नई दिल्ली: “नियमों के घोर उल्लंघन और अपमानजनक आचरण” के आरोपी आम आदमी पार्टी (आप) के सांसद राघव चड्ढा को शुक्रवार को राज्य सभा से निलंबित कर दिया गया, तब तक जब तक कि मामले की जांच कर रही विशेषाधिकार समिति अपनी रिपोर्ट नहीं सौंप देती.
राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा, “…मैं राघव चड्ढा को परिषद की सेवा से तब तक निलंबित करता हूं जब तक परिषद को विशेषाधिकार समिति की रिपोर्ट का लाभ नहीं मिल जाता.”
#WATCH | Rajya Sabha Chairman Jagdeep Dhankhar announces, "…I suspend Raghav Chadha from the service of the Council till the Council has the benefit of the report by the Committee of Privileges." pic.twitter.com/OXMGitpdMQ
— ANI (@ANI) August 11, 2023
शुक्रवार को हंगामेदार मानसून सत्र का आखिरी दिन था, जिसमें मणिपुर पर विपक्ष द्वारा बार-बार स्थगन देखा गया और अविश्वास प्रस्ताव आया जो गिर गया.
चड्ढा ने कहा है कि भाजपा दिल्ली सेवा विधेयक से संबंधित एक प्रस्ताव में उन पर जाली हस्ताक्षर करने का आरोप लगाकर उनकी आवाज को “दबाने” की कोशिश कर रही है.
दो दिन पहले, राज्यसभा जगदीप धनखड़ ने विशेषाधिकार समिति को चार सांसदों की शिकायत भेजी थी, जिन्होंने चड्ढा पर उनकी सहमति के बिना चयन समिति के गठन के लिए उनके नाम प्रस्तावित करने का आरोप लगाया था.
यह कहते हुए कि यह सही नहीं है कि राज्यसभा में हाउस पैनल में सदस्यों के नामांकन के लिए हस्ताक्षर और लिखित सहमति की आवश्यकता होती है, चड्ढा ने गुरुवार को अदालत का दरवाजा खटखटाने की धमकी दी.
उन्होंने कहा, ”मैं भाजपा को चुनौती देता हूं कि वह उन कागजातों को दिखाए जिनमें फर्जी हस्ताक्षर हैं जैसा कि आरोप लगाया गया है. मेरे खिलाफ शिकायतों पर संसदीय बुलेटिन में जालसाजी, नकली हस्ताक्षर का कोई उल्लेख नहीं है. ”
गुरुवार शाम, लोकसभा में विपक्ष का अविश्वास प्रस्ताव गिरने के तुरंत बाद, विपक्ष के नेता और कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी को “मिसकंडक्ट” के लिए निलंबित कर दिया गया, जिसकी विशेषाधिकार समिति द्वारा जांच भी लंबित है.
संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने चौधरी के निलंबन के लिए प्रस्ताव पेश किया और कहा कि जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्रस्ताव का जवाब दे रहे थे तो उन्होंने सदन में व्यवधान डाला.
कांग्रेस सांसद ने कहा कि यह शायद पहली बार है कि प्रमुख विपक्षी दल के नेता को लोकसभा से निलंबित किया गया है.
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