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Friday, 28 March, 2025
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पंजाब के मंत्री धालीवाल 2023 से जिस प्रशासनिक सुधार विभाग के प्रभारी — ‘वह मौजूद ही नहीं’

2012 में शिरोमणि अकाली दल-भाजपा गठबंधन के पंजाब में लगातार दूसरी बार सत्ता में आने पर प्रशासनिक सुधार विभाग का अस्तित्व समाप्त हो गया था.

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चंडीगढ़: मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार के लिए बड़ी शर्मिंदगी की बात यह है कि कैबिनेट मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल को एक ऐसे विभाग का प्रभार सौंपा गया है जो 2012 के बाद से अस्तित्व में नहीं था.

प्रशासनिक सुधार विभाग, जिसके धालीवाल पिछले 20 महीनों से मंत्री हैं, को 2012 में शासन सुधार विभाग से बदल दिया गया था, जब शिरोमणि अकाली दल (एसएडी)-बीजेपी गठबंधन लगातार दूसरी बार राज्य में सत्ता में आया था. अब इसे सुशासन और सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के रूप में जाना जाता है और वर्तमान में कैबिनेट मंत्री अमन अरोड़ा इसके प्रमुख हैं.

विपक्ष द्वारा सरकार पर निशाना साधने के बाद धालीवाल ने शनिवार को मीडियाकर्मियों से कहा कि केवल मुख्यमंत्री ही इस पर जवाब दे सकते हैं. उन्होंने कहा, “मैं केवल पार्टी का सिपाही हूं और मुझे जो जिम्मेदारी सौंपी जाती है, मैं उसका पालन करता हूं.”

भाजपा की पंजाब इकाई ने धालीवाल पर निशाना साधते हुए कहा कि वे कई वर्षों से “काल्पनिक विभाग” के मंत्री रहे हैं, जो आम आदमी पार्टी (आप) के “सुशासन” का एक और उदाहरण है. राज्य कांग्रेस प्रमुख अमरिंदर सिंह राजा वडिंग ने व्यंग्यात्मक रूप से एक्स पर लिखा: “क्या ‘बदलाव’ है!”

इस बीच, वरिष्ठ शिअद नेता बिक्रम सिंह मजीठिया ने मान सरकार को “असाधारण रूप से अक्षम” बताया.

“प्रशासनिक सुधार” पोर्टफोलियो के अलावा, धालीवाल एनआरआई मामलों के विभाग का भी नेतृत्व करते हैं, जो पंजाब में बहुत ही सक्रिय मंत्रालय है, जहां विदेशों में बसे एनआरआई लोगों की एक बड़ी आबादी है.

जब भगवंत मान सरकार ने मार्च 2022 में कार्यभार संभाला, तो धालीवाल को कृषि मंत्री भी बनाया गया था, लेकिन मई 2023 में कैबिनेट फेरबदल में उनसे यह विभाग वापस ले लिया गया.

एनआरआई मामलों के विभाग को बरकरार रखते हुए, उन्हें प्रशासनिक सुधार विभाग का प्रभार दिया गया. जब पिछले साल सितंबर में एक और फेरबदल हुआ, तो उनके विभागों में कोई बदलाव नहीं किया गया.

मंत्री के करीबी सूत्रों ने कहा कि यह खुद धालीवाल ही थे जिन्होंने महसूस किया कि उन्होंने प्रशासनिक मामलों के विभाग की किसी भी बैठक की अध्यक्षता नहीं की थी, न ही किसी सचिव ने किसी फाइल के काम के लिए उनसे संपर्क किया था. उनकी पूछताछ के बाद राज्य सरकार को विसंगति का एहसास हुआ और इसे ठीक किया गया.

मुख्य सचिव केएपी सिन्हा ने 21 फरवरी को जल्दबाज़ी में एक अधिसूचना जारी की, जिसमें कहा गया, “मंत्रियों के बीच विभागों के आवंटन के संबंध में पंजाब सरकार की अधिसूचना संख्या 2/1/2022-2 कैबिनेट/2230 दिनांक 23 सितंबर, 2024 में आंशिक संशोधन करते हुए, कैबिनेट मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल को पहले आवंटित प्रशासनिक सुधार विभाग आज अस्तित्व में नहीं है.”


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जब विभाग था

मान सरकार के सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि प्रशासनिक सुधार विभाग 2012 तक अस्तित्व में था. बादल सरकार द्वारा किए गए प्रशासनिक सुधारों के हिस्से के रूप में, 2009 में, इस विभाग द्वारा शासन सुधार विशेषज्ञ डॉ. प्रमोद कुमार के नेतृत्व में एक ‘पंजाब राज्य शासन सुधार आयोग’ का गठन किया गया था. आयोग ने सिफारिश की थी कि प्रशासनिक सुधार विभाग को शासन सुधार विभाग द्वारा प्रतिस्थापित किया जाना चाहिए.

शासन सुधार विभाग को 2012 में तत्कालीन राज्यपाल शिवराज पाटिल द्वारा अधिसूचित किया गया था और प्रशासनिक सुधार विभाग का अस्तित्व समाप्त हो गया था.

शासन सुधार विभाग को प्रशासनिक पुनर्गठन और प्रशासन को सुव्यवस्थित करने, प्रशासनिक सुधार आयोगों की रिपोर्टों को लागू करने, कार्यालय प्रक्रियाओं और प्रणालियों में सुधार और अभिलेखों के रखरखाव और प्रतिधारण के संबंध में नीतियों को तैयार करने का काम सौंपा गया था. हालांकि, सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इसकी भूमिका सभी विभागों में ई-गवर्नेंस को लागू करना और सूचना के अधिकार अधिनियम को प्रशासित करना था.

2017 में जब कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस सत्ता में आई, तो शासन सुधार विभाग पूर्व मुख्य सचिव केआर लखनपाल के नेतृत्व में गठित ‘शासन सुधार और नैतिकता आयोग’ के कामकाज की निगरानी करने वाला नोडल विभाग बन गया. बाद में आयोग का नेतृत्व भारतीय राजस्व सेवा के पूर्व अधिकारी वीके गर्ग ने किया, जो अमरिंदर के नेतृत्व में पंजाब सरकार के वित्तीय सलाहकार रहे थे.

विपक्ष का मान सरकार पर निशाना

केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने टिप्पणी की कि ऐसा केवल आम आदमी पार्टी की सरकार में ही संभव है.

इस बीच, पंजाब भाजपा के एक्स हैंडल ने पोस्ट किया: तो, भगवंत मान की सरकार ने 21 महीने तक एक ऐसा मंत्री पद दिया जो कभी अस्तित्व में ही नहीं था! कुलदीप धालीवाल एक काल्पनिक विभाग के “मंत्री” थे, जिसमें न कोई मीटिंग थी, न कोई स्टाफ और न ही कोई काम, बस कागज़ पर एक पद था. क्या यही है AAP का “सुशासन” ? पंजाब इस सर्कस से बेहतर का हकदार है!

विपक्ष के नेता और कांग्रेस नेता प्रताप सिंह बाजवा ने पीटीआई से कहा, “AAP इन पदों से यह राय बना सकते हैं कि यह किस तरह की सरकार है. तीन साल बाद सरकार को पता चल रहा है कि एक विभाग अस्तित्व में ही नहीं है. एक मंत्री है. ऐसा निकम्मा सीएम, नौकरशाही और मंत्री मैंने पहले कभी नहीं देखा था. यह दुर्भाग्यपूर्ण है. भगवंत मान और अरविंद केजरीवाल ने पंजाब के लोगों को धोखा दिया है. आप कल्पना कर सकते हैं कि हमारा भविष्य क्या होगा.”

शिअद के मजीठिया ने शनिवार को मीडियाकर्मियों से कहा: “इससे पता चलता है कि राज्य में किस तरह की सरकार चल रही है. उन्होंने एक ऐसा मंत्रालय आवंटित किया जो अस्तित्व में ही नहीं था.”

भाजपा के प्रदीप भंडारी ने पंजाब में “शासन का मज़ाक” उड़ाने के लिए AAP की आलोचना की.

उन्होंने एक्स पर लिखा, “आम आदमी पार्टी ने पंजाब में शासन को मज़ाक बना दिया है! आप के मंत्री ने 20 महीने तक एक ऐसा विभाग चलाया जो कभी अस्तित्व में ही नहीं था! कल्पना कीजिए कि 20 महीने तक सीएम को यह भी नहीं पता था कि एक मंत्री एक ऐसा विभाग चला रहा है जिसका अस्तित्व ही नहीं है.”

पंजाब सरकार में आखिरी कैबिनेट फेरबदल सितंबर 2024 में हुआ था, जब सीएम भगवंत मान ने चार मंत्रियों को हटाया था और अपने मंत्रिमंडल में पांच नए चेहरों को शामिल किया था, साथ ही विभागों का पुनर्वितरण भी किया था.

तरुणप्रीत सिंह सोंद, बरिंदर कुमार गोयल, रवजोत सिंह, हरदीप सिंह मुंडियान और मोहिंदर भगत ने राजभवन में मंत्री पद की शपथ ली.

मान ने गृह एवं न्याय, कानूनी एवं विधायी मामले और खेल एवं युवा सेवा सहित आठ मंत्रालय अपने पास बरकरार रखे.

हरपाल सिंह चीमा को वित्त, योजना और आबकारी एवं कराधान सहित चार मंत्रालय मिले, जबकि अमन अरोड़ा को नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत और रोजगार सृजन एवं प्रशिक्षण सहित पांच मंत्रालय मिले.

डॉ. बलजीत कौर को सामाजिक न्याय अधिकारिता एवं अल्पसंख्यक सहित दो मंत्रालय मिले, जबकि कुलदीप सिंह धालीवाल को एनआरआई मामले और ‘प्रशासनिक सुधार’ मिले.

डॉ. बलबीर को स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान तथा हरजोत सिंह बैंस को तकनीकी शिक्षा एवं औद्योगिक प्रशिक्षण, सूचना एवं जनसंपर्क तथा दो अन्य विभाग मिले. हरभजन सिंह को बिजली एवं लोक निर्माण (बीएंडआर) विभाग मिले.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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