नई दिल्ली: कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने गुरुवार को सरकार को सलाह दी है कि दो स्ट्रैटजी बना कर काम करना चाहिए. उन्होंने कहा कि आर्थिक और स्वास्थ्य दोनों ही स्तर पर सरकार को एक साथ स्ट्रैटजी बना कर चलना होगा. 20 तारीख तक सरकार को न केवल लॉकडाउन खोले जाने से पहले रैंडम टेस्टिंग, अस्पताल और स्वास्थ्य के स्तर पर चौकन्ना होना होगा, वहीं उन्होंने आर्थिक स्तर पर गरीबों के घर-घर अनाज पहुंचाना होगा, जिनके पास राशन कार्ड नहीं है उनके घरों में भी अनाज पहुंचाना होगा. साथ ही स्मॉल इंड्रस्ट्री जो देश के आधे से अधिक लोगों को रोजगार देती है उनके लिए पैकेज का ऐलान करना होगा.
राहुल ने देशवासियों को कहा कि कोविड-19 टेस्ट से ‘डरने की जरूरत नहीं’ है. लगातार डॉक्टरों, स्वास्थ्य कर्मचारियों और पुलिस कर्मियों पर हो रहे हमले पर बोले कि टेस्ट से किसी का नुकसान नहीं होने जा रहा है.
आपको याद होगा कि राहुल गांधी ने लॉकडाउन की ये कह कर आलोचना की थी कि इससे लाखों गरीबों, किसानों,प्रवासी मज़दूरों, दिहाड़ी मज़दूरो और छोटे व्यापारियों को गहरी मुश्किल में डाल दिया है.
The one-size-fit-all lockdown has brought untold misery & suffering to millions of farmers, migrant labourers, daily wagers & business owners.
It needs a “smart” upgrade, using mass testing to isolate virus hotspots & allowing businesses in other areas to gradually reopen.
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) April 13, 2020
टेस्टिंग पर जोर
राहुल गांधी ने वीडियो प्रेस कांफ्रेंस कर बार-बार टेस्टिंग की संख्या बढ़ाने की बात कही. उन्होंने कहा कि ‘रैंडम टेस्ट’ बहुत तेजी से करने की जरूरत है.
राहुल ने कहा, ‘लॉकडाउन’ कोरोनावायरस से लड़ने का किसी तरह का समाधान नहीं है. लॉकडाउन महज़ एक पॉज़ बटन है जिसे लगाकर हमने इसे फैलने से रोक दिया है लेकिन जैसे ही हमलोग लॉकडाउन से बाहर आएंगे तो वायरस फिर से और दुगुनी तेजी से अपना काम करना शुरू कर देगा.’
‘बड़े पैमाने पर टेस्टिंग से आपको अंदाजा लग जाता है कि वायरस किस दिशा में बढ़ रहा है. ऐसे में आप वायरस को आइसोलेट कर सकते हैं, टारगेट कर सकते हैं और फाइट कर सकते हैं.’
मोदी से नहीं वायरस से लड़ने का समय
राहुल गांधी ने कहा कि मैं मोदी जी से कई मामलों में इत्तेफाक नहीं रखता लेकिन आज लड़ने का समय नहीं है. आज वायरस से एकजुट होकर लड़ने का समय है. सभी राजनीतिक पार्टियों को साथ मिलकर काम करना होगा. मैं पिछले कई महीनों से कई विशेषज्ञों से बात कर रहा हूं सिर्फ भारत में नहीं विदेश में भी. लॉकडाउन सिर्फ पॉज़ बटन है…जैसे ही लॉकडाउन खत्म होगा वैसे ही वायरस संक्रमण शुरू हो जाएगा. लॉकडाउन के दौरान आपको मेडिकल की तैयारी शुरू करनी होगी. जिन जिलों और मोहल्लों में कोविड-19 की पहुंच नहीं बताई जा रही हैं वहां रैंडम टेस्ट करने होंगे और उन्हें बढ़ने से रोकने पर काम करना होगा.
यह भी पढ़ें: कोविड-19 से संक्रमित लोगों की संख्या बढ़कर 12380, अब तक 414 लोगों की हुई मौत
राहुल ने बार-बार दोहराया, ‘ कोविड-19 की टेस्टिंग ही बड़ी लड़ाई है. हमें उससे आगे बढ़कर लड़ाई लड़नी है. वायरस के पीछे नहीं उससे आगे बढ़कर लोगों को सुरक्षित करना है.’ उन्होंने कहा कि आज लाखों लोगों के बीच में सिर्फ 199 लोगों के टेस्ट हुए जबकि पिछले दो दिनों में यह संख्या बढ़कर 350 हुई है.
स्मॉल स्केल के साथ बड़ी कंपनियों के लिए भी हो प्रोटेक्शन प्लान
राहुल ने कहा, ‘सरकार को कोविड-19 से निपटने में संसाधनों का प्रभावी रूप से इस्तेमाल करना चाहिए, उन्हें राज्यों को सौंपना चाहिए. गरीबों को वित्तीय मदद मुहैया कराने के लिए ‘फूड नेट’ बनाएं, न्याय योजना लागू करें. न्याय योजना के तहत 20 फीसदी जो लोग हैं उनके एकाउंड में पैसे डालिए और मिनिमम फाइनेंशियल नेट तैयार कीजिए. साथ ही एसएएमआ के साथ साथ बड़ी कंपनियों के लिए सरकार को प्रोटेक्शन प्लान बनाने की जरूरत है.
वहीं जब उनसे एमपी लैड के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि यह खत्म करना बड़ी बात नहीं है इसमें हम साथ हैं. वहीं उन्होंने राज्यों को और मुख्यमंत्री को अधिक पावर देने की बात भी कही. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को राज्य सरकारों से पूछना चाहिए कि वहां क्या कमी है जिसे केंद्र पूरा करे और कोरोना से लड़ने की तैयारी करे. वहीं उन्होंने कहा कि आने वाले कुछ दिनों में देश में अनाज की बहुत बड़ी समस्य़ा शुरू होने वाली है उसके लिए अभी से प्लान बनाने की जरूरत है.
राहुल ने कहा, ‘मुझे दुख है कि लोगों के हाथ में अनाज नहीं पहुंच पा रहा है. स्मॉल मीडियम इंडस्ट्री को पता होना चाहिए कि उनके लिए क्या किया जा रहा है और यह बड़ा मुद्दा है.’
वहीं प्रवासी मजदूरों पर पूछे गए एक सवाल पर राहुल ने कुछ भी बोलने से इनकार किया और कहा कि माइग्रेंट बहुत बड़ी समस्या होने जा रही है…भारत अकेला देश है जहां माइग्रेंट समस्या है. हमलोगों की समस्या डीसेंट्रलाउजेशन की है…अगर केरल और यूपी पर नज़र डालें तो दोनों जगह समस्या अलग है. आपको मुख्यमंत्री को पावर देना होगा..केंद्र पूरे देश को देख रहा है लेकिन मुख्यमंत्री को अपने राज्य को देखना होगा. उन्होंने कहा, मैं स्ट्रैटजिक ओपनिंग की बात कर रहा हूं और राज्य सरकारों को अधिक शक्ति देने की जरूरत है.’
भारत सरकार ने जो कदम उठाया है वो पर्याप्त है. इस सवाल के जवाब में राहुल ने कहा, मेरी बाकी देशों में कोई रुचि नहीं है मैं सिर्फ भारत में रुचि ले रहा हूं.’ भारत को बचाना है तो इसका सिर्फ एक ही उपाय है वह टेस्टिंग है
उन्होंने कहा कि यह एक लंबी लड़ाई है यहां वित्तीय समस्या, बेरोज़गारी, अनाज की कमी, स्मॉल इंडस्ट्री कई मुद्दों पर सरकार को एक साथ काम करना होगा. बाकी देश हमारे जैसे बड़े नहीं है..इसलिए हमें आगे बढ़ कर सोचना होगा..ये लड़ाई शुरू हुई है यह लंबी लड़ाई है और इसे योजनाबद्ध तरीके से लड़ना होगा.