नई दिल्ली: मुख्यमंत्री पद से तीरथ सिंह रावत के इस्तीफे के बाद पुष्कर सिंह धामी राज्य के नए मुख्यमंत्री होंगे. उनके नाम पर भाजपा प्रदेश कार्यालय में विधायक दल की बैठक में मुहर लगी. धामी आज शाम छह बजे ही मुख्यमंत्री के पद की शपथ लेंगे.
धामी राज्य के 11 वें मुख्यमंत्री होंगे.
उत्तराखंड भाजपा विधायक दल का नेता चुने जाने के बाद पुष्कर सिंह ने कहा,’मेरी पार्टी ने एक सामान्य से कार्यकर्ता को सेवा का अवसर दिया है. जनता के मुद्दों पर हम सबका सहयोग लेकर काम करेंगे.’
उन्होंने आगे कहा, ‘वह पिथौरागढ़ के सीमांत क्षेत्र कनालीछीना में एक पूर्व सैनिक के घर में पैदा हुए लेकिन खटीमा उनकी कर्मभूमि है.’ बता दें धामी उधमसिंह नगर जिले के खटीमा से दो बार के भाजपा विधायक हैं.
वर्ष 2022 में होने वाले विधानसभा चुनावों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि सभी के सहयोग से वह न केवल हर चुनौती को पार करेंगे बल्कि अपने पूर्ववर्तियों द्वारा किए गए कार्यों को आगे बढाएंगे. उन्होंने कहा कि उनकी प्राथमिकता जनता की सेवा है जिसके लिए वह पूरे मन से काम करेंगे.
भारतीय जनता पार्टी के राज्य मुख्यालय में बतौर पर्यवेक्षक केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, पार्टी मामलों के प्रभारी दुष्यंत कुमार गौतम और निवर्तमान मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत की मौजूदगी में हुई पार्टी विधायक दल की बैठक में उनका नाम सर्वसम्मति से तय हुआ.
विधायक दल की बैठक के बाद तोमर ने बताया कि धामी के नाम का प्रस्ताव निवर्तमान मुख्यमंत्री तीरथ सिंह और प्रदेश पार्टी अध्यक्ष मदन कौशिक ने रखा जिसका अनुमोदन पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत सहित कई विधायकों ने किया. उन्होंने बताया कि बैठक में धामी के अलावा किसी और के नाम का प्रस्ताव नहीं रखा गया जिसके बाद उन्हें विधायक दल का नेता चुन लिया गया.
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कोश्यारी के करीबी, एबीवीपी और युवामोर्चा में मचाया है धमाल
छात्र राजनीति से जुड़े रहे 45 वर्षीय धामी महाराष्ट्र के राज्यपाल और प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी के करीबी हैं और माना जाता है कि कोश्यिारी उन्हें उंगली पकड़कर राजनीति में लाए थे.
कोश्यारी के विशेष कार्याधिकारी रहे धामी ने युवाओं की नाराज़गी को कुंद करने के लिए युवा चेहरे का पासा फेंका है पर चुनौती उनके सामने बीजेपी के दिग्गज सतपाल महाराज, यशपाल आर्या और त्रिवेन्द्र सिंह रावत होंगे. जिन्हें साधना कम मेहनत का काम नहीं होगा.
मानव संसाधन प्रबंधन में मास्टर्स और वकालत से संबंध रखने वाले धामी छात्र जीवन में ही राजनीति में कदम रख दिया था. वे अपने छात्र जीवन से ही एबीवीपी से जुड़े रहे हैं. 1990 से 1999 तक उन्होंने एबीवीपी में अलग-अलग पदों पर काम किया है. 2002 से 2008 तक युवा मोर्चा के प्रदेशाध्यक्ष भी रहे हैं.
यही नहीं राज्य की भाजपा 2010 से 2012 तक शहरी विकास परिषद के उपाध्यक्ष रहे. उन्होंने पहली बार 2012 में चुनाव लड़ा और विधायक बने. उनकी अगुवाई में ही प्रदेश सरकार से स्थानीय युवाओं को 70% आरक्षण राज्य के उद्योगों में दिलाने में सफलता प्राप्त की. यह वही दौर था जब वे चर्चा में आए थे. युवा मोर्चा के अध्यक्ष रहे बेरोज़गारी को लेकर प्रदेश भर में यात्राएं की उस समय कांग्रेस के दिग्गज नारायण दत्त तिवारी मुख्यमंत्री थे .
धामी के नाम का ऐलान होते ही उनके समर्थकों ने जमकर उनके नाम के नारे लगाए और उन्हें फूल मालाओं से लाद दिया. समर्थकों के जयकारों के बीच धामी ने कहा, ‘वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित अपने पूरे केंद्रीय नेतृत्व का आभार व्यक्त करते हैं कि उन्होंने इस जिम्मेदारी के लिए उन पर भरोसा किया.
कुमायूं से साधेंगे उत्तराखंड
गौरतलब है कि उत्तराखंड की राजनीति कुमायूं और गढ़वाल में बंटी रही है. धामी के चयन के पीछ भाजपा की रणनीति कुमायूं इलाक़े को बैलेंस करने की है. क्योंकि पिछले दोनों मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह और तीरथ दोनों गढ़वाल से आते हैं. अपने विपक्ष कांग्रेस को कमजोर न मानते हरीश रावत की काट के लिए पार्टी ने कुमायूं से मुख्यमंत्री चुना है.
पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी को मिला जनादेश अप्रत्याशित था. 71 विधानसभा सीटों वाले उत्तराखंड में यह पहली बार था कि किसी पार्टी को 57 सीटें मिली हों.
(शंकर अर्निमेष के इनपुट्स के साथ)
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