नई दिल्लीः कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने बुधवार को फिर सदस्यों की पार्टी प्रमुख बने रहने के आग्रह को अस्वीकार कर दिया. राहुल ने पार्टी के शीर्ष पद को छोड़ने के एक महीने बाद ऐसा किया है. लोकसभा चुनावों में हार के बाद राहुल ने पार्टी प्रमुख का पद छोड़ने का फैसला किया है.
पार्टी सूत्रों के अनुसार, राहुल गांधी से संसद में कांग्रेस संसदीय दल (सीपीपी) की बैठक में शशि थरूर व मनीष तिवारी जैसे नेताओं ने पार्टी प्रमुख बने रहने का आग्रह किया. एक पार्टी सूत्र ने कहा, ‘लेकिन राहुल गांधी पद छोड़ने पर अडिग हैं.’
सीपीपी बैठक की अध्यक्षता सोनिया गांधी ने की.
नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया ने भी बुधवार को राहुल गांधी के आवास के बाहर धरना दिया और उन्हें अध्यक्ष पद छोड़ने के प्रस्ताव को वापस लेने के लिए मनाने की कोशिश की. युवा कांग्रेस के सैकड़ों युवकों ने तख्तियां लेकर प्रदर्शन किया, जिस पर ‘राष्ट्र को आपकी जरूरत है राहुल गांधी’, ‘आपके बिना हम कुछ नहीं हैं’ जैसे नारे लिखे थे.
पार्टी नेताओं के अनुसार, एनएसयूआई नेता राहुल गांधी से मुलाकात की तैयारी में हैं.
राहुल गांधी ने 25 मई को पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने की घोषणा की थी. राहुल ने पार्टी के लोकसभा चुनाव में बड़ी शिकस्त के बाद यह कदम उठाया है. राहुल गांधी के इस फैसले को सीडब्ल्यूसी ने सर्वसम्मति से अस्वीकार कर दिया. हालांकि, राहुल गांधी ने बीते कुछ दिनों में संगठनात्मक फैसले लिए हैं. इसमें कर्नाटक कांग्रेस ईकाई को भंग करना व उत्तर प्रदेश में सभी जिला समितियों को भंग करना शामिल है.
कांग्रेस को सिर्फ 53 सीटों पर जीत मिली है और राहुल गांधी खुद उत्तर प्रदेश के अमेठी सीट से हार गए. हालांकि, राहुल केरल के वायनाड से लोकसभा सांसद चुने गए हैं.