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Sunday, 22 December, 2024
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राहुल गांधी के पसंदीदा लोगों का उन पर पूरा नियंत्रण है- कांग्रेस के पूर्व प्रवक्ता संजय झा

कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय प्रवक्ता संजय झा ने दिप्रिंट को दिए एक इंटरव्यू में कहा है कि पार्टी को भाजपा से यह सीखने की जरूरत है कि उसमें ‘भूख और महत्वाकांक्षा’ कैसे बढ़े.

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नई दिल्ली: कांग्रेस पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय प्रवक्ता संजय झा ने राहुल गांधी को एक ‘अद्भुत और आकर्षक इंसान’ करार देते हुए कहा कि पूर्व पार्टी अध्यक्ष को खुद उनके पसंदीदा लोगों ने ही बुरी तरह घेर रखा है और अंतत: वही उन्हें ‘पूरी तरह नियंत्रित’ कर रहे हैं.

झा ने दिप्रिंट को दिए एक इंटरव्यू में कहा, ‘एक व्यक्ति के तौर पर राहुल एकदम शानदार हैं. उनसे मिलने वाला हर कोई आपसे यही कहेगा कि वह एक आकर्षक, अद्भुत इंसान हैं. लेकिन दूसरा तथ्य यह है कि सभी नेता जिसके शिकार बनते हैं, उनके पसंदीदा लोगों का एक काकस बन जाता है और यही काकस अपने नेता पर प्रभावी नियंत्रण कायम कर लेता है.’

उन्होंने कहा, ‘चूंकि उन सभी ने अपने करियर में बहुत कुछ दांव पर लगा रखा होता है इसलिए पार्टी की कोई परवाह किए बिना सिर्फ यही चाहते हैं कि उनके हित सधते रहें.’

झा, जिनकी नई किताब ‘द ग्रेट अनरेवलिंग: इंडिया आफ्टर 2014’ अगले सप्ताह जारी की जाएगी, को जून में कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता के पद से बर्खास्त कर दिया गया था. यह तब हुआ था जब उन्होंने पार्टी को आत्ममंथन की सलाह दी थी और आरोप लगाया कि यह ‘ढांचा’ बनकर रह गई है और ‘पिछड़ा दृष्टिकोण’ अपनाए हुए है.

उन्हें एक महीने बाद जुलाई में पार्टी से ही निलंबित कर दिया गया था.


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‘राहुल के स्तर पर सब ठीक है’

झा ने कहा कि पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष के स्तर पर सब कुछ ठीक है लेकिन समस्या यह थी कि उन्होंने अपने विचारों को कभी तार्किक निष्कर्ष तक नहीं पहुंचाया.

झा ने कहा, ‘मुझे लगता है कि राहुल चीजों को अच्छी तरह से समझते हैं. उनका एक सबसे अच्छा बयान वह था जब यह पूछे जाने पर कि मोदी कांग्रेस मुक्त भारत के लिए कहते रहते हैं, अगर कल आप जीतते हैं तो क्या आप आरएसएस मुक्त भारत चाहेंगे, तो उन्होंने कहा था कि नहीं. उन्होंने कहा कि सभी विचारधाराओं का साथ चलना जरूरी है. यह एक राजनेता का बयान था.’

हालांकि, उन्होंने कहा कि समस्या राहुल गांधी की कार्यशैली में है.

झा ने कहा, ‘उनके साथ समस्या यह है कि वह बड़े विचारों को उनके तार्किक निष्कर्ष पर नहीं ले जाते हैं. 2019 की लोकसभा हार के बाद वह कहते हैं कि मैंने यह लड़ाई अकेले लड़ी. तो मुझे लगता है कि यह गलत है. किसी भी पार्टी नेता के लिए यह कहना गलत है कि मैंने यह लड़ाई अकेले ही लड़ी है. हम उनके नेतृत्व में लड़े, हमने आपकी कही बातों का पालन किया. भगवान के लिए यह न कहें कि आपने इसे अकेले किया है.’

‘भाजपा में हमेशा भूख रहती है और कभी थकती नहीं’

झा ने आगे कहा कि वह भाजपा नेताओं की कार्य शैली और उनमें हमेशा जीतने के लिए एक भूख दिखने की प्रशंसा करते हैं.

उन्होंने कहा, ‘राजनीति में मैंने एक बात सीखी है, वह ये कि हमें अपने विरोधियों से सीखना चाहिए. भाजपा के पास एक जोश की भावना है, वे कभी भी खत्म नहीं होती है. उनमें भूख है, महत्वाकांक्षा हैं, कोई बंधन नहीं मानते. मैं उनके किसी काम को नैतिकता के खिलाफ कैसे मान सकता हूं? यदि वे हर चुनाव जीतने में विश्वास करते हैं, तो मैं यहां बैठे-बैठे उसका रोना कैसे रो सकता हूं?’

उन्होंने कहा कि किसी पार्टी की संस्कृति पार्टी नेता की तरफ से निर्धारित की जाती है.

उन्होंने कहा, ‘मोदी को देखिए, वह आक्रामक हैं इसलिए भाजपा भी आक्रामक है. वह बड़े विचारों की बात कर रहे हैं और इसलिए भाजपा जोखिम उठाती है.’

उन्होंने कहा, ‘मैं मानता हूं कि आज भाजपा में सिर्फ दो लोगों का नियंत्रण है. लेकिन मुझे यह तो मानना ही पड़ेगा कि उनके पास जे.पी. नड्डा हैं, उनके पास नितिन गडकरी, राजनाथ सिंह हैं. इसने लोगों को अध्यक्ष बनने का मौका दिया. देवेंद्र फडणवीस के बारे में किसने सुना था? लेकिन वे लोगों को एक मौका देते हैं.’


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‘कांग्रेस को कड़ी मेहनत करनी होगी’

झा ने कहा कि कांग्रेस को भाजपा की ‘मशीनीकृत राजनीति’ से लड़ने के लिए और अधिक प्रयास करने की जरूरत है.

झा ने कहा, ‘उनके पास धन है, उनके पास संसाधन हैं, वे सत्ता में हैं. उन्होंने मीडिया पर नियंत्रण कर रखा है, यह एक विषम लड़ाई है, एक हारी हुई जंग है. इसलिए वास्तव में उन्हें चुनौती देने के लिए हमें अपने अंदर एक भूख पैदा करने की जरूरत है.’

झा ने कहा कि कांग्रेस जहां दिल्ली के इर्द-गिर्द ही सिमटी हुई है भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा देशभर में यात्राएं कर रहे हैं.

उन्होंने कहा, ‘वह जमाने चले गए जब हम दिल्ली में बैठकर चुनाव जीत सकते थे, कांग्रेस को कड़ी मेहनत करनी होगी. मेरी राय में कांग्रेस को फिर से उभरने में अक्षम मानना निंदनीय है. आप एक विरोधी पार्टी हैं, आप एक कोने में नहीं सिमट सकते क्योंकि आप हार गए थे. एक बड़ी जंग लड़ने और उसे हार जाने में कोई बुराई नहीं है. लेकिन पीछे हटना या मैदान छोड़ देना अस्वीकार्य है.’

उन्होंने कहा, ‘दुख की बात यह है कि कांग्रेस अल्पसंख्यकों के लिए लड़ने के लिए अकेले सक्षम नहीं है.’

हालांकि, झा ने अपने भाजपा में शामिल होने की संभावना को सिरे से नकार दिया.

झा ने कहा, ‘इसका तो सवाल ही नहीं उठता है. मैं एक धर्मनिरपेक्ष, उदार, सहिष्णु और समावेशी भारत में आस्था रखने वाला हूं.’

उन्होंने कहा कि मैं इस बात से निराश महसूस करता हूं कि कांग्रेस अल्पसंख्यक समुदायों के अधिकारों के लिए लड़ने के लिए पर्याप्त नहीं है.

झा ने कहा, ‘यह दुखद है कि कांग्रेस अल्पसंख्यकों के लिए मजबूती से सिर्फ इसलिए नहीं लड़ती क्योंकि भाजपा धर्मनिरपेक्षता का मजाक उड़ाती है.’ साथ ही जोड़ा कि इस पर अगुवाई करना कांग्रेस की जिम्मेदारी है.

कांग्रेस महासचिव रणदीप सुरजेवाला के 2017 के एक दावे के संदर्भ में झा ने कहा कि यह तो कांग्रेस को तय करना है कि क्या वह महात्मा गांधी के रास्ते पर चलना चाहती है या ‘अवसरवादी जनेऊ-धारी राजनीति’ करना चाहती है.

झा ने कहा, ‘आप भाजपा की तरफ से निर्धारित नियमों के तहत उससे नहीं लड़ सकते. यदि आप ऐसा करना चाहते हैं तो उदार या धर्मनिरपेक्ष होने का दिखावा बंद करना होगा, फिर आप हिंदुत्व का झंडा बुलंद कीजिए और उसके लिए लड़िए. और यह तय है कि आप हारने जा रहे हैं.’

‘यूपीए का पॉलिटिकल कम्युनिकेशन बदतर था’

झा ने अपनी किताब में 2014 में अर्णब गोस्वामी के साथ राहुल गांधी के इंटरव्यू के बारे में भी लिखा है, जो उस समय टाइम्स नाउ न्यूज चैनल के संपादक थे.

झा ने कहा कि कांग्रेस के आलोचक माने जाने वाले गोस्वामी को वह इंटरव्यू देने के ‘निर्णय में एक भयानक चूक’ थी.

झा ने बताया, ‘राहुल जब अर्णब के शो में गए, तो हममें से कई लोगों ने माना कि उन्हें बेहतर तैयारी करनी चाहिए. मुझे याद है कि एक पीआर फर्म को यह काम सौंपा गया था और पीआर कंपनी के विशेषज्ञ अमेरिका से यहां आए और राहुल को कुछ एसओपी का पालन करने की सलाह दी लेकिन उनका पालन नहीं किया गया.’

झा ने कहा कि इंटरव्यू एक ‘भयंकर गलती’ थी.

झा ने कहा, ‘सच्चाई यही है कि यह निर्णय लेने से जुड़ी एक भयानक चूक थी और कांग्रेस पार्टी में किसी को यह कहने की हिम्मत होनी चाहिए कि हमने राहुल को गलत सलाह दी थी.’

पार्टी के पूर्व प्रवक्ता ने कहा कि यूपीए ने हमेशा बेहतर प्रदर्शन किया लेकिन इसका ‘पॉलिटिकल कम्युनिकेशन’ बदतर था.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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