यह घुटन नाम की बीमारी हर पांच साल में आती है. जब पार्टी हारने लगती है तो उनको घुटन होने लगती है. अब कांग्रेस आ रही है तो उनको भाजपा से घुटन होने लगी है. जब भाजपा सत्ता में आएगी तो उनको कांग्रेस से घुटन होने लगेगी.’

भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने दिप्रिंट से कहा, ‘ये ​इस्तीफे पार्टी के सत्ता में वापसी के अवसर को कम कर देंगे.’

राजस्थान भाजपा के चुनाव प्रभारी अविनाश राय खन्ना ने दिप्रिंट से फोन पर बातचीत में कहा, ‘हम लोग अपने ढंग से सबको समझा हैं. सभी पार्टी के महत्वपूर्ण कार्यकर्ता हैं. हमारा प्रयास है कि हम किसी को पार्टी छोड़कर जाने नहीं देंगे.’

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